Tuesday, January 14, 2025
- Advertisement -

विद्वान और राजा

Amritvani

कई वर्ष पहले धार में राजा भोज का शासन था। उस राज्य में एक गरीब विद्वान रहता था। आर्थिक तंगी से घबराकर एक दिन विद्वान की पत्नी ने उससे कहा-आप राजा भोज के पास क्यों नहीं जाते? वह विद्वानों का बड़ा आदर करते हैं। हो सकता है आपकी विद्वता से प्रभावित होकर वह आपको ढेर सारा धन दे दें। विद्वान राजा के दरबार में पहुंचा। पहरेदार ने पूछा-आप कौन हैं? कहां जाना है? विद्वान ने कहा- जाओ राजा से कहो कि उनका भाई आया है। पहरेदार ने जब भोज को यह बात बताई तो वह सोचने लगे-मेरा तो कोई भाई है नहीं है फिर कौन हो सकता है। कहीं कोई धूर्त तो नहीं। उनकी उत्सुकता जागी। उन्होंने विद्वान को बुलवा लिया। भोज ने विद्वान से पूछा-क्या तुम मेरे भाई हो? किस नाते से? विद्वान ने कहा-मैं आपका मौसेरा भाई हूं। आपकी मौसी का लड़का। भोज ने पूछा, कैसे? मेरी तो कोई मौसी नहीं है। विद्वान बोला-महाराज। आप संपत्ति माता के पुत्र हैं और मैं विपत्ति माता का पुत्र। संपत्ति और विपत्ति बहनें हैं। इस नाते मैं आपका मौसेरा भाई हुआ न। यह सुनकर भोज बेहद प्रसन्न हुए। उन्होंने ढेर सारी स्वर्ण मुद्राएं विद्वान को दीं। फिर भोज ने पूछा- मेरी मौसी तो कुशल हैं न? इस पर विद्वान ने जवाब दिया-राजन, जब तक आपकी मौसी जीवित थीं, आपके दर्शन नहीं हुए थे। अब आपके दर्शन हुए तो आपकी मौसी स्वर्ग सिधार गर्इं। इस उत्तर से भोज को और भी प्रसन्नता हुई। उन्होंने विद्वान को गले से लगा लिया।

janwani address 2

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

आजादी के बाद का वह पहला कुंभ

इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में जब भी कुंभ या महाकुंभ...

उच्च शिक्षा और युवा शक्ति

बीसवीं सदी के अंत में पैदा हुए बच्चे वह...

कॅरियर में असफलता बन सकती है सफलता की सीढ़ी

करियर या नौकरी में अक्सर कई लोगों को कुछ...

Baghpat News: मकर संक्रांति पर श्रद्धालुओं ने लगाई यमुना में आस्था की डुबकी

जनवाणी संवाददाता | बागपत: मकर संक्रांति के महापर्व पर श्रद्धालुओं...
spot_imgspot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here