Friday, May 30, 2025
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प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के ‘आशीर्वाद’ से हवा में घुल रहा जहर

  • धुएं के साथ उड़ रहे प्रदूषण नियंत्रण के आदेश, बड़ी फैक्ट्रियां उगल रही जहर
  • मेरठ के खराब हवा गुणवत्ता का जिम्मेदार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

जनवाणी संवाददाता |

सरधना: शहर के साथ आसपास क्षेत्र की वायु गुणवत्ता भी बेहद खराब हो चली है। जिसके पीछे का कारण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की बड़ी लापरवाही है। बोर्ड के अधिकारियों के आशीर्वाद से बड़ी फैक्ट्रियां क्षेत्र में जहर उगल रही हैं। कोल्हू से लेकर फैक्ट्री तक की चिमनी से बेतहाशा धुआं निकलता देखा जा सकता है।  इस धुएं के साथ एनजीटी के आदेशों की भी धज्जियां उड़ रही हैं।

एनसीआर में सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की सूची में मेरठ मानो अव्वल आने के लिए दौड़ लगा रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी कागजों में कार्रवाई कर रहे हैं। असल में जेब गर्म होने के बाद उन्हें प्रदूषण दिखना बंद हो जाता है। विभाग की लापरवाही कहे या मनमानी, लेकिन क्षेत्र के लोग भयानक वायु प्रदूषण के संकट से गुजर रहे हैं। इस चुनौती से निपटने के लिए शासन को विभाग के मठाधीश अधिकारियों का संज्ञान लेने की बेहद जरूरत है।

कुछ समय पहले सामने आए वायु गुणवत्ता सूचकांक ने मेरठ के लोगों की टेंशन बढ़ा दी थी। क्योंकि यहां की वायु गुणवत्ता बेहद खराब हो चली है। मेरठ शहर ही नहीं आसपास के इलाकों में भी वायु प्रदूषण बड़ी चुनौती बना हुआ है। क्षेत्र में बड़े स्तर पर कोल्हू और क्रेसर चल रहे हैं। अधिकांश कोल्हू पर प्रतिबंधित र्इंधन का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिनमें टायर से लेकर पॉलीथिन तक शामिल है।

इतना ही नहीं बड़ी फैक्ट्रियां भी हवा में जहर घोलने का काम कर रही हैं। गांवों में कोल्हू और कस्बे में फैक्ट्रियां लोगों की सांसें जहरीली कर रही हैं। मेरठ रोड पर स्थित इस्पात फैक्ट्री का भी यही हाल है। ऐसा नहीं है कि हवा में जहर घोलने वाले अपनी मर्जी से यह दुस्साहस कर रहे हैं। यह सब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आशीर्वाद से किया जा रहा है। कार्रवाई के नाम पर संचालकों को रुआब में लिया जाता है।

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इसके बाद जेब गर्म होने पर उन्हें हवा में जहर घोलने का परमिट दे दिया जाता है। फिर चाहे किसी की जान पर क्यों न बन आए। या फिर मेरठ की वायु गुणवत्ता बद से बदतर ही हो जाए। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी कागजों में पर्यावरण की रक्षा कर रहे हैं। धरातल पर कोल्हू और फैक्ट्रियां एनजीटी के आदेशों को धुएं में उड़ा रही है।

यही कारण है कि सबकुछ सामने होने के बाद भी अधिकारी इस ओर से आंखे फेरकर निकल जाते हैं। यही हाल रहा तो शहरों के साथ देहात में भी लोगों का जीना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए शासन को जरूरत है कि मेरठ के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में बैठे अधिकारियों की ओर गंभीरता दिखाए। ताकि वायु गुणवत्ता को ठीक किया जा सके।

खूब उठती है सड़कों पर धूल

कहने को एनजीटी का आदेश है कि जहां भी कोई निर्माण कार्य चल रहा है। चाहे सरकारी या फिर निजी ही क्यों न हो। वहां पर्यावरण का विशेष ध्यान रखा जाएगा। मगर यहां तो उलटा हो रहा है। सड़क निर्माण के नामपर एनजीटी के आदेशों की खूब धज्जियां उड़ाई जा रही है। निर्माणाधीन सड़कों पर बेतहाशा धूल उड़ती देखी जा सकती है। जो सांसों के साथ लोगों के फेफड़ों में पहुंच रही है।

कैसे चल रहे इस तरह के कोल्हू?

इस समय कोल्हू जमकर प्रदूषण फैला रहे हैं। गांव देहात में तो कह सकते हैं कि अधिकारियों की नजर में नहीं आ रहे हैं। मगर जो हाईवे के किनारे कोल्हू धुआं उगल रहे हैं, उन पर कार्रवाई के सवाल का कोई जवाब नहीं है। परंपरागत तरीके से कोल्हू शुरू होने से पहले संचालक प्रदूषण नियंत्रण बोर्र्ड के अधिकारियों का आशीर्वाद लेते हैं और फिर कोल्हू की चिमनी जमकर धुआं उगलती हैं। मेरठ-करनाल हाईवे पर दर्जनों कोल्हू इस तरह देखे जा सकते हैं।

फैक्ट्री उगल रही जहर

मेरठ रोड पर मंढियाई गांव के निकट स्थित इस्पात फैक्ट्री जमकर प्रदूषण फैलाती है, जिसको लेकर मंढियाई के लोग कई बार हंगामा कर चुके हैं। कई बार अधिकारियों से शिकायत करते हैं। अधिकारी भी कार्रवाई का आश्वासन देते हैं, लेकिन होता कुछ नहीं है। फैक्ट्री से इस कदर धुआं निकलता है कि मानों आसमान पर बादल छा गए हों। मगर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को यह भी नजर नहीं आता है।

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