Sunday, May 11, 2025
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बसपा की तैयारी देख राजनीतिक दलों के उड़े होश

जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉट कॉम वेबसाइट पर आपका अभिनंदन और स्वागत है। यूपी में नगर निकाय की चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों में सरगर्मियां बढ़ गयी हैं। लगातार चुनावों में मिल रही हार के बीच बहुजन समाज पार्टी नए सिरे से रणनीति बना रही है। बसपा ने मायावती की नई रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। बता दें कि 20 दिसंबर के बाद कभी भी चुनाव का एलान हो सकता है। 20 तक इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करने पर रोक लगाई है।

बहुजन समाज पार्टी ने बनाई यह रणनीति

नगर निकाय चुनाव के लिए बसपा की रणनीति समझने के लिए हमने पार्टी के एक राष्ट्रीय नेता से बात की। उन्होंने कहा, ‘पिछले चुनावों में खराब प्रदर्शन की समीक्षा हो चुकी है। इसलिए अब नई रणनीति के तहत बहन मायावती की अगुआई में आगे बढ़ेंगे।’ बसपा नेता ने आगे कहा, ‘पार्टी दलित-पिछड़े और अल्पसंख्यकों के लिए संघर्ष करती रही है और अब इन्हीं की बदौलत फिर से चुनावी मैदान में उतरेगी। इसके लिए काम शुरू हो चुका है।’

बढाई जायेगी दलित-मुस्लिम की भागीदारी

बसपा ने वापस मुसलमानों को साथ लाने का काम शुरू किया है। सूबे के बड़े मुसलमान नेताओं को पार्टी में शामिल कराया जाएगा। पार्टी में उनकी भागीदारी बढ़ाई जाएगी। दलित-मुसलमान गठजोड़ को फिर से मजबूत बनाया जाएगा।

बसपा से कॉडर वोटर्स पर रहेगी पैनी नजर

बहुजन समाज पार्टी से छिटके काडर वोटर्स को वापस लाने के लिए भी काम करेगी। इसके अलावा गैर यादव पिछड़े वोटर्स को भी बसपा से जोड़ने का भी प्रयास होगा। इसके लिए अलग-अलग जातियों के बड़े नेताओं को पार्टी में अहम पद दिया जाएगा।

युवाओं से सीधा संवाद करेंगे आकाश आनंद

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बसपा सुप्रीमो मायावती के भतीजे और राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद पार्टी को नया रूप देने की कोशिश में जुटे हैं। उनकी अगुआई में ही पार्टी दलित और पिछड़े वर्ग के युवाओं को जोड़ने का काम कर रही है। पार्टी में युवा, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्ग की भूमिका बढ़ाई जाएगी। तमाम दलित संगठनों को भी पार्टी से जोड़ा जाएगा।

बहुजन समाज पार्टी अगर अपनी रणनीति में कामयाब होती है तो भारतीय जनता पार्टी और सपा दोनों के मौजूदा वोट बैंक में सेंध लगेगी। बसपा से छिटकने के बाद बड़ी संख्या में दलित वोटर्स भाजपा के साथ चले गए थे। अब बसपा वापस इन्हें साधने की कोशिश में है। वहीं, मायावती की नजर मुस्लिम वोटर्स पर भी है। अभी ज्यादातर मुस्लिम वोट समाजवादी पार्टी को मिलता था।

ऐसे में अगर दलित और मुस्लिम वोटर्स वापस बसपा के साथ जुड़ जाते हैं तो इसका नुकसान भाजपा और सपा को ही उठाना पड़ेगा। वहीं, भाजपा ने भी पसमांदा मुसलमानों को जोड़ने के लिए सभा करने का फैसला लिया है। इससे भी सपा के वोट में सेंधमारी हो सकती है।

इलाहबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करने पर 20 दिसंबर तक रोक लगाई है। राज्य सरकार को भी आदेश दिया है कि तब तक अनंतिम आरक्षण की अधिसूचना को फाइनल न घोषित करें। कोर्ट ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को उचित आरक्षण का लाभ दिए जाने व सीटों के रोटेशन के मुद्दों को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया था। 20 दिसंबर को ही इस मामले में सुनवाई होनी है।

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