Wednesday, July 3, 2024
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चंद्रयान की सफलता के पीछे विज्ञान या धर्म?

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ashok madhupहम भारतीयों के लिए धर्म प्रधान है। आस्थाएं सर्वोपरि हैं। ईश्वर सबसे बड़ा है। विज्ञान ईश्वर को नहीं मानता पर भारत के निवासी ही नही ंभारत के वैज्ञानिक भी ईश्वर को मानते हैं। प्रत्येक अच्छा कार्य करने से पूर्व कार्य की सफलता के लिए सब ईश्वर से प्रार्थना करते हैं। ऐसा ही चंद्रयान के साथ हुआ। चंद्रयान छोड़ने से पूर्व ईश्वर से इसकी सफलता के लिए प्रार्थना की गई तो चंद्रयान के चांद पर सफलतापूर्वक उतरने के लिए उतरने के अंतिम दिन 23 अगस्त को पूरे देश ने सामूहिक प्रार्थना की । चंद्रयान तीन की सफलता को क्या माना जाए?

विज्ञान की कामयाबी, प्रभु की कृपा दुनिया भर में बसे भारतीयों की दुआ का असर? या मान लिया जाए कि चंद्रयान के सफलतापूर्वक चांद पर पहुंचने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों की मेहनत, ईश्वर की कृपा और भारतीयों की दुआ, सबका मिला-जुला असर रहा। इन्हीं तीन की बदौलत ये कामयाबी की कथा लिखी गई।

अबतक चांद पर अमेरिका रूस और चीन ही पहुंचा था। भारत चांद पर पंहुचने वाला चौथा देश और चांद के साउथ पोल पर उतरन वाला पहला देश बन गया। इस उपलब्धि से स्पेस मार्किट में भारत के लिए संभावनाएं पहले से अधिक बढ़ गर्इं हैं। भारत ने स्पेस में अमेरिका सहित कई बड़े देशों का एकाधिकार तोड़ा है।

पूरी दुनिया में सैटेलाइट के माध्यम से टेलीविजन प्रसारण, मौसम की भविष्यवाणी और दूरसंचार का क्षेत्र बहुत तेज गति से बढ़ रहा है, क्योंकि ये सभी सुविधाएं उपग्रहों के माध्यम से संचालित होती हैं, इसलिए संचार उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित करने की मांग में बढ़ोतरी हो रही है। इस क्षेत्र में चीन, रूस, जापान आदि देश प्रतिस्पर्धा में हैं, लेकिन यह बाजार इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि यह मांग उनके सहारे पूरी नहीं की जा सकती।

ऐसे में चंद्र्रयान-3 की कम बजट में सफल लैंडिंग के बाद व्यवसायिक तौर पर भारत के लिए संभावनाएं पहले से अधिक बढ़ गर्इं हैं। कम लागत और सफलता की गारंटी इसरो की सबसे बड़ी ताकत बन गई है। भारत अब 200 अरब डालर के अंतरिक्ष बाजार में एक महत्वपूर्ण देश बनकर उभरा है।

चांद और मंगल अभियान सहित अपने 100 से ज्यादा अंतरिक्ष अभियान पूरे करके इसरो पहले ही इतिहास रच चुका है। भविष्य में अंतरिक्ष में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, क्योंकि यह अरबों डालर की मार्किट है। कुछ साल पहले तक दूसरे देशों की स्पेस कंपनी की मदद से भारत अपने उपग्रह छोड़ता था, पर अब वह ग्राहक के बजाय साझीदार की भूमिका में पहुंच गया है।

अब तो वह दूसरे देशों की सैटेलाइट लांच कर रहा है। इसी तरह भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब हमारे यान अंतरिक्ष यात्रियों को चांद, मंगल या अन्य ग्रहों की सैर करा सकेंगे।

इसरो के मून मिशन, मंगल अभियान, स्वदेशी स्पेस शटल की कामयाबी और अब चंद्रयान-3 की सफलता के बाद इसरो के लिए संभावनाओं के नये दरवाजे खुल जाएंगे, जिससे भारत का निश्चित रूप से स्पेस में वर्चस्व पहले से अधिक बढ़ जाएगा।

इस सफलता के लिए अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख दीवान सैयद जैनुल आबेदीन ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता भारत का सम्मान और गौरव है। भारतीय होने के नाते वह भी गौरवान्वित व धन्य महसूस कर रहे हैं। जयपुर वैक्स म्यूजियम (जयपुर मोम संग्रहालय) ने पर्यटकों के साथ चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर उतरने का जश्न मनाया। इस अद्भुत ऐतिहासिक क्षण का स्पेस शटल के टीवी सेट पर सीधा प्रसारण किया गया।

स्पेस सूट पहने बच्चों ने पूरे दिन तिरंगे के साथ तस्वीरें खिंचवार्इं। कई दिन से भारतवासियों निगाहें चंद्रयान-3 की तरफ टिकी हुई है। जगह-जगह लोग चंद्रयान की सफल लैंडिंग को लेकर प्रार्थना कर रहे थे। मिशन चंद्रयान-3 के चांद पर उतरने के दिन तो इसकी सफलता के लिए देशभर में प्रार्थनाएं की गई।

महारूद्राज्ञ यज्ञ हुए। दुआएं हुर्इं। अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख एस सोमनाथ ने ‘चंद्रयान-3’ मिशन के प्रक्षेपण से पहले सुल्लुरपेटा स्थित श्री चेंगलम्मा परमेश्वरिनी मंदिर में पूजा-अर्चना की। काली टी-शर्ट पहने सोमनाथ ने श्रीहरिकोटा से 22 किलोमीटर पश्चिम में तिरुपति जिले में स्थित मंदिर में पूजा की।

पूजा और दर्शन के बाद सोमनाथ ने कहा, ‘मुझे चेंगलम्मा देवी के आशीर्वाद की जरूरत है…मैं यहां प्रार्थना करने और इस मिशन की सफलता के लिए आशीर्वाद लेने आया हूं।’ 23 अगस्त की शाम 40 दिन का भारत का इंतजार आखिरकार खत्म हुआ। पृथ्वी से चंद्रमा तक 3.84 लाख किलोमीटर का सफर तय करने के बाद चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम चंद्रमा की धरती पर कामयाबी के साथ उतर गया। इसी के साथ भारत चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला रूस, अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा देश बन गया है।

वहीं, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पर उतरने वाला दुनिया का पहला देश बनकर इतिहास रच दिया। चंद्रयान तीन की इस सफलता को क्या माना जाए। विज्ञान की कामयाबी, प्रभु की कृपा, खुदा की मेहरबानी, ईसा मसीह का आशीर्वाद या दुनिया भर में बसे भारतीयों की दुआ का असर? या चंद्रयान-3 की इस कामयाबी के पीछे तीनों का हाथ स्वीकारा जाए।

मान लिया जाए कि चंद्रयान के सफलतापूर्वक चांद पर पहुंचने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों की मेहनत, ईश्वर की कृपा और भारतीयों की दुआओं सबका मिला-जुला असर रहा। भारतीय वैज्ञानिकों ने चंद्रयान एक और दो के समय भी मेहनत की थी। दोनों अभियानों की सफलता के लिए उस समय भी भारतीयों ने दुआ की थी। पर वे अभियान कामयाब नहीं हुए। लगता है कि उस समय प्रभु की कृपा नहीं थी।


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