Saturday, July 12, 2025
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परंपरा और तकनीक का संगम शॉपिंग ट्रेंड

Samvad 48

sonam lavishत्योहारी सीजन में भारत के परंपरागत बाजार और ई मार्केटिंग के बीच प्रतिस्पर्धा का मुद्दा चरम पर देखने को मिलता है। इन दिनों देश में उत्सवों की खरीदारी को लेकर बाजार सजे हुए है। कपड़े, ज्वैलरी से लेकर कॉस्मेटिक्स का सामान, गिफ्ट आइट्म्स, इलेक्ट्रानिक सामान, पूजा की सामग्री की जमकर शॉपिंग की जा रही है। कंफेडरेशन आॅफ आॅल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल करवा चौथ के पर्व पर 22 हजार करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार हुआ है, जो कि पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत से भी ज्यादा का है। त्योहारी सीजन भारत में न केवल सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से महत्व रखते हैं, बल्कि देश के आर्थिक तंत्र को भी मजबूती प्रदान करता है। साल 2022 में भारतीय रिटेल बाजार में 1.5 लाख करोड़ का करोड़ का व्यापार हुआ। जिससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि त्योहारी सीजन भारत की अर्थव्यवस्था के लिए रीढ़ की हड्डी है। त्योहारों के दौरान बहुत कारोबार होता है। कई कारोबार तो ऐसे हैं, जिनके पूरे साल का खर्च त्योहार पर निकल आता है।

कंफेडरेशन आॅफ आॅल इंडिया ट्रेडर्स की रिपोर्ट की माने तो फेस्टिव सीजन के दौरान खरीदारों में मेक इन इंडिया प्रोडक्ट को लेकर दिलचस्पी बढ़ रही है। दीवाली के इस त्योहारी सीजन में देश में 4.25 लाख करोड़ के व्यापार का अनुमान है। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स का भी त्योहारी सीजन के दौरान बड़ा योगदान होता है। फ्लिपकार्ट, अमेजन और अन्य प्रमुख आॅनलाइन रिटेलर्स द्वारा ‘बिग बिलियन डे’ और ‘ग्रेट इंडियन फेस्टिवल’ जैसे मेगा सेल्स आयोजित किए जा रहें हैं, जो उपभोक्ताओं के लिए बड़े डिस्काउंट और आॅफर्स के चलते लोकप्रिय हैं। साल 2023 में, फ्लिपकार्ट और अमेजन ने अपने त्योहारी सीजन में 48,000 करोड़ रुपये की बिक्री दर्ज की। इन आॅनलाइन प्लेटफार्म्स के माध्यम से छोटे और मध्यम व्यवसायों को अपने उत्पादों को बड़े स्तर पर बेचने का अवसर मिल रहा है। ये दोनों प्लेटफार्म छोटे कारोबारियों के लिए भी लाभदायक रहे हैं।

आजकल त्योहारी सीजन में भारत के बाजारों में एक नया ट्रेंड उभर कर सामने आया है, जहां परंपरा और आधुनिक तकनीक का अनोखा संगम देखने को मिलता है। एक तरफ परंपरागत बाजारों की रौनक और सांस्कृतिक धरोहर लोगों को अपनी ओर खींचती है, वहीं दूसरी ओर ई-मार्केटिंग और आॅनलाइन शॉपिंग ने उपभोक्ताओं के लिए खरीदारी को आसान और सुलभ बना दिया है। देश में परंपरा से जुड़े उत्पाद, जैसे हस्तशिल्प, स्थानीय कारीगरों द्वारा बनाए गए सामान और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण वस्तुएं, आज भी परंपरागत बाजारों की शान हैं। लोग इन्हें हाथ से छूकर, परखकर और मोल-भाव करके खरीदना पसंद करते हैं। वहीं, तकनीक के जुड़ने से आॅनलाइन प्लेटफॉर्म्स ने इन वस्त्रों और उत्पादों को डिजिटल रूप में भी प्रस्तुत किया है। अब उपभोक्ता घर बैठे ही परंपरागत वस्तुएं आॅनलाइन आॅर्डर कर सकते हैं, जिससे न सिर्फ उनकी सुविधा बढ़ी है, बल्कि स्थानीय कारीगरों और छोटे व्यवसायों को एक बड़ा बाजार भी मिला है। स्थानीय कारीगरों, छोटे व्यवसायों और हस्तशिल्प के उत्पाद के लिए उपभोक्ताओं की पहली पसंद आज भी परंपरागत बाजार ही हैं। खासकर स्थानीय बाजार उपभोक्ताओं को गुणवत्ता, विश्वास और व्यक्तिगत संबंधों के साथ जोड़ते ई-मार्केटिंग और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स ने हाल के वर्षों में एक नई उपभोक्ता प्रवृत्ति को जन्म दिया है।

महंगाई और बाजार की बदलती प्रवृत्तियों के बावजूद, त्योहारी सीजन भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण बना हुआ है। यह न केवल उपभोक्ता खर्च को प्रोत्साहित करता है, बल्कि उद्योगों को नई संभावनाएं और विकास के अवसर भी प्रदान करता है। ये सच है कि त्योहारी सीजन के चलते ई-कॉमर्स की वृद्धि ने परंपरागत बाजारों पर असर जरूर डाला है। ई-कॉमर्स कंपनियां बड़ी मात्रा में डिस्काउंट और आकर्षक आॅफर्स देकर उपभोक्ताओं को आकर्षित करने में लगी हुई हैं। परंपरागत बाजारों को इस नई चुनौती से निपटने के लिए अपनी रणनीतियों में बदलाव करने की आवश्यकता है। कुछ स्थानीय दुकानदार अब हाइब्रिड मॉडल अपना लिए हैं, जहां वे अपने उत्पादों को आॅनलाइन भी उपलब्ध करा रहे हैं। ग्राहकों को लुभाने के लिए दुकानदार बेहतर ग्राहक सेवा, अनुकूलित उत्पाद, और त्योहारों के दौरान विशेष छूट और आॅफर्स प्रदान कर रहे हैं। कई स्थानीय बाजार, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में डिजिटल पेमेंट विकल्पों को अपनाया है, ताकि ई-मार्केटिंग बाजार का मुकाबला किया जा सके। वैसे ग्रामीण और छोटे शहरों में परंपरागत बाजार अभी भी प्रमुख रूप से सक्रिय हैं और त्योहारी सीजन में बड़ी संख्या में लोग इनमें खरीदारी करना पसंद करते हैं। लेकिन इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता है कि ई-मार्केटिंग का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है और परंपरागत बाजारों को इसे स्वीकार करते हुए अपनी कार्यशैली में बदलाव करना होगा। फिलहाल तो ई-बाजार से पारंपारिक बाजार खौफजदा है।

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