एक प्रसिद्ध सूक्ति है कि व्यक्ति को प्रवृत्ति ही नहीं, परिणाम को भी देखना चाहिए। जो परिणाम को देखता है, वह सही निर्णय कर सकता है। परिणाम पर विचार नहीं करने वाला, अच्छे-बुरे का निर्णय नहीं कर सकता। एक नासमझ व्यक्ति आग में हाथ डाल देता है। हाथ जल जाने पर उसकी समझ में आता है कि आग में हाथ डालना अच्छी बात नहीं, इसमें खतरा है। दोबारा फिर ऐसी हरकत करने से पूर्व वह दस बार सोचेगा। हमें परिणाम देखना चाहिए। प्रसिद्ध दार्शनिक बुर्श बार्टन ने अपने इतिहासकार मित्र से पूछा, ‘क्या तुम मुझे विश्व के छह प्रमुख व्यक्तियों के नाम बता सकते हो, जो अपने कार्यों से इतिहास पुरुष बने हों।’ मित्र ने छह व्यक्तियों के नाम गिनाए, ‘ईसा, बुद्ध, अशोक, अरस्तू, लिंकन और बेकन।’ पांच नाम तो बुर्श को जंच गए। किंतु अशोक का नाम उसे नहीं जंचा। बुर्श ने कहा, ‘अशोक का नाम प्रसिद्ध व्यक्तियों में कैसे? वह तो कायर आदमी था, जिसने युद्ध से डरकर मैदान छोड़ दिया।’ मित्र ने कहा, ‘यह तुम्हारा दृष्टिकोण हो सकता है, किंतु अशोक जैसा व्यक्ति इतिहास में अनोखा है। वह पहला व्यक्ति है, जिसने युद्ध के परिणामों को ठीक से समझा। युद्ध से हुए विनाश को उसने अपनी आंखों से देखा और उससे सीख भी ली। भविष्य के लिए वह युद्ध से पूर्ण रूप से विरत हो गया।’ यह एक सुंदर निदर्शन है हमारे सामने। हम हर समस्या को उसके परिणाम के आधार पर समझने का प्रत्यन करें। ऊपरी तौर पर देखने से कोई भी चीज समझ में नहीं आएगी, परिणाम गहराई से देखने पर ही पता चलते हैं।
समस्या और नतीजा
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