- सुप्रीम कोर्ट में नहीं हो सकी 69000 शिक्षक भर्ती मामले की सुनवाई
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नौकरी के इंतजार में एक-एक दिन मुश्किल से काट रहे युवाओं को निराशा हाथ लगी है। दरअसल, 69000 शिक्षक भर्ती मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी, किंतु कतिपय कारणों से यह सुनवाई नहीं हो सकी। इससे अभ्यर्थियों में निराशा है। सुनवाई की अगली तिथि 27 नवंबर लगी है। 69000 शिक्षक भर्ती मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 13 अगस्त को पुरानी सभी सूची को निरस्त करते हुए आरक्षण नियमों के अनुसार नई सूची बनाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद चयनित अभ्यर्थी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट चले गए।
आएंगे शिक्षामित्रों के अच्छे दिन
परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में सेवारत लगभग डेढ़ लाख शिक्षामित्रों का मानदेय राज्य सरकार बढ़ा सकती है। इस संबंध में वित्त विभाग को पत्र भेजा गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में शिक्षामित्रों को सम्मानजनक मानदेय दिए जाने के लिए दाखिल अवमानना याचिका पर राज्य सरकार की तरफ से यह जानकारी मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान दी गई। सरकारी अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि लगभग 1.5 लाख शिक्षामित्रों के मानदेय वृद्धि से सरकारी खजाने पर भार पड़ेगा।
इसलिए वित्त विभाग को सहमति के लिए रिपोर्ट भेजी गई है। वाराणसी निवासी विवेकानंद की अवमानना याचिका पर न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की पीठ सुनवाई कर रही है। याची के अधिवक्ता सत्येंद्र चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि 2023 में शिक्षामित्रों को समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग करते हुए याचिका दाखिल की गई थी। याचिका निस्तारित करते हुए न्यायालय ने कहा था कि शिक्षामित्रों को दिया जाने वाला मानदेय काफी कम है। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया था कि समिति का गठन किया जाए।
वित्तीय इंडेक्स के अनुसार जीवन जीने के लिए सम्मानजनक मानदेय निर्धारित किया जाए। आदेश का पालन नहीं किए जाने पर अवमानना याचिका दाखिल की गई है। सरकारी वकील ने कोर्ट को अवगत कराया कि कोर्ट के 12 जनवरी, 2024 के आदेश के अनुपालन में शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति बनाई गई थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को नौ अगस्त को सौंपी है। यह रिपोर्ट अब वित्त विभाग को भेजी गई है। उसकी राय का इंतजार किया जा रहा है
मवाना खुर्द की प्रधानाध्यापिका निलंबित
मवाना: गुरुवार को बीएसए ने प्राथमिक विद्यालय मवाना खुर्द नंबर-एक की प्रधानाध्यापिका रीता बंसल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। निलंबन काल में प्रधानाध्यापिका को सरधना ब्लॉक के गांव नंगली साधारण उच्च प्राथमिक विद्यालय से संबद्ध किया गया है। बीएसए आशा चौधरी ने गुरुवार को जारी निलंबन आदेश में परिषदीय दायित्वों का निर्वहन नहीं करने, शासनादेशों का पालन नहीं करने, बालकों से बाल श्रम कराकर बाल अधिकारों का हनन करने, बेसिक शिक्षा सेवा नियमावली 1981 के सुसंगत प्रावधानों का उल्लंघन करने, सरकारी सेवा आचरण नियमावली 1956 के नियम तीन का उल्लंघन करने जैसे गंभीर आरोप लगाये गये हैं।
इन सब कारणों से प्राथमिक विद्यालय मवाना खुर्द नंबर-एक की प्रधानाध्यापिका रीता बंसल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। खंड शिक्षा अधिकारी त्रिवेंद्र कुमार से बेसिक शिक्षा अधिकारी आशा चौधरी ने प्राथमिक विद्यालय मवाना खुर्द नंबर-एक की प्रधानाध्यापिका रीता की जांच रिपोर्ट मांगी थी। बालकों से र्इंटें ढुलवाने की घटना की फोटो और वीडियो वायरल हो जाने और ग्रामीणों की शिकायत पर खंड शिक्षा अधिकारी ने प्रधान अध्यापिका को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा था।
स्पष्टीकरण में प्रधानाध्यापिका रीता ने अपनी सफाई में कहा था कि उन्होंने किसी बालक से र्इंटें नहीं ढुलाई। बच्चों ने इंटरवल में अपनी मर्जी से र्इंटें ढोई होगी। गत 18 नवंबर को स्कूल परिसर की चाहरदीवारी की मरम्मत कराई गई थी। राजमिस्त्री के साथ कोई मजदूर नहीं लगाया गया। बच्चों से र्इंटें ढुलवाने की जिम्मेदारी प्रधानाध्यापिका की है। इसके अलावा ग्रामीणों ने गत 19 अक्टूबर को सम्पूर्ण समाधान दिवस पर स्कूल में खड़े यूकेलिप्टिस के पेड़ों के गिरने से आसपास के मकानों को खतरा होने का पत्र दिया था।