Sunday, January 19, 2025
- Advertisement -

सकारात्मक सोच

Amritvani


राजा रत्नसेन अपनी प्रजा के सुख-दुख को लेकर हमेशा चिंतित रहते थे। वह नियमित रूप से घूम-घूमकर प्रजा का हाल लेते थे। आम आदमी और राजसत्ता के बीच संवाद कायम करने के लिए कई तरह की प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाता था। एक बार राजा को न जाने क्या सूझी कि उन्होंने राज्य में ढिंढोरा पिटवा दिया कि वह एक अनोखी प्रतियोगिता करने वाले हैं।

इसमें जो कोई भी विजेता होगा, उसे वह अपना उत्तराधिकारी बनाएंगे। इसमें जाति-धर्म व संप्रदाय का कोई बंधन नहीं होगा। राज्य के हर व्यक्ति को इसमें भाग लेने का अधिकार होगा। इससे हंगामा मच गया। हर तरह के लोगों में इसमें शामिल होने की होड़ लग गई।

राजकुमार से लेकर मामूली व्यक्ति तक सभी इसके लिए चले आए। राजा ने सबसे पहले अपने राजकुंवर से प्रश्न किया, ‘ऐसा कौन-सा वृक्ष राज्य के वन-उपवन अथवा परिसर में लगाया जाए, जिन पर सफलता के ऐसे फल लगें, जिन्हें खाकर राज्य का भाग्य परिवर्तन हो जाए?’ राजकुंवर सहित असंख्य लोगों ने इस प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास किया, लेकिन कोई भी राजा को संतुष्ट न कर सका।

अंत में ग्रामीणों की जमात से एक युवक आगे आया और उसने विनम्र स्वर में कहा, ‘महाराज! हमारे राज्य में कुछ और नहीं, बल्कि सकारात्मक सोच के वृक्ष रोपे जाने की आवश्यकता है। उन्हीं पर सफलता के फल लग सकते हैं, जिन्हें खाकर राज्य की प्रजा दिन दोगुनी और रात चौगुनी प्रगति कर सकती है।

उसके बाद ही राज्य का भाग्य परिवर्तन संभव है।’ यह सुनते ही राजा का चेहरा खिल उठा। उन्हें लगा कि इस राज्य की बागडोर वही थाम सकता है, जिसकी ऐसी उत्कृष्ट सोच होगी। राजा ने बिना किसी देरी के राज्य की सत्ता उस ग्रामीण युवक को सौंप दी। राजकुंवर सहित उपस्थित जन-समुदाय ठगा-सा रह गया। कुछ दिनों के बाद राजा संन्यास धारण कर जंगल चले गए।


janwani address

What’s your Reaction?
+1
0
+1
2
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Bijnor News: लूट की योजना बना रहे बदमाशों से मुठभेड़, अवैध असलहों के साथ 2 गिरफ्तार, दो फरार

जनवाणी संवाददाता | धामपुर: धामपुर पुलिस पोषक नहर पर चेकिंग...
spot_imgspot_img