Saturday, June 29, 2024
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Pradosh Vrat 2024: सोम प्रदोष व्रत आज, इन उपायों को करने से बरसेगी भोलेनाथ की कृपा

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सोम प्रदोष व्रत: सनातन धर्म में वैशाख माह में दोनों पक्ष शुक्ल और कृष्ण तिथि को प्रदोष का व्रत मनाया जाता है। वहीं कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत मनाया जा चुका है और इस वक्त शुक्ल पक्ष चल रहा है। जिसकी आज त्रयोदशी तिथि है और इसमें प्रदोष व्रत मनाया जा रहा है। इस व्रत को हम ‘सोम प्रदोष’ भी कहते हैं। बताया जाता है कि इस दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा और व्रत रखते हैं। प्रदोष के दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनकी प्रिय चीजों को चढ़ाया जाता है।

ऐसे में इस बार सोम प्रदोष व्रत का एक सिद्ध योग बन रहा है। जिससे आप कुछ उपायों से मनवाछिंत फल पा सकेंगे। तो हमारे पास सोम प्रदोष व्रत के दिन किए जाने वाले कुछ आसान उपाय हैं। जिस को करके चंद्रमा और सुख से जुड़े दोषों को दूर कर सकते हैं। इससे भगवान भोलेनाथ की कृपा आप पर बनी रहेगी। साथ ही शिवजी आप पर प्रसन्न होकर अपने भक्तों की झोली भर देंगे। तो चलिए जानते हैं उन अचूक उपायों तो चिलाए जानते हैं उन उपायों के बारे में..

सोम प्रदोष व्रत उपाय

संतान सुख के लिए

सोम प्रदोष व्रत के दिन आप शुभ मुहूर्त में शिव जी की पूजा करें और उनको जौ चढ़ाएं। प्रदोष पूजा पर भोलेनाथ को जौ अर्पित करने से संतान की प्राप्ति होती है।

सुख शांति के लिए

सोम प्रदोष को व्रत रखकर आप महादेव की पूजा करें. पूजा के समय शिवलिंग पर अक्षत् अर्पित करें। अक्षत् चढ़ाने से कुंडली का शुक्र दोष दूर होता है. जीवन में सुख-सुविधाओं की वृद्धि होती है. शिव कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।

चंद्र दोष मुक्ति के लिए

सोम प्रदोष या सोमवार के दिन विधि विधान से भगवान शिव की पूजा करने से कुंडली का चंद्र दोष दूर होता है। सोम प्रदोष पर आप शुभ समय में भगवान शिव का अभिषेक गाय के दूध से करें। कहा जाता है कि चंद्र देव जब श्राप से पीड़ित थे तो उन्होंने भगवान शिव की पूजा की। शिव कृपा से वो दोष मुक्त हो गए।

मनोकामना पूर्ति के लिए

प्रदोष व्रत के दिन आप मनोकामनाओं की पूर्ति, दोष, रोग आदि से मुक्ति के लिए रुद्राभिषेक कर सकते हैं। अभिष्ट फल की प्राप्ति के लिए रुद्राभिषेक कराना अचूक उपाय माना जाता है। इससे आपकी उन्नति होगी, सभी ग्रह दोष दूर होंगे।

ऐसे करें शिव जी की आरती

ॐ जय शिव ओंकारा, प्रभु जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ हर हर हर महादेव॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे। शिव पंचानन राजे।
हंसासन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ हर हर हर महादेव.॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे। प्रभु दस भुज अति सोहे।
तीनों रूप निरखते। त्रिभुवन मन मोहे ॥ ॐ हर हर हर महादेव॥

अक्षमाला बनमाला मुण्डमाला धारी। शिव मुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद चंदा, सोहे त्रिपुरारी॥ ॐ हर हर हर महादेव॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे। शिव बाघम्बर अंगे।
ब्रह्मादिक सनकादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ हर हर हर महादेव॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता। शिव कर में त्रिशूल धर्ता।
जगकर्ता जगहर्ता जगपालनकर्ता॥ ॐ हर हर हर महादेव॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका। स्वामी जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ हर हर हर महादेव॥

त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावे। प्रभु प्रेम सहित गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ हर हर हर महादेव॥

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