Monday, August 18, 2025
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गर्मी के मौसम में पशुओं का रखे विशेष ध्यान


गर्मी का मौसम शुरू होते हुए देश में चिलचिलाती धूप और लू की स्थिति ने मनुष्यों के साथ-साथ जानवरों का भी बुरा हाल कर रखा हैं। गर्मी का मौसम फिलहाल अभी तो शुरू ही हुआ हैं। आने वाले मई जून के महीने में गर्मी से पशुओं की स्थिति और भी खराब हो सकती हैं। ऐसे में किसानो को अपने दुधारू पशुओं का ध्यान रखने व उनकी उचित देखभाल करने की काफी जरूरत है।

गर्मी के कारण पशुओं में जल एंव लवण की कमी हो जाती हैं। पशुओं की भूख कम हो जाती हैं और पशुओं के दूध उत्पादन में भी भारी गिरावट आती हैं। यह अधिक तापमान के प्रमुख लक्षण हैं।

हरे चारे व सन्तुलित आहार का प्रबन्ध

हम जानते हैं कि गर्मी के मौसम में हरे चारे की कमी आ जाती है विशेष तौर से मई व जून के महीनों में, अगर हमें ठीक प्रकार से फसल चक्र बनाकर हरे चारे की व्यवस्था करेंगें तो गर्मी के मौसम में भी हम अपने पशुओं के लिए हरा चारा प्राप्त कर सकते हैं।

इसके साथ-साथ अगर हम मार्च अप्रैल के महीने में अधिक बरसीम को हम ‘हे’ बनाकर ऊपर लिखित कमी वाले समय में खिलाकर हरे चारे की पूर्ति कर सकते हैं।

संतुलित आहार

संतुलित आहार वह आहार होता है जिसके अन्दर प्रोटीन, ऊर्जा, खनिज तत्व व विटामिन इत्यादि उपलब्ध हों। 100 किलो संतुलित आहार इस प्रकार से बनाया जा सकता हैं- गेहूं, मक्का व बाजरा इत्यादि अनाज 32 किलोग्राम, सरसों की खली 10 किलोग्राम, बिनौले की खली 10 किलोग्राम, दालों की चूरी 10 किलोग्राम, चौकर 25 किलोग्राम, खनिज मिश्रण 2 किलोग्राम व साधारण नमक एक किलोग्राम लें।

इसके साथ-साथ गर्मी के मौसम में पशुओं को प्रोटीन की मात्रा यानि की पशु आहार के अन्दर खलें जैसे सरसों की खली इत्यादि की मात्रा 30 से 35 प्रतिशत बढ़ा दें तथा इस प्रकार हम गर्मी के मौसम में हरे चारे व संतुलित आहार तथा विशेष प्रोटीनयुक्त चारा खिलाने से अपने पशुओं को गर्मी से बचाकर दूध उत्पादन का स्तर बनाकर रख सकते हैं।

पशुओं को नियमित रूप से पानी देना है जरूरी

गर्मी के मौसम में पशु अपने शरीर की गर्मी को कम करने के लिए पानी की अधिक मात्रा ग्रहण करता है तथा शरीर के अतिरिक्त तत्व पसीने के द्वारा, पेशाब व गोबर के द्वारा व अन्य अंगों से बाहर निकालता है तथा अपने शरीर को तन्दरूस्त रखता है।

क्योंकि पशु शरीर के अन्दर 65 प्रतिशत पानी होता है जो कि पशु की सारी क्रियाएं सुचारू रूप से च्लाता है। गर्मी के मौसम में अक्सर पशु शरीर के अन्दर पानी की कमी आ जाती है। इसके लिए हमें विशेष ध्यान रखकर पशु के शरीर की पानी की पूर्ति करें।

हम जानते हैं कि दूध के अन्दर पानी की मात्रा तकरीबन 87 प्रतिशत होती है। अगर पशु के शरीर के अन्दर पानी की कमी होगी तो दूध उत्पादन निश्चित रूप से कम हो जाएगा। वैसे पशु को पानी की जरूरत मुख्य रूप से तीन आधारों पर निर्भर करती है:-

  • पशु शरीर के हर 100 किलोग्राम वजन पर तकरीबन 5 लीटर पानी की जरूरत होती है। अत: पशुपालक भाईयों को सलाह दी जाती है कि पशु के शरीर का वजन का हिसाब लगाकर पानी की पूर्ति करें। तकरीबन हमारी दुधारू भैंसों का वजन 500 से 600 किलोग्राम प्रति भैंस होता है। इसके हिसाब से हिसाब लगाकर पानी की पूर्ति करें।

  • दुधारू पशु को एक किलोग्राम दूध पैदा करने के लिए तकरीबन एक किलोग्राम पानी की जरूरत होती है। इसलिए आप अपने पशु का दूध उत्पादन का हिसाब लगाकर उससे भी अधिक पानी की पूर्ति करें।

इस प्रकार खिलाए चारों की किस्म (सूखा-हरा) का हिसाब लगाकर पानी की पूर्ति करें। क्योंकि अगर हमने बरसीम खिलाई है तो उससे पशु को तकरीबन 70 से 80 प्रतिशत पानी मिलता है, इसी प्रकार अगर हरी ज्वार खिलाई है तो तकरीबन 55 से 60 प्रतिशत पानी मिलता है।

इसलिए ऊपर लिखित आधार को ध्यान में रखकर हम कह सकते हैं कि गर्मी के मौसम में अच्छा दूध उत्पादन लेने के लिए अच्छे दूधारू भैंस जिसका दूध उत्पादन करीबन 15 से 20 किलोग्राम प्रतिदिन हो उसे 70 से 80 लीटर स्वच्छ व ठंडा पानी गर्मी के मौसम में 24 घण्टे में पिलाने से हम अपने दूधारू पशुओं का दूध उत्पादन बनाकर रख सकते हैं।


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