जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: विगत सोमवार को भगवान ‘श्रीकृष्ण विराजमान’ की वादी रंजना अग्निहोत्री आदि के अधिवक्ताओं ने न्यायालय के समक्ष अपना पक्ष रखा था। करीब दो घंटे तक सुनवाई के बाद न्यायालय ने अगली तारीख दी थी।
जन्मभूमि पर मालिकाना हक के लिए ‘श्रीकृष्ण विराजमान’ की ओर से जिला जज की अदालत में की गई अपील पर आज (शुक्रवार) को फैसला होगा। बता दें कि भगवान ‘श्रीकृष्ण विराजमान’ की ओर 13.37 एकड़ जमीन के मालिकाना हक के लिए विगत सोमवार (13 अक्टूबर) को जिला जज मथुरा की अदालत में अपील की गई थी।
जिला जज ने दावे को दाखिल करने संबंधी मामले में निर्णय को सुरक्षित कर लिया था और शुक्रवार (16 अक्टूबर) को इस संबंध में निर्णय देने के लिए तारीख दी थी।
विगत सोमवार को भगवान ‘श्रीकृष्ण विराजमान’ की वादी रंजना अग्निहोत्री आदि के अधिवक्ताओं ने न्यायालय के समक्ष अपना पक्ष रखा था। करीब दो घंटे तक सुनवाई के बाद न्यायालय ने अगली तारीख दी थी।
श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट की लगभग 13.37 एकड़ जमीन पर भगवान ‘श्रीकृष्ण विराजमान’ द्वारा अपने भक्तगणों के माध्यम से दावा किया गया था। इससे पहले यह दावा सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में किया गया था। उनकी अनुपस्थिति में इसकी सुनवाई लिंक कोर्ट एडीजे-पॉक्सो कोर्ट में हुई। जहां अदालत ने यह दावा खारिज कर दिया था।
इसके बाद भगवान ‘श्रीकृष्ण विराजमान’ द्वारा दावे की अपील विगत सोमवार को जिला जज साधना रानी ठाकुर की अदालत में की गई। भगवान ‘श्रीकृष्ण विराजमान’ की ओर से अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री के अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन और पंकज कुमार वर्मा ने दावा दाखिल करने के लिए अपना पक्ष न्यायालय के समक्ष रखा।
अधिवक्ताओं ने सबसे पहले उक्त जमीन के इतिहास की जानकारी दी। फिर उन्होंने 02 अक्तूबर 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान द्वारा 13.37 एकड़ जमीन पर कमेटी ऑफ मैनेजमेट ट्रस्ट शाही ईदगाह मस्जिद के साथ हुए समझौते को गैर कानूनी बताया।
कहा कि इसके बाद 1973 में डिक्री (न्यायिक निर्णय) किया गया था। अधिवक्ताओं ने बताया कि वह उस न्यायिक निर्णय को रद्द कराना चाहते हैं।
उनकी ओर से इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को भी कोर्ट के समक्ष रखा गया। सुनवाई के बाद न्यायालय ने इससे पूर्व दावा अस्वीकार करने वाली फाइल को पूर्व न्यायालय एडीजे-2 से मंगा लिया। जिला शासकीय अधिवक्ता शिवराम तरकर ने बताया कि अदालत 16 अक्तूबर को अपना निर्णय सुनाएगी।