- बज़्म ए सुखन जलालाबाद की ओर से शेरी नशिस्त का आयोजन
- पत्रकार, शायर,स्वतंत्रा सेनानी मौलाना मौहम्मद अली जौहर की जयंती पर हुआ कार्यक्रम
जनवाणी संवाददाता |
नजीबाबाद: बज़्म ए सुखन जलालाबाद के तत्वाधान में मौहल्ला प्रेमनगर में अकरम जलालाबादी के निवास पर पत्रकार, शायर, स्वतंत्रा सेनानी मौलाना मौहम्मद अली जौहर की जयंती पर एक शेरी नशिस्त व सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।
बज्म की ओर से कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आकाशवाणी के सहायक स्टेशन डायरेक्टर (कार्यक्रम ) अमर सिंह को शॉल ओढा कर किया गया। संस्था की ओर से शेरी नशिस्त में महेंद्र अश्क ने कहा कि हम हिज्र मनाते हुए निकले थे किसी का, लौटें तो वो ही हिज्र मनाते हुए आये।
शादाब जफर शादाब ने कहा खत्म सब हसना हसाना हो गया, मुस्कुराये इक जमाना हो गया। तैय्यब जमाल..हम को जिसने संभाल रखा है, उस को दिल से निकाल रखा है। शकील अहमद वफ़ा.. वक़्त हाथो से जब यार निकल जायेगा,अपना साया भी उस रोज़ बदल जायेगा। सरफराज़ साबरी ने कहा कि ख्वाब ए गफलत में है सोने दो इन्हे मत छेडो, ये अगर हो गये बेदार तो फिर तुम जानो।
अकरम जलालाबादी ने कहा कि तेरा एहतराम शायद कही मुझ से हो ना पाये, अभी सामने ना आना अभी दौर ए बेखुदी है। मुख़्तार अहमद शाद..सीधा सादा सा वो बचपन और घरौंदे मिट्टी के, याद आते हैं चौपालो के किस्से और पुराने लोग।
मौसूफ अहमद वासिफ ने कहा कि फिर वो ही गुज़रा ज़माना चाहता हूं,थक गया हूं गांव जाना चाहता हूं। काज़ी विकाउल हक ने कहा.. कहर बन के आया जहां में कोरोना, है लाशो का हर सिम्त यारो बिछौना।
इनके अलावा ताहिर महमूद, अमर सिंह, सनव्वर अली, अबरार सलमानी आदि शायरों ने कलाम पेश कर दाद हासिल की। कार्यक्रम की अध्यक्षता शायर महेंद्र अश्क वह संचालन ताहिर महमूद ने किया।