Tuesday, July 9, 2024
- Advertisement -
HomeNational Newsदेश के नाम राष्ट्रपति मुर्मू का संबोधन, बोलीं- भारत विश्व का सबसे...

देश के नाम राष्ट्रपति मुर्मू का संबोधन, बोलीं- भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र

- Advertisement -

जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: आज सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 77वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया। उन्होंने अपने संबोधन में महिला सशक्तिकरण, संविधान से लेकर चंद्रयान-3 के चांद पर लैंड करने तक कई विषयों का जिक्र किया।

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि देश के 77वें स्वतंत्रता दिवस पर आप सभी को मेरी हार्दिक बधाई! यह दिन हम सब के लिए गौरवपूर्ण और पावन है। चारों ओर उत्सव का वातावरण देखकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। स्वतंत्रता दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हम केवल एक व्यक्ति ही नहीं हैं, बल्कि हम एक ऐसे महान जन-समुदाय का हिस्सा हैं जो अपनी तरह का सबसे बड़ा और जीवंत समुदाय है।

यह विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के नागरिकों का समुदाय है। जाति, पंथ, भाषा और क्षेत्र के अलावा, हमारी अपने परिवार और कार्य-क्षेत्र से जुड़ी पहचान भी होती है। लेकिन हमारी एक पहचान ऐसी है जो इन सबसे ऊपर है, और हमारी वह पहचान है, भारत का नागरिक होना।

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि 15 अगस्त, 1947 के दिन देश ने एक नया सवेरा देखा। उस दिन हमने विदेशी शासन से तो आजादी हासिल की ही, हमने अपनी नियति का निर्माण करने की स्वतंत्रता भी प्राप्त की। हमारी स्वाधीनता के साथ, विदेशी शासकों द्वारा उपनिवेशों को छोड़ने का दौर शुरू हुआ और उपनिवेशवाद समाप्त होने लगा। हमारे द्वारा स्वाधीनता के लक्ष्य को प्राप्त करना तो महत्वपूर्ण था ही, लेकिन उससे भी ज्यादा उल्लेखनीय है, हमारे स्वाधीनता संग्राम का अनोखा तरीका।

उन्होंने कहा, “महात्मा गांधी तथा अनेक असाधारण एवं दूरदर्शी विभूतियों के नेतृत्व में हमारा राष्ट्रीय आंदोलन अद्वितीय आदर्शों से अनुप्राणित था। गांधी व अन्य महानायकों ने भारत की आत्मा को फिर से जगया और हमारी महान सभ्यता के मूल्यों को जन-जन में संचार किया। भारत के ज्वलंत उदाहरण का अनुसरण करते हुए हमारे स्वाधीनता संग्राम की आधारशिला सत्य और अहिंसा को पूरी दुनिया के अनेक राजनीतिक संघर्षों में सफलतापूर्वक अपनाया गया है।”

उन्होंने कहा, ‘स्वतंत्रता दिवस हमारे लिए अपने इतिहास से फिर से जुड़ने का अवसर होता है। यह हमारे वर्तमान का आकलन करने और भविष्य की राह बनाने के बारे में चिंतन करने का अवसर भी है। आज हम देख रहे हैं कि भारत ने न केवल विश्व मंच पर अपना यथोचित स्थान बनाया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में अपनी प्रतिष्ठा को भी बढ़ाया है। अपनी यात्राओं और प्रवासी भारतीयों के साथ बातचीत के दौरान मैंने अपने देश के प्रति उनमें एक नए विश्वास और गौरव का भाव देखा है।’

उन्होंने कहा कि स्वाधीनता दिवस की पूर्व संध्या पर मैं भारत के नागरिकों के साथ एकजुट होकर सभी ज्ञात और अज्ञात स्वाधीनता सेनानियों को कृतज्ञतापूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं। उनके असंख्य बलिदानों से भारत ने विश्व समुदाय में अपना स्वाभिमानपूर्ण स्थान फिर से हासिल किया है।

राष्ट्रपति ने आगे कहा, “मातंगिनी हाजरा और कनक लता बरुआ जैसी वीरांगनाओं ने भारत माता के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। मां कस्तूरबा, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ कदम से कदमा मिलाकर सत्याग्रह के मार्ग पर चलती रहीं। सरोजनी नायडू, अम्मू स्वामीनाथन, रमा देवी, अरुणा आसफ अली और सुचेता कृपलानी जैसी अनेक महिला विभूतियों ने अपने बाद की सभी पीढ़ियों की महिलाओं के लिए आत्मविश्वास के साथ देश व समाज की सेवा करने के प्रेरक आदर्श प्रस्तुत किए हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “आज महिलाएं विकास और देश सेवा के हर क्षेत्र में बढ़ चढ़कर योगदान दे रही हैं और राष्ट्र का गौरव बढ़ा रही हैं। आज हमारी महिलाओं ने ऐसे अनेक क्षेत्रों में अपना विशेष स्थान बना लिया है जिनमें कुछ दशकों पहले उनकी भागीदारी की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। मुझे यह देखकर खुशी होती है कि हमारे देश में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आर्थिक सशक्तिकरण से परिवार और समाज में महिलाओं की स्थिति मजबूत होती है। मैं सभी देशवासियों से आग्रह करती हूं कि वे महिला सशक्तिकरण को प्राथमिकता दें। मैं चाहूंगी कि हमारी बहनें और बेटियां साहस के साथ हर तरह की चुनौतियों का सामना करें और जीवन में आगे बढ़ें। महिलाओं का विकास, स्वाधीनता संग्राम के आदर्शों में शामिल है।”

उन्हाेंने कहा कि भारत पूरी दुनिया में विकास के लक्ष्यों और मानवीय सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अग्रणी स्थान बनाया है और जी 20 देशों की अध्यक्षता का दायित्व भी संभाला है। चूंकि जी 20 समूह दुनिया की दो-तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए यह हमारे लिए वैश्विक प्राथमिकताओं को सही दिशा में ले जाने का एक अद्वितीय अवसर है। जी 20 की अध्यक्षता के जरिए भारत व्यापार और वित्त के क्षेत्रों में हो रहे फैसलों को न्यायसंगत प्रगति की ओर ले जाने के लिए प्रयासरत है।

राष्ट्रपति ने कहा, “व्यापार और वित्त के अलावा मानव विकास से जुड़े विषय भी कार्यसूची में शामिल किए गए हैं। ऐसे कई मुद्दे हैं जो पूरी मानवता के लिए महत्वपूर्ण हैं और किसी भौगोलिग सीमा से बंधे हुए नहीं हैं। मुझे भरोसा है कि भारत के प्रभावी नेतृत्व के साथ जी 20 के सदस्य देश उन मोर्चों पर उपयोगी कार्रवाई को आगे बढ़ाएंगे। भारत की जी20 अध्यक्षता में एक नई बात यह है कि कूटनीति (डिप्लोमेसी) को जमीन से जोड़ा गया है। एक अंतरराष्ट्रीय राजनयिक गतिविधि में लोगों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए अपनी तरह का पहला अभियान चलाया गया है। उदाहरण के लिए, यह देखकर मुझे अच्छा लगा कि स्कूलों और कॉलेजों में जी 20 से जुड़े विषयों पर आयोजित की जा रही गतिविधियों में विद्यार्थी उत्साहपूर्वक भाग ले रहे हैं। जी 20 से जुड़े कार्यक्रमों के बारे में सभी नागरिकों में बहुत उत्साह देखने को मिल रहा है।”

उन्होंने कहा कि सशक्तिकरण की भावना से युक्त इस उत्साह का संचार आज संभव हो पाया है, क्योंकि हमारा देश सभी मोर्चों पर अच्छी प्रगति कर रहा है। मुश्किल दौर में भारत की अर्थव्यवस्था न केवल समर्थ सिद्ध हुई है, बल्कि दूसरों के लिए आशा का स्त्रोत भी बनी है। विश्व की अधिकांश अर्थव्यवस्थाएं नाजुक दौर से गुजर रही हैं। वैश्विक महामारी के कारण हुए आर्थिक संकट से विश्व समुदाय पूरी तरह से बाहर नहीं आ पाया था कि अंतरराष्ट्रीय पटल पर हो रही घटनाओं से अनिश्चितता का वातावरण और गंभीर हो गया है। फिर भी, सरकार कठिन परिस्थितियों का अच्छी तरह सामना करने में सक्षम रही है।

उन्होंने आगे कहा, “देश ने चुनौतियों को अवसरों में बदला है और प्रभावशाली जीडीपी ग्रोथ भी दर्ज की है। हमारे अन्नदाता किसानों ने हमारी आर्थिक समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। राष्ट्र उनका ऋणी है। वैश्विक स्तर पर मुद्रास्फीति (इनफ्लेशन) चिंता का कारण बनी हुई है। लेकिन सरकार और रिजर्व बैंक इस पर काबू पाने में सफल रहे हैं। सरकार और जन सामान्य पर मुद्रास्फीति का अधिक प्रभाव नहीं पढ़ने दिया है और साथ ही गरीबों को व्यापक सुरक्षा कवच भी प्रदान किया है। वैश्विक आर्थिक विकास के लिए दुनिया की निगाहें आज भारत पर टिकी हुई हैं।

आज भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। विश्व में सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यस्था के रूप में भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। हमारी आर्थिक प्रगति की इस यात्रा में समावेशी विकास पर जोर दिया जा रहा है। निरंतर हो रही आर्थिक प्रगति के दो प्रमुख आयाम हैं। एक ओर, व्यवसाय करना आसान बनाकर और रोजगार के अवसर पैदा करके उद्यमशीलता की संस्कृति को बढ़ावा दिया जा रहा है। दूसरी ओर, जरूरतमंदों की सहयता के लिए विभिन्न क्षेत्रों में पहली की गई है और व्यापक स्तर पर कल्याणकारी कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।”

‘परंपराओं को समृद्ध करते हुए आधुनिकता अपनाएं आदिवासी’
उन्होंने कहा कि वंचितों को वरीयता प्रदान करना हमारी नीतियों और कार्यों के केंद्र में रहता है। परिणामस्वरुप पिछले दशक में बड़ी संख्या में लोगों को गरीबी से बाहर निकालना संभव हो पाया है। इसी प्रकार आदिवासियों की स्थिति में सुधार लाने और उन्हें प्रगति की यात्रा में शामिल करने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। मैं अपने आदिवासी भाई-बहनों से अपील करती हूं कि आप सब अपनी परंपराओं को समृद्ध करते हुए आधुनिकता को अपनाएं।

“मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि आर्थिक विकास के साथ-साथ मानव विकास संबंधी सरोकारों को भी उच्च प्राथमिकता दी जा रही हैं। मैं एक शिक्षिका रही हूं, इस नाते भी मैंने यह समझा है कि शिक्षा, सामाजिक सशक्तिकरण का सबसे प्रभावी माध्यम है। वर्ष 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति से बदलाव आना शुरु हो गया है। विभिन्न स्तरों पर विद्यार्थियों और शिक्षाविदों के साथ मेरी बातचीत से मुझे ज्ञात हुआ है अध्ययन की प्रक्रिया अधिक फ्लेग्जिबल हो गई है। इस दूरदर्शी नीति का एक प्रमुख उद्देश्य प्राचीन मूल्यों को आधुनिक कौशल के साथ जोड़ना है।”

“इससे आने वाले वर्षों में शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन होंगे और परिणामस्वरूप देश में एक बहुत बड़ा बदलाव दिखाई देगा। भारत की प्रगति को देशवासियों, खासकर युवा पीढ़ी के सपनों से शक्ति मिलती है। विकास की अनंत संभावनाएं देशवासियों की प्रतीक्षा कर रही हैं। स्टार्टअप से लेकर खेलकूद तक, हमारे युवाओं ने उत्कृष्टता के नए आसमानों में उड़ान भरी है।”

उन्होंने कहा कि आज के नए भारत की महत्वकांक्षाओं के नए क्षितिज असीम हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन नई ऊंचाइयों को छू रहा है और उत्कृष्टता के नए आयाम स्थापित कर रहा है। इस वर्ष इसरो ने चंद्रयान-3 लॉन्च किया है, जो चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर चुका है और कार्यक्रम के अनुसार उसका विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर अगले कुछ ही दिनों में चंद्रमा पर उतरेंगे। हम सभी के लिए वह गौरव का क्षण होगा और मुझे भी उस पल का इंतजार है।

चंद्र अभियान अंतरिक्ष में हमारे भावी कार्यक्रमों के लिए केवल एक सीढ़ी है। हमें बहुत आगे जाना है। अंतरिक्ष अभियान ही नहीं बल्कि धरती पर भी हमारे वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकियां देश का नाम रोशन कर रहे हैं। अनुसंधान, नवाचार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए अगले पांच वर्षों में पचास हजार करोड़ रुपये की राशि के साथ सरकार द्वारा अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन स्थापित किया जा रहा है। यह फाउंडेशन हमारे कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और अनुसंधान केंद्रों में रिसर्च एंड डेवलपमेंट को आधार प्रदान करेगा।”

रविवार को राजधानी दिल्ली से जम्मू-कश्मीर समेत पूरे देश में तिरंगा यात्रा निकाली गई। वहीं, पीएम नरेंद्र मोदी ने हर घर तिरंगा अभियान के तहत लोगों से सोशल मीडिया खातों की डीपी तिरंगा लगाने की अपील की है। पीएम मोदी ने भी अपनी डीपी बदल दी है। उन्होंने लोगों से तिरंगे के साथ अपनी तस्वीरें www.harghartiranga.com पर अपलोड करने का भी आग्रह किया है।

वहीं, इस बार 77वें स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में भारी भीड़ जुटने की उम्मीद है, क्योंकि इस बार कार्यक्रम में कोविड-19 को लेकर कोई प्रतिबंध नहीं हैं। सरकार ने पीएम किसान योजना के लाभार्थियों समेत 1,800 विशेष मेहमानों को आमंत्रित किया है। इसके अलावा, प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश से 75 जोड़ों को भी उनकी पारंपरिक पोशाक में लाल किले पर समारोह देखने के लिए आमंत्रित किया गया है।

लाल किले पर समारोह में भाग लेने के लिए आमंत्रित इन विशेष अतिथियों में 660 से अधिक गांवों के 400 से अधिक सरपंच शामिल हैं। इसके साथ ही किसान उत्पादक संगठन योजना से 250; प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना एवं प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के 50-50 प्रतिभागी इसमें शामिल हैं। वहीं, नई संसद भवन सहित सेंट्रल विस्टा परियोजना के 50 श्रम योगी (निर्माण श्रमिक); 50-50 खादी कार्यकर्ताओं, सीमा सड़कों के निर्माण, अमृत सरोवर और हर घर जल योजना में शामिल लोगों के साथ-साथ प्राथमिक विद्यालय के 50-50 शिक्षकों, नर्सों और मछुआरों को भी आमंत्रित किया गया है।

इनमें से कुछ विशेष अतिथियों का दिल्ली प्रवास के दौरान राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का दौरा करने और रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट से मुलाकात करने का कार्यक्रम है। माना जा रहा है कि इस बार 20,000 से अधिक अधिकारी और नागरिक आजादी के जश्न में शिरकत करेंगे।

सुरक्षा की दृष्टि से लाल किला मेट्रो स्टेशन का गेट नंबर तीन और चार बंद रहेगा जबकि दूसरी तरफ के गेट लोगों के लिए खुले रहेंगे। संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखने के लिए लगभग 300 इमारतों की पहचान की गई है, जहां आधुनिक हथियार और दूरबीन के साथ जवान तैनात रहेंगे।

What’s your Reaction?
+1
0
+1
1
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
- Advertisement -

Recent Comments