जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: जिले के सरकारी स्कूलों और ब्लॉक रिसोर्स सेंटर्स की बदहाली की कहनी का अंत होते दिखाई नहीं दे रहा है। हाल ही में जहां एक ओर सुंदरा पुटॅठा के स्कूल परिसर में बड़े पैमाने पर गंदगी देखने को मिली तो इस बार ऐसी ही कुछ कहानी खरखौदा ब्लॉक के रिसोर्स सेंटर और कंपोजिट विद्यालय में सामने आई। इसे लेकर न तो व्यवस्था बनाने के लिये जिम्मेदारों की ही रुचि दिखी रहे है और नही बेसिक शिक्षा अधिकारी इसमें कोई खास दखल देते दिख रहे हैं।
सरकारी स्तर पर गरीब बच्चों को मिलने वाली अनिवार्य शिक्षा में अहम भूमिका निभाने वाले स्कूल और ब्लाक रिसोर्स सेंटर्स पर साफ-सफाई न के बराबर देखने में आई। खरखौदा के कंपोजिट विद्यालय के मुख्य द्वार पर सड़क के किनारे बड़ी खास पाई गई तो अंदर और बाहर बड़ी-बड़ी घास और कचरा पड़ा मिला। इसके साथ ही निर्माण सामग्री भी रखी पाई गई। बीईओ कार्यालय के पीछे भी खास पत्ते और कूड़ा पड़ा मिला। इस सब को देखकर इस बात के साफ संकेत मिले कि यहां पर काफी समय से साफ-सफाई नहीं की गई है। जल्द ही स्कूल खुलने वाले हैं ऐसे में व्यवस्था सुधार के लिये जिस स्तर की पहल की जानी चाहिए उसका आभाव भी साफ झलकता है।
इधर व्यवस्था सुधार के जिम्मेदार तो लापरवाह नजर आते ही हैं, साथ ही निगरानी तंत्र की सर्वेसर्वा बीएसए के निरीक्षण भी यहां न के बराबर दिखाई देते हैं। बरसात के दिनों में यहां मच्छरों की तादाद बढ़ने और बीमारी फैलने की आशंका भी बनी हुई है।
ऐसे मे कहा जा सकता है कि गरीब बच्चों को आधारिक शिक्षा का अनिवार्य अधिकार तो वर्ष 2009 में राइट टू एजुकेशन द्वारा मिल गया, लेकिन इस अधिकार के अंतर्गत शिक्षा हासिल करने वाले बच्चे अभी शिक्षा के बेहतर स्तर जिसमें एक विद्यार्थी के सवार्गीण विकास संकल्पना की जाती रही है कि लिये लंबा रास्ता तय करना पड़ सकता है।