Saturday, June 21, 2025
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…तो नवेन्द्रनाथ के चेहरे पर भ्रष्टाचार की ‘कालिख’

  • भ्रष्टाचार के मामले में हाईकोर्ट में 22 जुलाई को सुनवाई

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: कैंट बोर्ड के सीईओ रहे नवेन्द्र नाथ यहां भ्रष्टाचार के मामले में खासे चर्चा में हैं। एक-दो नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार के चार मामलों में उनकी भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। इन चारों ही मामलों की जांच पड़ताल भी आरंभ हो गई हैं। भ्रष्टाचार तब हुआ है, जब केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार हैं।

नरेन्द्र मोदी की सरकार जीरो टोलरेंस पर काम कर रही हैं, लेकिन सीईओ नवेन्द्र नाथ का दुस्साहस तो देखिये कि फिर भी भ्रष्टाचार करने से बाज नहीं आ रहे थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार जनता को भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने का वादा कर चुकी हैं, लेकिन नौकरशाह इसके बाद भी भ्रष्टाचार कर रहे हैं।

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क्या भ्रष्ट नवेन्द्रनाथ पर केन्द्र सरकार शिकंजा कस पाएगी या फिर भ्रष्टाचार की फाइलों को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा। भ्रष्टाचार के चार मामले सामने आये हैं, जिनको ‘जनवाणी’ एक-एक बिन्दू को आपके सामने विस्तार से प्रस्तुत कर रहा हैं।

  • केस-1

अवैध निर्माण कराने के मामले में भी तत्कालीन सीईओ नवेन्द्रनाथ फस गए हैं। उनके कार्यकाल में जोली स्टोर, कर्नल की कोठी समेत 400 बड़े निर्माण कराये गए, जिनकी शिकायत हुई हैं। इसमें खूब भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं तथा इसकी जांच पड़ताल भी आरंभ हो गई हैं। जांच पड़ताल यदि निष्पक्ष होती है तो नवेन्द्रनाथ की गर्दन फसना लगभग तय माना जा रहा हैं।

  • केस-2

टोल के टेंडर के बाद वसूली को लेकर जो खेल हुआ, उसको लेकर भी जांच पड़ताल चल रही हैं। इसमें चार करोड़ से ज्यादा का लाभ ठेकेदार को तत्कालीन सीईओ नवेन्द्र नाथ ने पहुंचाया हैं। आखिर इसमें नवेन्द्र नाथ का क्या निजी हित था कि चार करोड़ का टोल ठेकेदार से मिलकर कैंट बोर्ड को आर्थिक नुकसान क्यों करा दिया? कहा जा रहा है कि टोल ठेकेदार ये चार करोड़ रुपये कैंट बोर्ड में जमा कराना चाहता था, लेकिन तत्कालीन सीईओ नावेन्द्र नाथ ने ठेकेदार के कान में क्या फूंक मारी, इसके बाद फूटी कोड़ी भी कैंट बोर्ड के राजस्व में ठेकेदार ने जमा नहीं कराई। इसमें भी भ्रष्टाचार की ‘बू’ आ रही हैं। इसकी भी जांच पड़ताल चल रही हैं। इसमें भी नवेन्द्र नाथ की गर्दन फस सकती हैंं। ऐसा विशेषज्ञों का मानना हैं।

  • केस-3

डोर-टू-डोर कलेक्शन में भी भ्रष्टाचार हुआ हैं। ये भ्रष्टाचार का मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया हैं। 22 जुलाई को हाईकोर्ट में इसकी सुनवाई होने जा रही हैं, जिसमें नवेन्द्र नाथ को भी तलब किया गया है। दरअसल, 16.50 लाख में था, अग्रवाल कंपनी भी इस धनराशि पर काम करने के लिए सहमत हो गई थी, लेकिन इसके बाद भुगतान 18.50 लाख का कंपनी को कर दिया गया? ये कैसे हुआ, यह जानकर हर कोई हैरान हैं। कैंट बोर्ड की बैठक में भी इसकी स्वीकृति कराना आवश्यक होता हैं, लेकिन बिना बोर्ड की अनुमति कराये कैसे भुगतान कर दिया? इस तरह से एक करोड़ से ज्यादा का नुकसान कैंट बोर्ड के खजाने को पहुंचाया गया हैं। मामला हाईकोर्ट में सुनवाई में हैं, इसमें बड़ी कार्रवाई हो सकती हैं।

  • केस-4

कैंट बोर्ड ने ठेके पर सफाई कर्मियों को रखा था। आउट सोर्सिंग पर रखे गए सफाई कर्मियों को 15 हजार और 16 हजार रुपये वेतन आॅन रिकॉर्ड दिया जाता था, लेकिन आरोप है कि प्रत्येक सफाई कर्मी से चार हजार रुपये पूर्व सीईओ नवेन्द्र नाथ ले लेते थे। यही नहीं, चेक पर पहले ही हस्ताक्षकर करा लेते थे। भ्रष्टाचार के इन चेक में नावेन्द्र नाथ की गर्दन फंस सकती हैं। फिर नवेन्द्र नाथ अपना बचाव करने के लिए संविदा कर्मी से कोरे कागज पर यह लिखा लेते थे कि मैं किसी संस्था को चार हजार रुपये दान कर रहा हूं। कई माह तक ऐसे ही चला। अब सफाई कर्मियों ने इस मुद्दे को उठाया हैं तथा शिकायत कमांडर से भी की हैं। अब इसकी जांच होती है तो इसमें भी भ्रष्टाचार की ‘कालिख’ उनके मुंह पर पुत सकती हैं। क्योंकि 700 संविदा कर्मियों से इसी तरह से पहले ही चार हजार रुपये के चेक ले लिये जाते थे। पूरा वेतन एक भी संविदा कर्मी को नहीं दिया गया।

कैंट सीईओ के स्टेनो की फाइल गायब

कैंट बोर्ड के सीईओ के स्टेनो गिरीश की सेवा पुस्तिका गायब है। चर्चा है कि सीईओ नावेन्द्र नाथ का जब तबादला हुआ, तभी से ये फाइल गायब चल रही हैं। सात माह से सीईओ के स्टेनो को वेतन भी नहीं मिला हैं। वेतन कैसे रोका गया? इस बारे में कोई कुछ बताने को भी तैयार नहीं हैं।

कैंट बोर्ड में कब क्या हो जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता। कार्यवाहक सीईओ हरेन्द्र सिंह के आदेश वर्तमान सीईओ ज्योति कुमार पलट रहे हैं। जो कैंट बोर्ड में चर्चा का विषय बना हुआ हैं। दो दिन पहले भी तत्कालीन सीईओ नवेन्द्र नाथ को मेरठ छावनी क्षेत्र में देखे गए। आखिर वह मेरठ कैंट बोर्ड का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं। सूत्रों का दावा है कि जिस दिन सीईओ पद से नवेन्द्र नाथ का ट्रांसफर हुआ था, उसी दिन से स्टेनो गिरीश की फाइल गायब हैं।

कैंट बोर्ड में भी फाइल की तलाश कराई गयी, लेकिन फाइल नहीं मिली। अब फाइल नहीं मिलने से उसको सात माह से वेतन भी नहीं मिल पा रहा हैं। सीईओ के स्टेनो होने के बावजूद वह इसकी शिकायत कहीं कर भी नहीं सकते। क्योंकि स्टेनो की गर्दन भी फस रही हैं। सात माह तक लगातार काम करने के बाद भी वेतन नहीं मिल पा रहा हैं। इसमें भी क्यों स्टेनो का इस तरह से उत्पीड़न किया जा रहा हैं।

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