Monday, August 18, 2025
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निजी अस्पतालों की कारगुजारी मेडिकल को पड़ रही भारी

  • कोरोना के इलाज के नाम पर आपदा को धंधा बनाने पर तुले निजी अस्पताल

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: कोरोना आपदा को अवसर में बदलने में उतारु कुछ निजी अस्पतालों की कारगुजारी मेडिकल व जिला प्रशासन को भारी पड़ रही है। इनकी वजह से मौत के आंकड़ों में उछाल आ गया है।

इस कारगुजारी पर सबसे पहले मेडिकल प्राचार्य डा. ज्ञानेन्द्र कुमार का ध्यान दिया। प्रशासन के आला अधिकारियों के संज्ञान में भी पूरा मामला लाया गया।

दरअसल, मेडिकल में कोविड-19 आइसोलेशन वार्ड में संक्रमितों के इलाज की तमाम माकूल इंतजामों के बाद भी मौत का आंकड़ा बढ़ने के कारण पर जब जांच की गयी तो दूध का दूध पानी का पानी हो गया।

इसके लिए पिछले 10 से 12 दिन के दौरान हुए मौतों का विश्लेषण किया गया। कोरोना संक्रमण के इलाज का दम भरने वाले कुछ प्राइवेट अस्पताल लाखों के पैकेज तो वसूल रहे हैं, लेकिन जहां तक इलाज की बात है, उसकी पोल मेडिकल प्रशासन द्वारा तैयार की गयी एक तकनीकि रिपोर्ट ने खोल कर रख दी है।

एल-1 व एल-2 संक्रमित जब एल-3 में पहुंच जाते हैं तो उन्हें मेडिकल का रास्ता दिखा दिया जाता है। हालात इतनी खराब होती है कि तमाम कोशिशों के बाद भी उसे बचा नहीं सकते हैं और मौत मेडिकल के खाते में दर्ज हो जाती है।

सितंबर माह में 60 मौत का अर्द्ध सत्य

माह सितंबर में मेडिकल में 13 सितंबर तक कुल 60 मौतें मेडिकल में हुई थीं। सबसे चौंकाने वाली बात तो ये है कि इनमें दो रोगियोें को मृत अवस्था में लाया गया था। 60 में से 20 अर्थात दो तिहाई रोगियों की मृत्यु अस्पताल पहुंचने के 12 घंटे की भीतर ही हो गयी। 29 रोगियों यानि आधे रोगियों ने 24 घंटे में दम तोड़ दिया। और कुल 40 यानि दो तिहाई की मौत 48 घंटे के अंदर हो गयी।

एंटी वायरल और बॉयोटिक का असर 48 घंटे में

मेडिकल के वरिष्ठ चिकित्सक डा. तुंगवीर सिंह आर्य बताते हैं कि गंभीर रोगियों के इलाज में प्रयोग की जाने वाली एंटी वायरल व एंटी बॉयोटिक दवाओं को असर दिखाने के लिए आमतौर पर 48 घंटे चाहिए। यदि रोगी लक्षण शुरू होने के तत्काल बाद मेडिकल लाया जाए तो उसके बचने की संभवना शत-प्रतिशत होती है।

हालत बिगड़ने पर मेडिकल रेफर

इस अवधि में जनपद के कुल 29 रोगियों की मृत्यु हुई है। इनमें से 14 रोगी पहले मेरठ के दूसरे प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती रहे। हालात बिगड़ने पर ही उन्हें मेडिकल रेफर किया गया। मेरठ के अतिरिक्त दूसरे जिलों से आने वाले कुल 33 रोगियों की मृत्यु हुई। इनमें से पांच रोगी सीधे मेडिकल लाए गए थे और 13 मेडिकल आने से पूर्व किसी प्राइवेट अस्पताल में इलाज करा रहे थे। हालत बिगड़ने पर मेडिकल रेफर किया गया। 12 रोगियों को दूसरे जिलों के सीएमओ ने मेडिकल के लिए रेफर किया था।

मृत अवस्था में लाए गए

पवन कुमार वर्मा (59) पुत्र ओम प्रकाश वर्मा निवासी शास्त्रीनगर मेरठ को परिजनों ने पहले आनंद हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। वहां से इन्हें क्रिटिकल अवस्था में मेडिकल रेफर किया गया। आनंद हॉस्पिटल से मेडिकल की दूरी बामुश्किल दो सौ मीटर की रही होगी। मेडिकल पहुंचते पहुंचते रोगी ने दम तोड़ दिया।

केस एक

जगदीश प्रसाद (62) पुत्र राम स्वरूप निवासी छपरौली जिला बागपत। इसको अत्यंत क्रिटिकल हालत शुगर व कोविड से पीड़ित होने में लाया गया। भर्ती होने के 24 घंटे में मौत हो गयी।

केस दो

सूरजमुखी (68) पत्नी चंद्र प्रकाश निवासी देवपुरी सदर कोतवाली बुलंदशहर इनको बेहद क्रिटिकल अवस्था में लाया गया था।

ये कहना है मेडिकल प्राचार्य का

मेडिकल प्राचार्य डा. ज्ञानेन्द्र कुमार ने बताया कि चार्ज लेने के बाद उन्होंने सबसे पहला काम मौत के बढ़ते आंकड़ों का कारण खोजने का किया। इसके बाद पूरा मामला मंडलायुक्त व जिलाधिकारी के संज्ञान में लाया गया। सिम्टम नजर आते ही तत्काल मेडिकल लाया जाए परिणाम अच्छा आएगा।

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