बीते दिनों क्रिप्टोकरेंसी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बयान देकर क्रिप्टो की दुनिया में तहलका मचा दिया। यही नहींं अब केंद्र सरकार क्रिप्टोकरेंसी के खिलाफ एक व्यापक विधेयक पेश करने के लिए मसौदा भी तैयार कर लिया जिसे संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। क्रिप्टोकरेंसी को लेकर वित्त संबंधी स्थाई समिति बनाकर हर पहलू पर विचार करेगी। बीते सोमवार क्रिप्टो के बढ़ते व्यापार व उससे उत्पन्न चुनौतियों व संभावनाओं पर प्रधानमंत्री द्वारा आयोजित बैठक में भाजपा सांसद व पूर्व वित्त मंत्री जयंत सिन्हा की अध्यक्षता में क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज, ब्लाकचेन व क्रिप्टो चलाने वाली कंपनियों के संगठनों के अलावा व्यापारिक समूहों व अन्य पक्षकारों के साथ गहनता के साथ चर्चा की। लेकिन सरकार की ओर से अभी कोई संतुष्टि भरा उत्तर नहींं मिला। क्रिप्टो के सभी पैरोकारों ने एक ही स्वर में कहा कि क्रिप्टो करेंसी को अब कानूनी नियमन में लाने का समय आ गया है। क्रिप्टो के विपक्ष में यह बात कही गई कि क्रिप्टो एक्सचेंज को पोंजी स्कीम के तहत काम नहीं करना चाहिए,चूंकि मोटी कमाई के लालच में पूरी रकम डूब जाती है जिस पर पीड़ित कहीं कोई शिकायत नहीं कर सकता और यह किसी भी रूप से प्रमाणित नहीं हैं।
इसके अलावा संचालकों व कंपनियों को इस तरह विज्ञापन नहीं देने चाहिए, जिससे बहुत कम समय में अधिक कमाई दर्शाई गई हो और निवेशक ललचाकर अपनी सारी पूंजी इसमें निवेश कर दें और वह डूब जाए तो कौन जिम्मेदार होगा।
यह एक तरह का सट्टा भी माना जा सकता है। यदि मौटे तौर पर सोचा जाए तो क्रिप्टो करेंसी विस्तार इतना हो चुका है कि इसे प्रतिबंध करने में कई समस्याएं आ सकती हैं चूंकि अभी तो इंटरनेट का ही नियमन नहीं हो पाया है तो क्रिप्टो का नियमन इतनी जल्दी कैसे संभव है।
क्रिप्टो करेंसी करीब चार-पांच वर्षों पहले तक एक वर्ग तक ही सीमित थी लेकिन पिछले कुछ दिनों इसके हर सोशल माध्यम पर इतने विज्ञापन आने लगे कि मानो यह हमारे देश में वैध हो। पाठकों को बता दिया जाए कि हमारे देश में जितनी भी क्रिप्टो करेंसी हैं वो सभी पूर्ण रूप से अवैध है।
क्रिप्टो करेंसी में सबसे बडी करेंसी बिटकॉइन है जो पूरे विश्व में अपना प्रभाव रखती है। बिटकॉइन हमारे देश में लगभग पांच-छह साल से सक्रियता में है, लेकिन इसकी शुरुआत 3 जनवरी 2009 में हुई थी और यह एक विकेंद्रिकृत डिजिटल मुद्रा है अर्थात इस कैश में परिवर्तित नहीं किया जा सकता।
बिटकॉइन की शुरुआत जापान के सतोषी नाकामोतो नामक इंजीनियर ने की थी। प्रारंभिकता में निवेशकों ने इसे ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया था लेकिन आज के जमाने में यह सबसे ज्यादा महंगी क्रिप्टो करेंसी है। बीते दशक भर में लगभग 900 से ज्यादा क्रिप्टो करेंसी बाजार में उपलब्ध है।
इसके काम करने का तरीका पीयर-टू-पीयर इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम है। क्रिप्टोग्राफी की मदद से क्रिप्टोकरेंसी बनती हैं। इसको माइनिंग भी कहा जाता है और यह सॉफ्टवेयर से बनती है। यह करेंसी डिजिटल वॉलेट में सेव व स्टोर हो जाती है, जिसे क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट कहते हैं।
इसमें अकाउंट बनने के बाद यदि यूजर भूल जाता है तो इसको किसी भी तकनीकी से रिकवर नहीं किया जा सकता। इस घटना का एक बहुत बड़ा उदाहरण है कि एक बार एक व्यक्ति के करोड़ो रुपये के सात हजार से भी ज्यादा क्वाइन थे और वह भूल गया और वह तमाम कोशिशों के बाद भी उन्हें प्राप्त नहीं कर सका।
सरकार ने पहले भी इस करेंसी के खिलाफ अपने तेवर सख्त किए हैं, लेकिन अभी तक भी कोई कानूनी एक्शन नहीं लिया गया। भारत में इसकी शुरुआत मात्र बीस हजार रुपये से हुई थी व बहुत ही कम समय में यह लगभग पैंतालीस लाख रुपये तक पहुंच गया था। पूरी दुनिया में इसको लेकर हाहाकार मच गया था।
आज लोग गोल्ड व प्रॉपर्टी में ज्यादा बेहतर व सुरक्षित बिटकॉइन को समझते हैं। दो वर्ष पहले तक लोग इसको लेकर पांच सितारा होटलों में इसको लेकर सेमिनार कर लगाते थे लेकिन कभी इसको खुले तौर पर नहीं बेचा जाता था, चूंकि अवैध होने के कारण लोगों में डर भी था। लेकिन पिछले कुछ समय से इसके विज्ञापन हर सोशल माध्यम पर दिखने लगे।
एक बार को तो ऐसा लगा कि यह भारत वैध हो गया हो लेकिन बीते सप्ताह से प्रधानमंत्री ने इस पर बयान देकर तख्ता पलट कर दिया।
क्रिप्टो करेंसी की विशेषता यह है कि इसको लेने की शुरुआत मात्र सौ रुपये से भी शुरू की जा सकती है और अधिकतम सीमा का कोई अंत नहीं है। इसमें निवेश किया गया पैसा सरकार की निगाह में भी नहीं आता।
क्रिप्टो करेंसी को खरीदते व बेचते समय कोई टैक्स नहीं लगता। देसी भाषा में समझें तो आपका अकाउंट आसमान में खुल जाता है, जिसका एक यूनिक क्रमांक होता है और उसको संचालित करते हुए आप करेंसी की खरीद-फरोख्त कर सकते हैं। कुछ लोगों ने क्रिप्टोकरेंसी की एक व्यापार के रूप में स्थापित कर लिया।
जिस तरह कॉल सेंटरों द्वारा किसी प्रोडक्ट को बेचा व खरीदा जाता है, ठीक उस ही तरह इसको लेकर भी खरीद-फरोख्त की जाती है। इसको काला धन भी कह सकते हैं। दशकभर पहले कुछ लोग इसको पॉजिटिव खबर छपवाने व दिखाने के लिए मीडिया संस्थानों के चक्कर काटते थे।
उनका एक ही उद्देश्य था कि क्रिप्टो करेंसी को हिंदुस्तान में स्थापित करना, जिसमें वह बहुत हद तक कामयाब भी हो गए। हालांकि तकनीकी दृष्टिकोण से समझा जाए तो यह भारत के परिवेश में सुरक्षित नहीं है।
यदि सरकार ने इस बार इसको लेकर हुंकार भरी है तो इस बार क्रिप्टो का कोई स्थाई समाधान निकाले चूंकि इसमें लोगों ने इतना निवेश कर दिया कि यह हमारे तंत्र की गले की हड्डी न बन जाए।