- लगातार हो रहे हादसे और आए दिन लगता है जाम अस्पताल प्रबंधन बेखबर
जनवाणी संवाददाता |
मोदीपुरम: एनएच-58 स्थित एसडीएस ग्लोबल अस्पताल पार्किंग के नाम पर हाइवे की सर्विस रोड का प्रयोग कर रहा है। सर्विस रोड पर अस्पताल की पार्किंग बनी हुई है। यहां से निकलना दूभर हो रहा है, लेकिन अस्पताल प्रबंधन पर इसका कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है। हाइवे पर स्थित इस अस्पताल को देख कर तो ऐसा लगता है कि यह अस्पताल मानकों के अनुरूप होगा, लेकिन स्थिति कुछ अलग ही देखने को मिल रही है। अस्पताल तो बना दिया गया है, लेकिन अस्पताल की पार्किंग नहीं बनाई गई है। इससे अस्पताल में आने जाने वाले वाहनों को अस्पताल के बाहर खड़ा कर दिया जाता है और वहां जाम की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
इसके अलावा दुर्घटनाएं भी बढ़ रही है, लेकिन ऐसे में अस्पताल प्रबंधन द्वारा कोई भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इस संबंध में अस्पताल प्रबंधन से बात करने की कोशिश की गई तो उनसे बात नहीं हो सकी। अस्पताल पार्किंग स्टैंड बन गया है। वाहन पार्किंग की व्यवस्था न होने से तीमारदार कहीं भी वाहन खड़ा कर देते हैं, कुछ लोग मार्केट में खरीदारी के पहले यहां वाहन छोड़ देते हैं। कारण है कि अस्पताल के पास अपनी पार्किंग व्यवस्था नहीं है, लेकिन जिम्मेदार इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं।
एसीएम कार्यालय ध्वस्त, अधिकारियों का दफ्तर कराया खाली
मेरठ: कलेक्ट्रेट स्थित एडीएम ब्लॉक के कार्यालयों को तोड़ने का कार्य तेजी से चल रहा है। सबसे पहले एसीएम कार्यालय को ध्वस्त किया गया है। जबकि अभी केवल दो कार्यालयों को खाली कराकर शिफ्ट किया गया है। एडीएम सिटी के मुताबिक इसी सप्ताह सभी कार्यालयों को खाली कराकर उन्हें शिफ्ट करा दिया जाएगा। अब एडीएम एलए के कार्यालय को आईआईटी परिसर में शिफ्ट किया गया। कलेक्ट्रेट परिसर स्थित एडीएम ब्लॉक की जर्जर भवनों को तोड़कर वहां नए तीन मजिंला कार्यालय और न्यायालय बनाए जाने है। इसको लेकर कई दिनों से जर्जर भवन को तोड़ने का कार्य ठेकेदार की ओर से किया जा रहा है।
एडीएम ब्लॉक में स्थित एसीएम के कार्यालय को पूरी तरह से जमींदोज कर दिया गया। इसके मलबे को ठेकेदार साथ के साथ वहां से उठवा रहा है, ताकि निर्माण कार्य भी जल्द ही शुरू हो सके। एडीएम नगर बृजेश कुमार सिंह ने बताया कि अभी तक एडीएम एलए और चकबंदी अधिकारी मेरठ के कार्यालय को खाली कराया गया है। चकबंदी अधिकारी के कार्यालय को उन्हीं के सामने शिफ्ट किया गया, जबकि एडीएम एलए के कार्यालय को आईआईटी परिसर में शिफ्ट किया गया है। वहीं, बैठकर वह कार्य कर रहे है। उन्होंने बताया कि एडीएम ब्लॉक के कुल 13 कार्यालयों को पूरी तरह से ध्वस्त किया जाएगा। इसके बाद नए भवनों का निर्माण होगा।
जिसमें भूतल पर पार्किंग की सुविधा होगी, जबकि द्वितीय और तृतीय तल पर अधिकारियों के कार्यालय व न्यायालय होंगे। इनमें अपर जिलाधिकारी नगर, अपर जिलाधिकारी भूमि अध्याप्ति, विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम, अपर नगर मजिस्ट्रेट तृतीय, अपर नगर मजिस्ट्रेट चतुर्थ, संयुक्त निदेशक अभियोजन, जिला अभियोजन अधिकारी, सीआरसी जिला निबंधक, उप संचालक चकबंदी, उप नियंत्रक नागरिक सुरक्षा, चकबंदी अधिकारी मेरठ और उप निबंधक व सहायक महानिरीक्षक निबंधन के कार्यालय शामिल है। 23 करोड़ रुपये की लागत से यहां तीन मंजिला नया कार्यालय कॉम्प्लेक्स तैयार होगा। उन्होंने बताया कि कार्यालयों को तोड़ने का कार्य 19 नवंबर को शुरू किया गया था।
हाईकोर्ट ने विजिलेंस से छीनकर पुलिस को सौंपी जांच
मेरठ: हाईकोर्ट ने नगर निगम के कर्मचारी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले की जांच विजिलेंस से छीन ली गई है। दरअसल, इस मामले में शासन ने बिजिलेंस को जांच सौंपी थी। शासन से आयी इस जांच में विजिलेंस की इंस्पेक्टर मंजुलता कुशवाह ने मामले में 27 जनवरी को अपने यहां एफआईआर दर्ज की थी। एफआईआर के बाद डिप्टी एसपी ने अश्वनी शर्मा को मामले की फाइल सौंप दी गयी थी। नियमानुसार किसी भी मामले में एफआईआर के 90 दिन बाद चार्जशीट दायर कर दी जानी चाहिए, लेकिन 90 दिन बाद चार्जशीट दाखिल नहीं की जा सकी।
ये है मामला
नगर निगम के लिपिक धर्मेंद्र पर आरोप है कि उन्होंने लोकसेवक के रूप में कार्य करते हुए आय से अधिक संपत्ति अर्जित की। इस पूरे मामला का खुलासा आरटीआई एक्टिविस्ट बीके गुप्ता ने किया था। उन्हीं की शिकायत पर शासन ने जांच बिजिलेंस को सौंपी थी। जिसके बाद आरोपी के खिलाफ विजिलेंस ने मामला दर्ज कर लिया था, लेकिन बीके गुप्ता का आरोप है कि बाकि की कार्रवाई करना अफसर भूल गए।
हाईकोर्ट से शिकायत
विजिलेंस के जांच अधिकारी पर खेल का आरोप लगाते हुए शिकायत करने वाले बीके गुप्ता हाईकोर्ट चले गए थे। उनके द्वारा की गई शिकायत की गंभीरता समझते हुए हाईकोर्ट ने अब इस मामले में एसपी मेरठ को जांच कर आरोपी के खिलाफ एफआईआर के आदेश दिए हैं। कोर्ट के आदेश की एक कॉपी शिकायतकर्ता ने मेरठ पुलिस को मुहैय्या करा दी है।
ईडी से भी शिकायत
लिपिक के मामले को लेकर बीके गुप्ता ने एक शिकायत ईडी को भी भेजी है। माना जा रहा है कि इसके चलते आने वाले दिनों में निगम के लिपिक को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। वहीं दूसरी ओर हाईकोर्ट द्वारा मामले पर संबंधित अफसरों से रिपोर्ट तलब किए जाने के बाद हड़कंप मचा हुआ है।