Wednesday, October 16, 2024
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कलाकारों के अभिनय से आज भी जीवंत है रामलीला

  • शारदीय नवरात्रों के साथ ही सनातन धर्म के सबसे बड़े त्योहार दीपावली से पहले रामलीला का किया मंचन

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: भारतीय संस्कृति लोक कलाओं के लिये विश्वभर में जानी जाती है। शारदीय नवरात्रों के साथ ही सनातन धर्म के सबसे बड़े त्योहार दीपावली से पहले रामलीला का मंचन किया जाता है। जिसमें दशहरे पर रावण दहन व वनवास के 14 वर्षों के बाद, प्रभु श्री राम की घर वापसी की खुशी में दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। मेरठ में यूं तो कुल छह जगह पर रामलीला का मंचन बाहर से बुलाए कलाकारों द्वारा किया जाता है, मगर पुराने शहर में आज भी पिछले 56 सालों से रामलीला का मंचन स्थानीय लोगों द्वारा पीढ़ी-दर-पीढ़ी होता आ रहा है।

रामलीला की खास बात ये है कि रामलीला के निर्देशक अनिल मसीह धर्म से ईसाई है, परन्तु इसके बावजूद वह पूरी रामलीला को निर्देशित करते हैं। रामलीला से एक माह पहले से वह कलाकारों को तैयारियां करानी आरम्भ कर देते हैं। जिसमें वह कलाकारों को रामायण से उनके डायलॉग, एक्टिंग व एक्सप्रेशन सिखाते हैं। सतीश यादव बताते हैं कि इस बार रामलीला मंचन में कुल 25 स्थानीय कलाकारों द्वारा रामलीला का मंचन किया जा रहा है, जिसमें 21 पुरुष एवं चार महिलाएं हैं। इस बार खास बात ये है कि अब से पहले सिर्फ पुरुष कलाकार ही महिला कलाकार का रोल अदा किया करते थे। मगर 56 सालों में पहली बार दर्पण कला केंद्र से चार महिला कलाकार नि:शुल्क सीता, कैकई व सूपर्णखा का किरदार निभाएंगी।

ये है इतिहास

पिछले 56 सालों से हो रही रामलीला के मंचन की कहानी भी रोचक है। दरअसल, पहले पंजाबी समाज द्वारा रामलीला का मंचन होता था। जिसमें राजबन के स्थानीय लोगों ने अभिनय करने की उत्सुकता दिखाई पर पंजाबी समाज ने इंकार कर दिया। जिसके बाद राजेश बंसल, देवी दयाल बंधु, मुकुंदी पहलवान, दुर्गा प्रसाद एवं वेद प्रकाश यादव ने रजबन बाजार के मैदान में रामलीला की नींव रखी। जिसमें राजबन इलाके के लोग पीढ़ी दर पीढ़ी रामलीला का मंचन करते आ रहे हैं। रामलीला मंचन की कला को जीवित रखने के लिए परिवार के लोग पीढ़ी दर पीढ़ी किरदारों को निभा रहे हैं। जिसमें आज युवा भी पीछे नहीं है।

विरासत में मिली मंचन की कला को युवा बखूबी निभा रहे हैं। मूलता मोनू राजपूत छावनी परिषद के कर्मचारी हैं, राम अमेजन स्टोर चलाते हैं, लक्ष्मण का किरदार पिछले पांच सालों से स्थानीय निवासी सौरभ कनोजिया निभा रहे हैं। इससे पहले उनके चाचा लक्ष्मण का किरदार निभाते थे, उन्हीं से प्रेरणा लेकर वह रामलीला से जुड़े। उनके दादा पहले दशरथ का अभिनय करते थे। उनके पिता ने लक्ष्मण का किरदार निभाया।

रावण का किरदार कमेटी में महामंत्री सतीश यादव बताते हैं कि वह पिछले 21 सालों से राम का किरदार निभा रहे थे। मगर रावण की लोकप्रियता को देखकर उनका मन परिवर्तित हुआ और पिछले पांच सालों से वह रावण का किरदार निभा रहे हैं। उन्होंने बताया कि आज रावण की लोक प्रसिद्धि ज्यादा होती है, लोग रावण के साथ सेल्फी लेना अधिक पसंद करते हैं। वहीं, हनुमान का किरदार सुभाष कनौजिया निभाते हैं।

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