Friday, July 5, 2024
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आउटसोर्सिंग संविदा कर्मियों की भर्ती में घपला

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  • सेवायोजन पोर्टल के जरिए होनी चाहिए नियुक्तियां
  • पिछले छह माह में 100 से ज्यादा लोगों की हुई भर्ती सरकार को लगाया जा रहा चूना

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज में नर्सिंग स्टॉफ की भारी कमी है जिसके चलते मरीजों को भी परेशानी होती है। इस कमी को पूरा करने के लिए आउटसोर्सिंग संविदा कर्मियों की नियुक्ति होती है, लेकिन यह केवल सेवायोजन पोर्टल पर वैकेंसी निकालने के बाद ही संभव है। बावजूद इसके नियमों को ताक पर रखकर बिना वैकेंसी निकाले ही संविदा कर्मियों को रखा जा रहा है। इसके बदले मोटा सुविधा शुल्क वसूला जा रहा है।

मेडिकल कॉलेज में मरीजों की देखभाल के लिए तमाम तरह का स्टॉफ मौजूद है, लेकिन आज भी नर्सिंग स्टॉफ की कमी है। इसके चलते वार्डों में भर्ती मरीजों के इलाज में भी मेडिकल प्रशासन को परेशानी हो रही है। वहीं, लंबे समय से परमानेंट नर्सिंग स्टॉफ की नियुक्तियों पर रोक है। जिस वजह से आउटसोर्सिंग नर्सिंग स्टॉफ रखा जाता है। इसका ठेका प्रयागराज की जीत एचआर कंपनी के पास है। कंपनी द्वारा संविदा कर्मियों की नियुक्ति से पहले सेवायोजन पोर्टल पर वैकेंसी निकालने का नियम है। वैकेंसी के बाद जितने पद होते है उनमें से एक पर तीन लोग आवेदन कर सकते हैं।

इसके बाद जिन तीन लोगों का इंटरव्यू के लिए चयन होता है। उन्हें अखबार में सूचना निकालकर जानकारी दी जानी चाहिए कि इंटरव्यू किस तारीख को है, लेकिन पिछले छह माह से कंपनी ने किसी भी नियम का पालन नहीं किया है। जबकि अभी तक 100 वार्ड ब्वॉय व नर्सों की तैनाती हो चुकी है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पीएमआरवाई के लिए रखे जाने वाले नर्सिंग स्टॉफ का वेतन 23 हजार पांच सौ जबकि पुरानी बिल्डिंग के लिए रखे जाने वाले नर्सिंग स्टॉफ का 16 हजार पांच सौ निर्धारित है, लेकिन कर्मचारियों को यह वेतन नहीं दिया जाता है।

जिसको लेकर अक्सर मेडिकल में नर्सिंग स्टॉफ के हंगामे की खबरे सामने आती रहती है। मिली जानकारी के अनुसार मेडिकल में आठ सौ नर्सिंग स्टॉफ की आवश्यकता है। लेकिन महज तीन से चार सौ के करीब ही रखे जाते है। वहीं जिनको नियमों के विपरीत रखा जाता है उनसे भी मोटा सुविधा शुल्क वसूला जाता है। जबकि शासन को कंपनी द्वारा ज्यादा संविदा कर्मियों की नियुक्ति दिखाकर लाखों रुपये का हर माह घोटाला किया जाता है। मामले को लेकर जीत एचआर कंपनी के मालिक सुजीत दूबे से बात करने की कोशिश की गई तो उनसे बात नहीं हो सकी।

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