जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा के दौरान रविवार सुबह ओडिशा के पुरी स्थित श्री गुंडिचा मंदिर के पास मची भगदड़ में कम से कम तीन श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि 50 से अधिक लोग घायल हो गए। इनमें से छह की हालत गंभीर बनी हुई है। हादसा सुबह 4 से 5 बजे के बीच हुआ, जब भगवान जगन्नाथ का रथ ‘नंदिघोष’ गुंडिचा मंदिर पहुंचा।
किस तरह हुआ हादसा?
जैसे ही भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथ गुंडिचा मंदिर के पास पहुंचे, भारी भीड़ अचानक रथ की ओर उमड़ पड़ी। इससे सुरक्षा बैरिकेड्स टूट गए और भगदड़ मच गई। कई श्रद्धालु रथों के पहियों के पास गिर गए, जिससे गंभीर चोटें आईं। मृतकों की पहचान बसंती साहू (खोरदा), प्रेमकांति मोहंती और प्रभाती दास के रूप में हुई है।
ओडिशा सरकार की प्रतिक्रिया
राज्य के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने बताया कि सभी घायलों को बेहतर इलाज देने के लिए तत्काल चिकित्सा सुविधा और अस्पतालों में विशेष प्रबंध किए गए हैं।
रथ यात्रा आते वक्त भी हादसा, तीन महिलाओं की दर्दनाक मौत
शनिवार को रथ यात्रा में शामिल होने जा रही तीन महिलाओं की पिपिली के पास एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। बाइक से पुरी जा रहीं महिलाएं एक दूसरी बाइक से टकरा गईं और तभी पीछे से आई एक सरकारी बस ने उन्हें कुचल दिया। दो महिलाओं की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि तीसरी ने अस्पताल जाते वक्त दम तोड़ दिया। यह हादसा भुवनेश्वर-पुरी हाईवे पर हुआ।
भीड़ का दबाव बना चुनौती, सैकड़ों बीमार
पुरी जिला प्रशासन के मुताबिक, दो दिनों में 10 लाख से ज्यादा श्रद्धालु रथ यात्रा में शामिल हुए। शुक्रवार को ही 625 से अधिक श्रद्धालु गर्मी, भीड़ और थकावट के चलते बीमार हो गए, वहीं शनिवार को भी 650 से ज्यादा लोगों की तबीयत बिगड़ी। इनमें 70 को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, और 9 की हालत अभी भी नाजुक बताई जा रही है।
सवालों के घेरे में प्रशासनिक तैयारियां
पुरी की रथ यात्रा करोड़ों लोगों की आस्था से जुड़ा आयोजन है, लेकिन इस बार की भगदड़ और हादसों ने सुरक्षा और प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। भारी भीड़ को संभालने में प्रशासन की नाकामी, बैरिकेडिंग की कमजोरी और बुनियादी मेडिकल सुविधा की कमी से कई जिंदगियां संकट में आ गईं।
सुरक्षा का चाक-चौबंद इंतजाम जरूरी
पुरी रथ यात्रा जैसे विश्वप्रसिद्ध आयोजन में सुरक्षा का चाक-चौबंद इंतजाम जरूरी है। हादसे यह साबित करते हैं कि भीड़ प्रबंधन और आपातकालीन तैयारियों में अभी भी बड़ी खामियां हैं। अब समय है कि श्रद्धा के इस पर्व को सुरक्षित बनाने के लिए प्रशासन ठोस कदम उठाए।