कक्षा में मास्टर जी के आने से पहले कुछ छात्रों के बीच वाक-युद्ध चल रहा था। अब्दुल कह रहा था, हमारा मजहब सबसे अच्छा है। इस दुनिया का निर्माता हमारा खुदा है, हमें सिर्फ खुदा की इबादत करना चाहिए।
थामस बोला, नहीं विश्व में हमारा क्रिश्चियन रिलीजन सबसे श्रेष्ठ है। यह संसार प्रभु ईशु का है। हमारा धर्म कहता है सबसे प्रेम करो, इसलिए हमारा धर्म सबसे उत्तम है।
इस वाक युद्ध में एक एक कर सिद्धार्थ, अरिहंत, अजय आदि भी जुडते चले गए और सभी अपने अपने धर्म को दुनिया का श्रेष्ठतम धर्म बताने लगे। कक्षा में इस वाक-युद्ध के कारण अत्यधिक शोर होने लगा।
बहस चल ही रही थी कि मास्टर साहब का कक्षा में प्रवेश हुआ। उन्होंने अजय के अंतिम शब्द सुन लिए थे और समझ गए थे कि बच्चों में बहस हो रही है।
मास्टर साहब ने प्रवेश करते ही बच्चों से कुछ प्रश्न किए-यदि मान लें कि यह दुनिया अब्दुल के अल्लाह या खुदा ने बनाई है तब प्रश्न यह है कि फिर थामस, सिद्धार्थ, अरिहंत और अजय को किसने बनाया?
और यदि यह कहें कि दुनिया प्रभु ईशु ने बनाई है तो अब्दुल तथा अन्य धर्म के मानने वालों को किसने बनाया? यदि हर धर्म के भगवान अलग-अलग हैं, तब सब धर्मों के चांद, सूरज, पृथ्वी, जल, आकाश और हवा भी अलग अलग क्यों नहीं हैं? यदि खुदा मुसलमान है तो फिर सारे इंसानों को मुस्लिम ही पैदा क्यों नहीं करता है? या भगवान यदि ईसाई है तो हिंदू या अन्य धर्मों के मानने वालों को पैदा ही क्यों करता है?
मास्टर साहब के प्रश्न सुनकर कक्षा के सारे बच्चे निरुत्तर थे और एक दूसरे के मुंह ताक रहे थे।
मास्टर जी थोड़ा रुककर फिर बोले, बच्चों इसका अर्थ ये हुआ कि हम सबको बनाने वाला तो कोई एक ही सर्वशक्तिमान है, किंतु हम इंसानों ने अपने आप को धर्मों के समूह में बांटकर उस परम पिता परमेश्वर को खुदा, गॉड, भगवान ईश्वर आदि नाम दे दिए हैं।
सुरेश रायकवार