- पलड़ी के प्राथमिक स्कूल में एकमात्र शिक्षक के हटाने के बाद शिक्षक विहीन है विद्यालय
जनवाणी संवाददाता |
दाहा: क्षेत्र के पलड़ी गांव के प्राथमिक विद्यालय में फिलहाल एक भी शिक्षक की नियुक्ति नहीं है। एक ओर प्रदेश का शिक्षा विभाग शिक्षा के लिए एक से बढ़कर एक नियम कायदे बनाकर ऐसा दिखा रहा है कि जैसा शिक्षा की गुणवत्ता में इतना सुधार कभी नहीं हुआ है, जितना शिक्षा विभाग कर रहा है।
दूसरी ओर पलड़ी गांव जैसे विद्यालय भी हैं, जहां एक भी शिक्षक नहीं है। यदि कोरोना काल में प्राथमिक विद्यालय बंद न होते तो तब पलड़ी के उन प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों का क्या होता जो पढ़ना तो चाहते हैं। लेकिन उन्हें पढ़ाया नहीं जा रहा है।
यहां विदित है कि शिक्षा विभाग ही नहीं बल्कि प्रदेश सरकार प्राथमिक व जूनियर हाइस्कूलों तक के बच्चों के लिए यूनिफार्म, जूते-मौजे, पुस्तक यहां तक कि उनके लिए दोपहर का भोजन मुफ्त में दे रही है। पढ़ाई के लिए ऐसा कोई प्रबंध प्राथमिक विद्यालय नंबर एक पलड़ी में नहीं है, जिससे आज का बच्चा कल का भविष्य बन सके।
ग्राम प्रधान कुसुमलता के अलावा ग्रामीण विक्रम सिंह, नूरजहां बेगम, मौहम्मद यामीन, उम्मेद हसन, रामफल सिंह आदि ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में बताया कि करीब चार माह पहले उनके विद्यालय के एकमात्र शिक्षक विपिन कुमार पर कुछ आरोप लगा था।
इस मामले में शिकायत मिलने पर बीएसए ने उन्हें विद्यालय से हटाकर दूसरे विद्यालय से संबद्ध कर दिया था। तब से विद्यालय में किसी दूसरे शिक्षक की नियुक्ति नहीं की गई। ग्राम प्रधान ने बताया कि यदि कोरोना के कारण प्राथमिक विद्यालय में बच्चों के आने पर प्रतिबंद न होता तो तब बच्चों का भविष्य खराब हो जाता।
विद्यालय में मिलने वाली पुस्तक, मिड डे मील, यूनिफार्म, जूते, मौजे आदि पहनकर बच्चे क्या पढ़ लेते। जब उन्हें पढ़ाने वाला ही नहीं होता। मुख्यमंत्री से उन्होंने अध्यापकों की स्कूल में नियुक्ति की मांग की। साथ ही मांग की कि यहां से तबादले पर भेजे गए शिक्षक की यहां ग्रामीणों को जरूरत नहीं है। उस पर यहां चारित्रिक आरोप लग चुका है। उनकी छवि ग्रामीणों व बच्चों में खराब है।