जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: भाकियू नेता राकेश टिकैत की भावुक तस्वीर ने लाखों लोगों को गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंचा दिया। पहले हजारों की तादाद थी, अब लाखों में है। राकेश टिकैत का सुरक्षा घेरा लोगों ने तैयार किया है। उनके एक कदम बढ़ाते ही उनके साथ बड़ी तादाद में आगे-पीछे सैकड़ों युवा चलते हैं।
मुकदमे हो गए। पुलिस ने घेराबंदी की। इस दौरान आंदोलन बिखरता हुआ दिखा था, लेकिन दो दिन के भीतर आंदोलन की तस्वीर बदल गई है। राकेश टिकैत भावुक हुए। लोग चले गए थे, लेकिन इसके बाद किसानों का कारवां फिर बढ़ गया।
शनिवार को आंदोलन का 66वां दिन है, लेकिन तस्वीर पूरी तरह से आंदोलन की बदल चुकी हैं। राकेश टिकैत के इर्द-गिर्द में सैकड़ों की भीड़ रहती है। कैसे बदल गई अचानक तस्वीर? दो दिन पहले गाजीपुर बॉर्डर पर शाम की तस्वीर डर वाली थी। किसान भी अचानक बने वातावरण से भय में थे। बख्तर बंद गाड़ियां थी। हथियारबंद पुलिस कर्मी तैनात थे। दो हजार से ज्यादा पुलिस कर्मी तैनात थे।
बड़ी तैयारी पुलिस ने आंदोलनकारियों को लेकर की थी। एडीजी मेरठ खुद बॉर्डर पर थे। किसानों की बिजली काट दी गई थी। टॉयलट हटा दिये गए थे। किसान इस पूरी प्रक्रिया के बाद सहम गया था। तब किसानों की संख्या भी धरना स्थल पर कम थी। इसी बीच पुलिस के साथ कुछ ऐसे लोग भी थे, जो नारे लगा रहे थे कि दिल्ली पुलिस तुम लठ बजाओ…हम तुम्हारे साथ है। ये लोग कौन थे? पुलिस ने उन्हें किसानों के धरना स्थल पर क्यों जाने दिया? धरना स्थल पर उस रात को किसी को भी एंट्री नहीं दी जा रही थी।
मीडिया कर्मियों को भी रोका जा रहा था, लेकिन किसानों के खिलाफ नारेबाजी करने वालो को पुलिस ने क्यों एंट्री दी? यह बड़ा सवाल है। इनकी तादाद 25 से 30 लोग थे। ये लठ बजवाने क्यों आये थे? इसके बाद आंदोलन की तस्वीर देर रात होते-होते पूरी तरह से बदल गई। जहां किसानों की तादाद पहले हजारों में रहती थी, अब लाखों तक पहुंच गई है। गाजीपुर बॉर्डर पर पहले से ज्यादा जोश किसानों में भर गया है। किसानों का हर रोज आना रुक नहीं रहा है। टेंट की तादाद पहले से दस गुना ज्यादा बढ़ गई है।
उस घटनाक्रम के बाद दो दिन बीत चुके हैं। जो बेचैनी आंदोलन के दौरान देखी गई, अब इसके बाद भाकियू नेता राकेश टिकैत के चेहरे पर फिर रौनक लौट आयी है। उनके चेहरे के भाव बता रहे हैं कि जो डर उनके चेहरे पर दिखाई दे रहा था, वह छट गया है। यह ताकत उन्हें किसानों की भीड़ से मिली है। वेस्ट यूपी का किसान भी धरना स्थल पर बढ़ रहा है। हरियाणा के किसान भी यहां बढ़े हैं। अब फिर से आंदोलन ने जोश की अंगडाई भर दी है।
अनशन पर बैठे किसान
गाजीपुर बॉर्डर पर शनिवार को महात्मा गांधी की पुण्य तिथि पर किसानों ने एक दिन का अनशन भी रखा। करीब 10 से ज्यादा किसान अनशन पर बैठे। पूरा दिन किसानों का अनशन चला। शाम को अनशन पर बैठे किसानों को जूस पिलाकर अनशन तुड़वाया।
कौन बिगाड़ रहा था माहौल
दो दिन पहले लठ मारों सालो को, ये नारा लगाने वाले कौन थे? इनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की? इस तरह से टकराव पैदा करने वालों के खिलाफ पुलिस क्यों नहीं कर रही हैं? क्योंकि इस तरह की घटना से किसानों व लठ मारो सालों को नारा लगाने वालों के बीच टकराव हो सकता है। पुलिस क्यों नहीं रोक नहीं है। इस तरह से हालात कभी भी टकराव के हालात पैदा हो सकता है। अब किसानों की संख्या यहां बढ़ गयी है।
खामोश है पुलिस
दो दिन पहले जो पुलिस पूरे तेवर में थी, वो अब खामौश है। पुलिस की तैनाती तो हैं, मगर चंद पुलिस कर्मी ही यहां पर लगाये गए हैं। पुलिस एनएच-24 पर थोड़ी दूरी पर किसानों के धरने से अलग टेंट लगाकर बैठी है। गिनती के पुलिस कर्मी है, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि जो बैरिकेडिंग पुलिस ने हाइवे पर लगाई थी, उसे और मजबूत करने के लिए शनिवार को दिन भर बैरिकेडिंग बढ़ाई गयी।
लग रहा है कि पुलिस को डर है कि किसान फिर से कोई बवाल कर सकते हैं। बैरिकेडिंग इतनी मजबूत की जा रही है, ताकि इसको तोड़ पाना मुश्किल होगा। हालांकि भाकियू नेता राकेश टिकैत यह ऐलान व किसानों को शपथ भी दिला चुके है कि कोई हिंसा की पहल नहीं की जाएगी।
बिजली-पानी बहाल
दो दिन पहले यूपी सरकार ने किसानों की बिजली कट कर दी थी। पानी की आपूर्ति भी बंद कर दी थी। शनिवार से फिर से किसानों के बिजली कनेक्शन चालू कर दिये हैं। बिजली की आपूर्ति दी जा रही है। यही नहीं, गाजियाबाद नगर निगम से पानी के टेंकर पहले की तरह से भेज दिये गए हैं। टॉयलट भी यूपी सरकार की तरफ से लगा दिये गए हैं। दिल्ली सरकार के एक मंत्री एक दिन पहले पानी के टेंकर लेकर पहुंच गए थे, जिसको पुलिस ने किसानों के बीच जाने की अनुमति नहीं दी थी।
दिल्ली आप सरकार के स्वास्थ्य मंत्री को दिल्ली पुलिस ने एंट्री नहीं दी थी। इसके बाद ही यूपी सरकार ने बिजली व पानी की आपूर्ति बहाल कर दी। टॉयलट भी पहले की तरह से लगा दिये गए हैं। अब किसी तरह की दिक्कत नहीं है। अब सिर्फ इंटरनेट की समस्या हैं। गाजीपुर बॉर्डर पर पांच किलोमीटर के दायरे में इंटरनेट सेवा पूरी तरह से बंद कर दी है। वहां पर इंटरनेट बंद चल रहा है। यह सब किसानों के फेसबुक पर लाइव वीडियो डालने व अन्य इंटरनेट से संबंधित गतिविधियों को रोकने के लिए किया गया है। फोन मिलने में भी दिक्कत आती है। लगता है जब तक आंदोलन चलेगा इंटरनेट सेवा प्रभावित रहेगी।
गांवों से पानी लेकर पहुंची महिला किसान![]() पानी पिलाने को बड़ा ही पवित्र व सेवा माना जाता था, लेकिन यहां तो लोकतंत्र में चुनी हुई सरकार ने ही पानी की आपूर्ति किसानों के लिए बंद कर दी। इससे ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार की मानसिकता किसान विरोधी है। दुश्मन पानी मांगता है तो उसे भी उपलब्ध कराया जाता है, फिर ये तो किसान है। यूपी सरकार की इस नीति से गांव के लोग आहत है। इसी वजह से मिट्टी के घड़ों में पानी भरकर गांव से तमाम महिलाएं किसानों के आंदोलन के बीच पहुंची हैं, ताकि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को थोड़ी तो सद्धबुद्धि आये। किसानों के साथ बर्ताव तो ठीक करें। जेल भेजना है, भेज दे। शामली व उसके आसपास से कई गांव की महिलाएं यहां पहुंची थी। इसके अलावा अमृतसर गोल्डन टैम्पल से पवित्र जल लेकर जाट सिख परिवार की महिलाएं भी पहुंची थी, जिसे भाकियू नेता राकेश टिकैत ने ग्रहण किया। अन्य स्थानों से भी लोग पानी लेकर पहुंच रहे हैं। |
कृषि कानून के विरोध में किसानों का 65 दिन से चल रहा आंदोलन![]() नेता आ रहे है, उनका स्वागत हैं, मगर बड़े मंच पर नहीं, बल्कि उनकी कुर्सी नीचे लगाई जा रही है। भाकियू नेता राकेश टिकैत ने यह बात मंच से भी कहीं है कि राजनीतिक दलों के नेता उनको समर्थन देने के लिए आ रहे हैं। उनको मंच नहीं दिया जा रहा है, सिर्फ अपना समर्थन देने के लिए आ रहे हैं, इसमें किसान कोई हर्ज नहीं मानता। किसानों की राजनीति दलों के समर्थन के बाद ताकत बढ़ रही है। राजनीति दलों के नेताओं से भी किसानों को कोई गुरेज नहीं है। दरअसल, दो दिन पहले तक कोई भी राजनीतिक दल का नेताओं को यहां पर एंट्री नहीं दी जा रही थी। सिंघु बॉर्डर पर एक कांग्रेस विधायक व सांसद के साथ लोगों ने अभद्रता तक कर दी थी, लेकिन दो दिन बाद नेताओं से दूरी की खाई पट गई है। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत के साथ जो घटनाक्रम हुआ है, उसके बाद रालोद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी भी गॉजीपुर बॉर्डर पर आंदोलनकारियों के बीच पहुंचे थे। किसानों को समर्थन देने का ऐलान किया था। इससे पहले दिन रालोद सुप्रीमो चौधरी अजित सिंह ने भी राकेश टिकैत व नरेश टिकैत से फोन पर बात कर समर्थन देने का ऐलान किया था। किसानों की इस लड़ाई में साथ रहने की बात कही थी। इसके बाद राजनीतिक दलों के नेताओं की एंट्री गॉजीपुर बॉर्डर के आंदोलन में हो गई। यही नहीं, भाकियू अध्यक्ष नरेश टिकैत के आह्वान पर चंद घंटों पहले मुजफ्फरनगर में बुलाई गयी महापंचायत में भी बड़ी भीड़ जुटी, साथ ही इस महापंचायत में भाजपा व बसपा को छोड़कर तमाम दलों के नेता जुटे। किसानों के आंदोलन को समर्थन देने का भी ऐलान किया। किसानों के कृषि बिल के विरोध में चल रहे आंदोलन को राजनीतिक दलों के नेताओं के समर्थन के बाद नई धार मिल गई है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी राकेश टिकैत से फोन पर बात कर समर्थन का ऐलान किया है। अखिलेश यादव के प्रतिनिधि के रूप में शनिवार को सपा के वरिष्ठ नेता अतुल प्रधान भी आंदोलनकारियों के बीच गॉजीपुर पहुंचे तथा किसानों को संबोधन भी किया। उन्होंने दो टूक कहा भी कि किसानों का आंदोलन जायज है। इस आंदोलन को लठ के बल पर खत्म कराया गया तो पूरे देश के किसान सड़कों पर होंगे। किसानों के खिलाफ दमनकारी नीति सरकार ने अपना रखी है। इसलिए किसानों को केन्द्र व यूपी से भाजपा सरकार को उखाड़ने का भी संकल्प दिलाया। हालांकि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी आंदोलनकारियों के बीच तो नहीं पहुंचे, लेकिन उन्होंने भी पीसी कर किसानों के आंदोलन का समर्थन किया है। इस तरह से किसानों के आंदोलन को अब राजनीतिक दलों की तरफ से भी समर्थन मिलने से ताकत बढ़ गई है। |
किसानों के समर्थन में उतरे वकील, न्यायिक जांच की मांग 26 जनवरी को दिल्ली में हुए बवाल के बाद अब वकील भी किसानों के समर्थन में उतर आए हैं। वकीलों ने बवाल के पीछे किसानों का नहीं बल्कि किसी राजनीतिक संगठन का हाथ बताया है। इसी के साथ पूरे मामले की न्यायिक जांच कराने की मांग करते हुए राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा है। शनिवार को मेरठ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष महावीर त्यागी व महामंत्री सचिन चौधरी के नेतृत्व में दर्जनों वकील डीएम से मिलने पहुंचे। वकीलों ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपते हुए दिल्ली में 26 जनवरी को हुए बवाल की निंदा की। मेरठ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष महावीर त्यागी ने आरोप लगाया कि इस मामले में निर्दोष किसानों को फंसाया जा रहा है। जबकि सभी जानते हैं कि दिल्ली में हिंसा के पीछे किसका हाथ है। मीडिया पर जारी हो रही तस्वीरें सीधे-सीधे इस मामले में किसी राजनीतिक दल का हाथ होने का इशारा कर रही हैं। महावीर त्यागी ने कहा कि किसान पिछले दो महीने से शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन चला रहे थे। मगर किसी राजनीतिक दल ने किसानों के धरने को बर्बाद करने के लिए पूरा बवाल कराया। उन्होंने इस पूरे प्रकरण की सुप्रीम कोर्ट के जज से न्यायिक जांच कराए जाने की मांग की। ज्ञापन देने वालों में पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र सिंह जानी, अब्दुल जब्बार खान, राजकुमार गुर्जर, मुनेश त्यागी, सुनील मालिक वरिष्ठ उपाध्यक्ष संदीप सिंह, कौसर नदीम, सरताज गाजी व कुशल पाल मलिक आदि अधिवक्ता मौजूद रहे। |
करनावल के किसानों ने फिर भरी हुंकार
सरूरपुर: कस्बा करनावल में पिछले 40 दिनों से किसानों का तीन कृषि कानूनों के खिलाफ अनिश्चितकालीन धरना बंगले वाले मंदिर में संचालित किया जा रहा था, लेकिन 26 जनवरी को लाल किले पर झंडा फहराने की घटना के बाद पुलिस-प्रशासन की सख्ती के चलते दो दिन पहले पुलिस ने किसानों के धरने के टेंट उखाड़ दिए थे और चेतावनी देकर किसानों को भगा दिया था।
हालांकि इस दौरान किसानों ने अपनी ओर से भी अपिहार्य कारणों से धरने को स्थगित करने की सूचना मीडिया को दी थी, लेकिन शनिवार को फिर किसानों ने धरना स्थल पर पहुंचते हुए बताया कि अनिश्चितकालीन धरने की शनिवार से फिर शुरूआत की गई है। इस दौरान धरने में मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद दादा रामपाल, पूर्व चेयरमैन सतीश कुमार व सुरेंद्र मास्टर आदि ने बताया कि धरने को किसानों का काफी समर्थन मिल रहा था तथा पहले से ज्यादा किसान धरने में जुट रहे हैं।
उन्होंने बताया कि राकेश टिकैत के इमोशनल के बाद किसानों में उनके प्रति सहानुभूति बढ़ी है, जिसके बाद किसानों का यहां जमावड़ा फिर शुरू हो गया है। पहले दिन धरने में किसान काफी संख्या में जुटे और हुंकार भरते हुए राकेश टिकैत के साथ खड़े रहने का आह्वान किया। धरने में यह भी तय किया गया कि अनिश्चितकालीन धरना पहले की तरह जारी रहेगा।
साथ ही धरने में किसानों ने यह भी निर्णय लिया कि गाजीपुर बॉर्डर पर राकेश टिकैत के धरने में किसान दूसरे दिन कस्बा करनावल से एक ट्रैक्टर-ट्रॉली में सवार होकर खाद्य सामग्री व पीने को पानी आदि लेकर गाजीपुर बॉर्डर पर जाएंगे, जो जिनके वापस लौटने पर दूसरे किसानों को दूसरे दिन भेजा जाएगा। धरने के पहले दिन संचालन दादा रामपाल का रहा।
जबकि पूर्व चेयरमैन सतीश कुमार, सुरेंद्र मास्टर लोकेश, वीरसेन आदि किसान मौजूद रहे। वहीं, दूसरी ओर धर्मस्थल का पुलिस ने भी निरीक्षण किया। इस संबंध में कार्यवाहक थानाध्यक्ष योगेंद्र सिंह से बात की गई तो उनका कहना था कि धरना स्थल पर कुछ लोग रणनीति बनाने के लिए इकट्ठा हुए धरने की कोई जानकारी उन्हें नहीं है।
सरधना: भाजपा को जिताने की गलती का उपवास रख किया पश्चाताप कृषि कानून को लेकर भाजपा सरकार की चारों ओर फजियत हो रही है। किसान भाजपा को जिताना अपनी सबसे बड़ी गलती मान रहे हैं। शनिवार को छुर गांव में ताला खाप के लोगों ने भाजपा को जिताना सबसे बड़ी गलती माना। इस गलती के पश्चाताप के लिए उन्होंने एक दिन का उपवास रखा। इस दौरान आयोजित की गई सभा में तालान खाप के चौधरी सुधीर तालियान ने कहा कि आज देश में भाजपा की गलत नीतियों से जनता परेशान हैं। किसानों के लिए गलत कृषि कानून बनाकर उनका उत्पीड़न किया जा रहा है। अपने अधिकार की आवाज उठा रहे किसानों को दबाने की कोशिश की जा रही है। ढाई माह से आंदोलन कर रहे किसानों की सरकार सुनने को तैयार नहीं है। जिससे देश का किसान दुखी और आक्रोशित है। कहा कि भाजपा को जिताना हमारी सबसे बड़ी गलती है। अब इस गलती का सुधार भी करेंगे। गलती के पश्चाताप के लिए उन्होंने एक दिन का उपवास रखा। शाम को ग्रामीणों ने उन्हें पानी पिलाकर उपवास खुलवाया। सभा की अध्यक्षता गजे सिंह ने की। इस मौके पर रविंद्र पहलवान, जगपाल सिंह, प्रताप सिंह, कालूराम, नीटू पहलवान, मेहरदीन, बुद्धू प्रजापति, कलवा, अली मोहम्मद, सुभाष, महावीर, रामवीर, बुद्ध सिंह आदि मौजूद रहे। आंदोलन में पहुंचे मंढियाई के किसान यूपी बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन में क्षेत्र के किसान बड़ी संख्या में जा रहे हैं। दर्जनों ट्रैक्टर-ट्रॉली और सैकड़ों किसान अब तक क्षेत्र से रवाना हो चुके हैं। शुक्रवार की रात मंढियाई गांव से भी बड़ी संख्या में किसान गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन में शामिल होने गए। उन्होंने राकेश टिकैत से बात करते हुए कहा कि वह पूरी तरह से उनके साथ हैं। |