जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में अबकी बार एक अलग ही नजारा देखने को मिला। जिसमें बार काउंसिल आॅफ इंडिया से बिना मान्यता प्राप्त लेटर के ही विश्वविद्यालय के पोर्टल पर संबंधित कॉलेज के नाम दे दिए गए। जिसमें छात्र-छात्राओं ने रजिस्ट्रेशन करा लिया। इतना ही नहीं छात्र छात्राओं के प्रवेश पर कंफर्म हो गए, लेकिन जब विश्वविद्यालय प्रशासन को इस बात का पता चला तब विश्वविद्यालय में खलबली मच गई।
आनन-फानन में आकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने तीन सदस्य कमेटी गठित की है। जिसमें छात्र कल्याण अधिष्ठाता, चीफ प्रॉक्टर प्रो. वीरपाल एवं प्रो. रूपनारायण प्रकरण की जांच करेंगे। दरअसल, एलएलबी में प्रवेश से पहले संबंधित कॉलेजों को बार काउंसिल आॅफ इंडिया से मान्यता लेनी पड़ती है। जिनको कॉलेजों को बीसीसीआई द्वारा मान्यता दी जाती है।
वहीं, एलएलबी में अपने छात्रों को पंजीकृत करा सकते हैं। ऐसे ही कॉलेजों का नाम विश्वविद्यालय रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर आता है, लेकिन विवि पोर्टल पर उनके नाम भी अंकित रह गए। जिनको बीसीआई ने एलएलबी की मान्यता के लिए परमिशन नहीं दी।
बता दें कि चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से संबंधित कंपनी द्वारा विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालय संस्थान में एलएलबी तीन वर्षीय व पांच वर्षीय पाठ्यक्रम में सत्र 2020 21 में बार काउंसिल आॅफ इंडिया की अनुमति प्राप्त न होने के पश्चात भी आॅनलाइन प्रवेश पोर्टल पर अनधिकृत रूप से कई विद्यालय संस्थान के नाम करा दिए गए। जबकि उक्त महाविद्यालय संस्थान के लिए विश्वविद्यालय द्वारा कोई अनुमति नहीं दी गई थी।
प्रवेश के लिए सिर्फ उन्हीं कॉलेजों को अनुमति दी गई थी जिन्होंने बीसीआई से प्राप्त लेटर विश्वविद्यालय में जमा करा दिया गया था। ऐसे में अब देखना होगा कि विश्वविद्यालय स्तर पर क्या कार्रवाई की जाएगी और जिन छात्र-छात्राओं का भविष्य इस प्रकरण के कारण अधर में लटक जाएगा। उनको किस प्रकार राहत प्रदान की जाएगी।