दोनों पर 50-50 हजार रुपये का इनाम किया था आइजी ने घोषित
किरठल गांव के किसान की हत्या की हत्या में चल रहे थे दोनों फरार
जनवाणी संवाददाता |
बड़ौत: अपराध की दुनिया में बहुत आगे तक कदम बढ़ा चुके किरठल गांव निवासी धर्मेंद्र चौहान चौहान व उसके साथी को हत्या के मामले में नोएडा एसटीएफ ने देहरादून में किरसौली चौक सहंसरधारा रोड से मंगलवार को गिरफ्तार करने के बाद रमाला पुलिस को सौंप दिया। दोनों पर 50-50 हजार रुपये का इनाम घोषित था।
किरठल गांव में करीब सात माह पहले हुई एक किसान की हत्या के मामले में दोनों फरार चल रहे थे। इससे पहले पुलिस व प्रशासन ने धर्मेंद्र की गांव में तीन संपत्तियों को कुर्क कर लिया था। किसान की हत्या चुनावी रंजिश के कारण मानी जा रही है। मृतक किसान धर्मेंद्र किरठल के गांव गांव के गांव गांव के धुर विरोधी वर्तमान ग्राम प्रधान के पास रहता था। धर्मेंद्र को शक था कि वह उसकी मुखबिरी करता है।
यहां विदित है कि धर्मेंद्र किरठल अपराधिक गतिविधियों में शामिल रहता था। उस पर करीब 53 मुकदमे दर्ज है दर्ज है मुकदमे दर्ज है दर्ज है। 12 दिसंबर 2020 को किरठल गांव निवासी इरशाद पुत्र फखरुद्दीन की गोली मारकर हत्या कर मारकर हत्या कर हत्या कर दी थी। इस संबंध में रमाला थाने पर मृतक के बेटे ने धर्मेंद्र, मुखिया, सुभाष उर्फ छोटू समेत चार के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था।
तब से ही यह तीनों फरार चल रहे थे। मुखिया को कुछ दिन पहले दिन पहले पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था।जबकि धर्मेन्द्र व सुभाष उर्फ छोटू फरार चल रहे थे। इनकी गिरफ्तारी के लिए आईजी ने दोनों पर 50-50 हजार रुपये का इनाम घोषित कर रखा था। सुभाष उर्फ छोटू मूल रूप से सिसौली छोटू मूल रूप से सिसौली मूल रूप से सिसौली जिला मुजफ्फरनगर निवासी है।
वह धर्मेंद्र के पास करीब 25 साल से रहता है। रमाला पुलिस ने बताया कि धर्मेंद्र किरठल की हिस्ट्रीसीट संख्या 720 ए है। 2002 में उसकी पत्नी सुदेश देवी किरठल की ग्राम प्रधान थी। इसी दौरान गांव निवासी नरेंद्र व सुरेन्द्र उसकी रंजिश हो गई थी। सुरेन्द्र शातिर अपराधी नीटू कैल का बहनोई था। 2004 में नीटू व उसके गैंग ने मिलकर धर्मेंद्र किरठल के पिता, चाचा, भाई व भाभी को की हत्या कर दी थी।
इसमें धर्मेंद्र की बहन बबीत गंभीर रूप से घायल हो गई थी। इस सामुहिक हत्याकांड में शामिल नीटू कैल को तो पुलिस ने मुठभेड़ में मार दिया था। जबकि गैंग के अधिकांश सदस्यों को धर्मेन्द्र ने अपने गैंग ने साथ मिलकर मार दिया था। इसी कड़ी में धर्मेंद्र ने 2004 में किरठल के पूर्व प्रधान नरेन्द्र की रोहतक में हत्या कर दी थी। 2004 में ही किरठल निवासी ब्रहम सिंह की हत्या में भी धर्मेंद्र का नाम आया का नाम आया धर्मेंद्र का नाम आया था।
सुरेन्द्र की हत्या शामली में कर दी गई थी। 2005 में अनिल निवासी भारसी व बबलू निवासी कंजरहेड़ी की गाजियाबाद न्यायालय से लौटते समय मुरादनगर में धर्मेंद्र किरठल ने अपने साथियों के साथ मिलकर हत्या कर दी थी।। तब से धर्मेंद्र फरार हो गया था। 2006 में राजस्थान की धौलपुर पुलिस ने धर्मेंद्र किरठल व उसके साथी जनक यादव उर्फ अजय जडेजा व राहुल त्रिवेदी समेत पकड़ा था।
धर्मेंद्र किरठल 2011 में जेल में रहा। 2007 में मेरठ जेल में रहते हुए धर्मेंद्र के जेल से भागने के लिए सुरंग भी बनाई थी। यह मुकदमा भी उस पर है। 2007 में धर्मेन्द्र किरठल का नाम अजय जडेजा और ज्ञानेंद्र ढ़ाका के साथ मिलकर मेरठ के डिप्टी जेलर नरेंद्र द्विवेदी की हत्या में प्रकाश में आया था।
2009 में किरठल निवासी साहब सिंह व मदन पुत्र नाहर सिंह की हत्या भी धर्मेन्द्र का नाम प्रकाश में आया था। 2011 में धर्मेन्द्र जेल से छूट कर बाहर आया तो गांव निवासी कृष्णपाल से उसकी रंजिश हो गई थी। कृष्णपाल ने आरोप लगाया था कि उस पर जानलेवा हमला हमला किया गया है।
धर्मेन्द्र 2013 में जेल चला गया था। 2014 में धर्मेंद्र बाहर आ बाहर आ गया था। देहरादून से एसटीएफ धर्मेन्द्र व सुभाष उर्फ छोटू को लेकर बुधवार को रमाला थाने में पहुंची। रमाला थाना पुलिस को दोनों को सौंप दिया। उनके पास से पुलिस ने एक टाटा सफारी कार व इरशाद की हत्या में इस्तेमाल किया एक तमंचा बरामद किया। रमाला पुलिस ने दोनों का चालान कर दिया।