जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: आगामी कुछ दिन जेमिनिड उल्का वृष्टि को लेकर बेहद खास रहने वाले हैं। एक पखवाड़े तक सक्रिय रहने वाली यह उल्का वृष्टि बुधवार की शाम को यह अपने चरम पर होगी। इस उल्का वृष्टि के भव्य प्रकाश (आकाश में वह स्थान जहां से वे उत्पन्न होते हैं) को देखने के लिए किसी व्यक्ति को मिथुन (जेमिनी) तारामंडल की ओर देखना होगा, जिसके कारण इस वृष्टि को ‘जेमिनिड्स’ कहा जाता है।
जेमिनिड्स के अभूतपूर्व दृश्य में चंद्रमा दखल देगा
जेमिनिड साल की सबसे अच्छी उल्का वृष्टि होती है जो हर साल दिसंबर में आसमान की शोभा बढ़ाती है। भौतिक शास्त्रियों के मुताबिक, इस बार जेमिनिड्स के अभूतपूर्व दृश्य में चंद्रमा दखल देगा। हालांकि आधी रात के आसपास या उससे पहले (जहां आप रहते हैं उस पर निर्भर करता है) चंद्रमा का प्रकाश इस अभूतपूर्व दृश्य को कम कर सकता है।
सामान्य उल्का वृष्टि के लिए यह घातक हो सकता है लेकिन जेमिनिड्स इतने शक्तिशाली होते हैं कि चांद की चकाचौंध से लड़ते हुए भी वे शानदार दृश्य उपलब्ध करा सकते है। बुधवार को खुले आसमान में इसे खुले मैदानों या पहाड़ी क्षेत्रों में आसानी से देखा जा सकता है। अन्य जगहों पर ये वर्षा दिखाई तो देगी लेकिन स्पष्ट होना जरूरी नहीं है।
चट्टानी धूमकेदु के टुकड़े हैं जिमिनिड्स
जेमिनिड्स चट्टानी धूमकेतु के टुकड़े होते हैं। हमारा सौरमंडल मलबे से भरा हुआ है। इस मलबे में धूमकेतु और पृथ्वी के समीप क्षुद्रग्रह शामिल है जिनकी सूर्य के आसपास की कक्षाएं खुद पृथ्वी को पार करती हैं। धूमकेतु और क्षुद्रग्रह दोनों हमारे सितारे के आसपास घूमते हुए अंतरिक्ष में धूल और मलबा पैदा करते हैं।
जेमिनिड्स का जन्म 3200 फेथॉन नामक एक क्षुद्रग्रह से हुआ है। फेथॉन पर चट्टानों का विस्तार होता है और वे गर्मी के संपर्क में आकर टूटती हैं, उसके बाद अंतरिक्ष में मलबा पैदा करती हैं। हजारों वर्ष में यह मलबा फेथॉन की कक्षा के आसपास फैल गया है जिससे एक विशाल ट्यूब बन गई है। जब पृथ्वी सूर्य के निकट जाती है तो हर साल दिसंबर में हम इस मलबे से गुजरते हैं और हमारे वातावरण में इसके जलने से (हालांकि इसमें कोई आग नहीं होती) जेमिनिड उल्का वृष्टि होती है।
चंद्रमा उदय या उससे कुछ क्षण पहले देखें
इस पखवाड़े के ज्यादातर वक्त जेमिनिड्स सक्रिय होते हैं। उस समय पृथ्वी फेथॉन की मलबे की धारा के बाहरी क्षेत्रों से गुजरेगी, जहां धूल व्यापक रूप से फैलती है। लेकिन करीब 24 घंटे के लिए 14 दिसंबर की शाम को पृथ्वी उल्का धारा के सबसे घने हिस्से से गुजरेगी और तभी इस घटना का सबसे अच्छा दृश्य दिखेगा। इस साल इसे देखने का सबसे सही समय चंद्रमा उदय की घड़ी या उससे कुछ क्षण पहले हो सकता है।