- सात सदस्यों ने वार्ड छह सदस्य के खिलाफ खड़ा किया संयुक्त मोर्चा तैयार
- भाजपाइयों की घमासान कहीं बिगाड़ कर न रख दे संगठन का चुनावी गणित
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: कारगुजारियों की शिकायत और उन पर रक्षा मंत्रालय की जांच से कैंट बोर्ड में राजनीतिक भूचाल आ गया है। इसके चलते कैंट बोर्ड के सात सदस्यों ने वार्ड छह की सदस्य मंजू गोयल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पांच दिन पूर्व भी कैंट बोर्ड के नवागत अध्यक्ष से बोर्ड के कुछ सदस्यों की मुलाकात के कुछ ऐसे ही निहितार्थ भाजपाई निकाल रहे हैं।
इस पूरे प्रकरण के चलते कैंट बोर्ड में एक बार फिर वार्ड तीन की सदस्य बीना वाधवा के खिलाफ लाए गए अविश्वास सरीखा मंजर नजर आ रहा है। जिसमें सात सदस्यों में बीना वाधवा के खिलाफ चक्र व्यूह रच दिया था। कुछ उसी तर्ज पर इस बार वार्ड छह की सदस्य के खिलाफ चक्र व्यूह रचा गया है।
हालांकि यह बात अलग है कि दोनों ही बार हालात पूरी तरह से जुदा रहे। वहीं जानकारों की मानें तो इस सारे फसाद की जड़ टोल टैक्स के ठेकेदार और कैंट बोर्ड के खजाने को करीब आठ करोड़ के नुकसान, मोबाइल टावर ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई मामले में दो कदम आगे चार कदम पीछे, एटूजेड कंपनी को ठेका, कुछ सदस्यों के अवैध निर्माण, सेना द्वारा रिज्यूम के लिए तय किए गए बंगलों में अवैध निर्माण सरीके कई ऐसे मुद्दे हैं जिनकों लेकर कैंट बोर्ड की कारगुजारियां एकाएक रक्षा मंत्रालय के केंद्र में आ गयीं।
मंत्रालय की जांच से घबराहट
इतना ही नहीं कई मामलों को लेकर रक्षा मंत्रालय से जांच भी आयी हुई हैं। इससे घबराहट किसी से छिपी नहीं है। टोल ठेकेदार के लिए कानूनी राय के खिलाफ जाकर सर्वे कराना इसमें एक है। ऐसे ही कई मामले हैं जिनको लेकर कैंट बोर्ड रक्षा मंत्रालय के रडार पर आ गया है। और इसने भाजपा की अंदरुनी राजनीति को गरमा दिया है। यूं कहने को यदि कैंट बोर्ड की राजनीति की बात की जाए तो हमेशा ही भाजपा के दो धडेÞ यहां रहे हैं, लेकिन इस बार दोनों धड़ों के टकराव का खामियाजा आने वाले चुनाव में आला कमान को उठाना पड़ सकता है।
बाहर आने लगी नाराजगी
वहीं, दूसरी ओर कई अन्य भी मामले हैं जिनको लेकर लोगों की नाराजी किसी से छिपी नहीं है। कैंट बोर्ड के कुछ सदस्यों पर अवैध निर्माण, कब्जों व ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने सरीखे आमजन द्वारा लगाए जा रहे आरोपों को लेकर कोई अन्य नहीं बल्कि भाजपाई भी मुंह खोलने लगे हैं। उनका साफ कहना है कि भ्रष्टाचार को लेकर पीएम व सीएम की जीरो टालरेंस नीति को कुछ सदस्यों ने मजाक बनाकर रख दिया है। कैंट बोर्ड में जो बसपाई कार्यकाल में नहीं हुआ वो भाजपाई कार्यकाल में हो रहा है। लोगों का तो यहां तक कहना है कि यदि सीबीआई जांच करा दी जाए तो तमाम बोर्ड मेंबरों पर शिकंजा कसना तय है।
बोर्ड बैठक के एजेंडा का आइटम 102
कैंट बोर्ड की 30 सितंबर को प्रस्तावित बोर्ड बैठक के एजेंडा के आइटम नंबर 102 ने भाजपा के लिए मुसीबतें खड़ी कर दी हैं। खुद भाजपाई भी मान रहे हैं कि राजनीतिक विद्वेष के चलते जिस प्रकार से गैर भाजपाइयों को एक भाजपाई के खिलाफ साथ लाकर मोर्चा खोला गया है, उससे चुनावी नुकसान होना तय है। इस आइटम में वार्ड छह की सदस्य के खिलाफ साथ आने वालों में रिनी जैन, बुशरा कमला, बीना वाधवा, नीरज राठौर, अनिल जैन, धर्मेंद्र सोनकर की ओर से एक पत्र कैंट बोर्ड के अध्यक्ष को दिए जाने की बात कहते हुए उसकी कापी सीईओ को भी प्रेषित की गयी है। इस आइटम में कई आरोप भी लगाए गए हैं।