नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। आज देशभर में सावन शिवरात्रि मनाई जा रही है। सावन शिवरात्रि पर व्रत रखने वाले भक्तों को व्रत कथा जरूर सुनना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कथा का पाठ करने से सावन शिवरात्रि व्रत का पूर्ण फल मिलता है। मान्यता है कि इस दिन शिवरात्रि व्रत कथा का पाठ करने से भक्तों को बहुत लाभ होता है और उनके जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। आइए इस लेख में सावन शिवरात्रि व्रत कथा के बारे में जानते हैं।
सावन शिवरात्रि व्रत कथा
प्राचीन कथा के अनुसार वाराणसी के घने जंगल में गुरुद्रुह नाम का एक भील शिकारी अपने परिवार के साथ रहता था। एक दिन गुरुद्रुह शिकार करने के लिए निकल पड़ा लेकिन उसके हाथ एक भी शिकार नहीं लगा। लंबे समय तक इंतजार करने के बाद वो जंगल में शिकार की तलाश करता हुआ एक बेल के पेड़ पर चढ़ गया। जिस पेड़ पर गुरुद्रुह चढ़ा था उस पेड़ के नीचे पहले से ही एक शिवलिंग स्थापित था। कुछ देर बाद वहां भटकती हुई एक हिरनी आई, जैसे ही गुरूद्रुह ने हिरनी को देखा उसने तीर-धनुष तान लिया, मगर तीर हिरनी को लगता उससे पहले ही उसके पास रखा जल और पेड़ से बेलपत्र शिवलिंग पर जा गिरा। ऐसे में गुरुद्रुह ने अंजाने में शिवरात्रि के पहले पहर की पूजा की।
जब हिरनी ने शिकारी को देखा तो उससे कहा कि मेरे बच्चे मेरी बहन के पास इंतजार कर रहे हैं, मैं उन्हें सुरक्षित जगह छोड़कर दोबारा आती हूं। कुछ समय बाद हिरनी की बहन वहां से गुजरी और उस समय भी गुरूद्रुह ने अनजाने में महादेव की उसी प्रकार से दूसरे पहर की पूजा कर ली। हिरनी की बहन ने भी वही दुहाई देते हुए शिकारी से वापस आने का वादा किया। दोनों हिरनियों को खोजता हुआ जब तीसरे पहर में हिरन पहुंचा, तो इस बार भी ऐसी ही घटना घटित हुई और शिवरात्रि के तीसरे पहर की भी पूजा शिकारी ने अनजाने में कर ली। हिरण ने भी बच्चों की दुहाई देते हुए कुछ समय बाद आने का वादा किया।
तीन पहर बीतने के बाद तीनों हिरन-हिरनी वादे के मुताबिक शिकारी के पास वापस लौट आए। मगर इस बीच भूख से तड़तपते हुए पेड़ से बेलपत्र तोड़ते तोड़ते वो नीचे शिवलिंग पर डालने लगा और इस तरह चौथे पहर की भी पूजा हो गई। चारों पहर भूखा-प्यासा रहते हुए और अंजाने में भगवान की पूजा करके गुरुद्रुह के सभी पाप धुल गए। तब भगवान शिव ने प्रत्यक्ष रूप से दर्शन देकर उन्हें आशीर्वाद दिया कि त्रेतायुग में भगवान विष्णु के अवतार श्री राम उसके घर पधारेंगे और उसे मोक्ष की प्राप्ति मिलेगी। इस प्रकार अनजाने में किए गए शिवरात्रि व्रत से भगवान शंकर ने शिकारी को मोक्ष प्रदान कर दिया।