- मेरठ पुलिस की सारी कवायद हो रही फेल एसआईटी करेगी विशाल का पासपोर्ट जब्त
- रिश्तेदारों से हो रही पूछताछ, बार-बार बदल रहा लोकेशन
- सर्विलांस की मदद से पुलिस टीम कर रही है विशाल का पीछा
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: स्टांप घोटाले में वांटेड चल रहा विशाल को पुलिस आठ दिन बाद भी गिरफ्तार नहीं कर सकी है। सर्विलांस की मदद से पुलिस उसका पीछा कर रही है, लेकिन वह पुलिस को बार-बार चकमा दे रहा भाग रहा है। एसएसपी डा. विपिन ताडा का कहना है कि विशाल का पासपोर्ट जब्त करने की प्रयास किया जा रहा है। उसकी गिरफ्तारी के लिए एसआईटी की टीम भी लगी हुई है। वह अलग-अलग स्थानों से मिल रही लोकेशन पर लगातार छापेमारी कर रही है, लेकिन वह हाथ नहीं आ पा रहा है। जल्द ही उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
मेरठ में 10 करोड़ से ज्यादा के स्टांप घोटाले से प्रशासनिक अधिकारियों व उप निबंधक व मुख्य कोषागार विभाग में खलबली मची हुई है। उप निबंधक कार्यालय में फर्जी स्टांप लगाकर मकानों की रजिस्ट्री कराई गई। जांच में यह स्टांप फर्जी साबित हुए। एआईजी स्टांप की तरफ से अब तक 450 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। कई मुकदमों में पुलिस ने विशाल वर्मा को नामजद भी किया है। जिन लोगों ने विशाल वर्मा से स्टांप खरीदे है। उनके पास स्टांप के रुपये जमा करने के नोटिस पहुंचे है। आठ दिन भी विशाल पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। वह अपनी लोकेशन बदल कर पुलिस को चकमा दे रहा है।
एसआईटी के नोडल इंचार्ज ने दर्ज किया व्यापारियों के बयान
एसएसपी की तरफ से गठित एसआईटी के नोडल प्रभारी एसपी क्राइम अविनाश कुमार ने सभी नोटिस मिलने वाले व्यापारियों को पुलिस लाइन में बुलाया। उनके साथ मीटिंग की। उनके बयान नोट किए। व्यापारी नेता जीतू नागपाल व शैंकी वर्मा ने कहा कि पुलिस विशाल वर्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं कर रही है। जबकि उन्होंने घोटाले का शिकार हुए 150 से ज्यादा लोगों के साइन कराकर तहरीर दी है। उन्होंने मांग की है कि सबसे पहले उनकी तहरीर पर विशाल वर्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए। इसके बाद उसकी गिरफ्तारी की जाए। प्रशासन की तरफ से भेजे जा रहे नोटिस पर रोक लगाई जाए। एसपी क्राइम अवनीश कुमार ने आश्वासन दिया कि जांच शुरू कर दी है। जांच रिपोर्ट एसएसपी को सौंपी जाएगी। इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
25-25 हजार के स्टांप से किया घोटाला
पुलिस की जांच में सामने आया है कि सबसे ज्यादा फर्जी स्टांप 25-25 हजार के पाए गए। सभी स्टांप फर्जी निकले है। यह स्टांप कहां से आए हैं। सारे मामले की जांच की जा रही है। व्यापारी नेता जीतू नागपाल का कहना है कि गाजियाबाद से चोरी हुए स्टांप विशाल वर्मा ने मेरठ में खपाए है। उसके बाद भी पुलिस प्रशासन विशाल वर्मा की गिरफ्तारी नहीं कर रहा है।
आर्मी का जवान भी बना ठगी का शिकार
बताया गया कि आर्मी में तैनात एक जवान भी विशाल वर्मा की ठगी का शिकार बन गया। वह डयूटी से छुट्टी लेकर एसपी क्राइम से मिले। उन्होंने कहा कि उनके पास भी स्टांप के रुपये जमा करने का नोटिस आया है। जबकि उन्होंने विशाल वर्मा से स्टांप खरीद थे। वह स्टांप नकली है। उन्होंने मांग की है कि उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए।
100 करोड़ का आंकड़ा पार करेगा मेरठ में स्टांप घोटाला
शहर में हुए स्टांप घोटाला 100 करोड़ से ज्यादा का आंकड़ा पार करेगा। अभी आॅनलाइन बेचे गए सात करोड़ का स्टांप घोटाला पकड़ में आया है। इससे पहले मैन्युल तरीके से स्टांप लगाकर रजिस्ट्री कराई गई। उसका भी मेरठ के छह उप निबंधक अधिकारियों से अलग-अलग बैनामों का रिकॉर्ड मांगा जा रहा है। एसएसपी की एसआईटी टीम का कहना है कि यह घोटाला 100 करोड़ की संख्या को पार करेगा। इसमें कई अधिकारी भी चपेट में आएंगे।
एडीएम फाइनेंस की जांच में खुलासा कि मेरठ में साढ़े सात करोड़ के फर्जी स्टांप पेपर लगाकर बैनामे करा दिए गए। जिससे सरकार को करोड़ों रुपये राजस्व की हानि हुई। मामला शासन तक पहुंचा। सारे मामले की जांच समिति बनाई गई। जिसमें मेरठ की कमिश्नर, सीडीओ मेरठ व सीडीओ गाजियाबाद को रखा गया। मेरठ कमिश्नर सेल्वा कुमारी जे. को जांच समिति का नोडल अधिकारी बनाया गया। सीडीओ मेरठ नूपुर गोयल ने अपनी-अपनी जांच कर रिपोर्ट कमिश्नर को दे दी है।
उपनिबंधक कार्यालय से मांगा जा रहा बैनामों का रिकॉर्ड
स्टांप घोटाले की परतें खुलते ही अब मेरठ में सभी उपनिबंधक कार्यालयों में मैन्युवल तरीके से कराए गए बैनामों का भी रिकॉर्ड मांगा जा रहा है। जिससे उप निबंधक कार्यालय में खलबली मची हुई है। चूंकि अधिकतर मैन्युवल रिकॉर्ड उपनिबंधक कार्यालय से गायब है। जिससे उन्हें रिकॉर्ड खंगाले में काफी परेशानी हो रही है। अगर मैन्युवल तरीके से रिकॉर्ड मिल जाता है तो यह स्टांप घोटाला 100 करोड़ के पार पहुंच सकता है।
छह उपनिबंधक कार्यालय है मेरठ में
मेरठ में बैनामे के छह कार्यालय है। जिसमें मेरठ कचहरी में दो, मेडा परिसर में दो एक सरधना व मवाना में है। छह कार्यालयों में करीब 50 से ज्यादा रोज के बैनामे होते हैं। जिससे आशंका जताई जा रही है कि अगर छह कार्यालयों से मैन्युवल तरीके से डाटा मिल जाएगा तो स्टांप घोटाला 100 करोड़ को पार करेगा।