- श्रीमद् भागवत भक्ति ग्रन्थ है और अध्यात्मिक दीप है, जो जीवन के प्रत्येक क्षणों को प्रकाशित करता रहता है और अंधेरे का मिटाता है कोहासा
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ के दौरान चिन्तक विचारक रमेश भाई ओझा ने कहा कि श्रीमद् भागवत भक्ति ग्रन्थ है व अध्यात्मिक दीप है, जो जीवन के प्रत्येक क्षणों को प्रकाशित करता रहता है। व अंधेरे का कोहासा मिटाता है। हम लोगों को प्रतिदिन इस ग्रंथ का पाठ करना चाहिए। हर व्यक्ति को एक ग्रंथ, पंथ संत व ईष्ट होना चाहिए। प्रेम कराए वही श्रेष्ठ धर्म है। भक्ति का अर्थ है भगवत प्रेम पर याद रहें। आकर्षण को प्रेम का नाम नहीं सकते। धर्म को ठीक से समझो तो समाधान नहीं तो समस्या हो जाता है।
भैंसाली मैदान में बनाएं गए भव्य पंडाल द्वार पर संत ध्वनि मंत्रोच्चार के साथ चिन्तक विचारक रमेश भाई ओझा का स्वागत हुआ। उनके व्यास पीठ पर विराजमान होने के बाद नित्य क्रियानुसार मुख्य यजमान श्री रामकिशोर सर्राफ श्रीमती बृजबाला श्री विपिन अग्रवाल श्रीमती अल्का अग्रवाल (मीनाक्षी ज्वैलर्स परिवार) ने भागवत जी की पूजा एवं भाईश्री की माल्यार्पण कर स्वागत किया। तत्पश्चात पूज्यश्री ब्रहमचारी राधिका नन्द, सरोजनी अग्रवाल, एमएलसी, डॉ. रामकुमार गुप्ता, राजेन्द्र सिंघल, संजीव मित्तल, वरुण बंसल, विनीता जैन, सुधीर गुप्ता, राम कृष्ण अग्रवाल, अजय गुप्ता (व्यापार संघ), नरेश व राकेश गर्ग ने व्यासपीठ को प्रणाम कर भाईश्री से आशीर्वाद प्राप्त किया।
इसके बाद भाईश्री ने कथा को विस्तार देते हुए कहा कि प्रेम वो मूल्य है जिसे चुकाकर मीरा ने गिरधर को प्राप्त किया। हिंसा से जिसके दिल में पीड़ा हो वह हिंदू है। संवेदनशीलता ही सनातन धर्म का सार है। अकारण हिंसा शास्त्र के साथ शस्त्र की भी पूजा भी की जाती है। उपचार में मरहम के साथ आॅपरेशन भी करना पड़ता है। महाभारत तो युद्ध का ही पर्याय बन गया। बांसुरी बजाने वाले देवकी नन्दन की पूजा के साथ-साथ सुदर्शन चक्र चलाने वाले श्रीकृष्ण को आदर्श माना है। धर्म और अधर्म में एक सूक्ष्म अन्तर है। एक सैनिक सीमाओं की रक्षा के लिए 50 लोगों को मार दें, तो उसको परमवीर चक्र मिलता है, लेकिन अपने घर में आकर अगर वह किसी के साथ यही व्यवहार करें तो उसे दंड मिलता है।
धर्म अमृत है जिसे विष बना दिया गया है। धर्म का संबंध करुणा और दया से है कट्टरता से नहीं। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत में 24 अवतारों को वर्णन है। जब धर्म हानि होती है भगवान अवतार लेते हैं। फिर उन्होंने कृष्ण जन कथा बडेÞ विस्तार से बताते हुये कहा कि भगवान ने देवकी के उदर से भादव मास में अष्टमी के दिन जन्म लिया। पर कृष्ण भगवान को राजा कंस के प्रकोप से वासुदेव जी यमुना नदी के माध्यम से गोकुल ले गये। वहां प्रात: जब भगवान ने बाल्य रूप में रोना शुरू किया, तो नंद बाबा समेत सब जाग गये।
शोर मच गया यशोदा मां को पुत्र हुआ है। एक-दूसरे को बधाई देने लगे, उत्सव होने लगे, बधाई गीत गाने लगे। पंडाल में भी सारे भक्त नृत्य करने लगे जय कारे लगाने लगे। फूल इत्यादि बरसाने लगे प्रसाद वितरित करने लगे। आयोजन मंडल ने बताया कि शुक्रवार को गोवर्धन पूजा उत्सव मनाया जायेगा। कथा समापन पर आरती हुई। कथा अध्यक्ष सतीश सिंघल, महामंत्री ज्ञानेन्द्र अग्रवाल, कोषाध्यक्ष अशोक गुप्ता, ब्रजभूषण गुप्ता, सुरेश गुप्ता, अन्नी भाई, अतुल अग्रवाल, मुकेश गुप्ता, अनिल लोहे वाले, विपिन अग्रवाल अपने सहयोगियों कर्तव्यनिष्ठ व्यक्तियों के साथ उपस्थित रहे।