- श्रावण मास में एकादशी, द्वादशी और त्रियोदशी तिथि में बन रहा खास संयोग
- द्वादशी और त्रियोदशी तिथि के संयोग में होगा सोम प्रदोष व्रत
- सावन के दूसरे सोमवार को शिव पूजा से प्रसन्न होकर शनि देव देंगे शुभ फल
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को कामिका एकादशी व्रत रखा जाता है। कामिका एकादशी व्रत 24 जुलाई (रविवार) को रखा जाएगा। कामिका एकादशी व्रत में भगवान विष्णु के साथ श्रीकृष्ण और तुलसी पूजा भी की जाती है।
इस बार कामिका एकादशी व्रत के दिन तीन प्रमुख योग बन रहे हैं। इस दिन प्रात:काल से वृद्धि योग है, जो दोपहर 2 बजकर 2 मिनट तक रहेगा। उसके बाद से ध्रुव योग लगेगा। पंचांग के अनुसार 24 जुलाई रात्रि 10 बजे से द्विपुष्कर योग लगेगा, जो 25 जुलाई को 5 बजकर 38 मिनट सुबह तक रहेगा।
सावन के दूसरे सोमवार 25 जुलाई को शिव पूजा से प्रसन्न होकर शनि देव शुभ फल देंगे। भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के चैप्टर चेयरमैन ज्योतिषाचार्य आचार्य मनीष स्वामी ने बताया कि सावन का दूसरा सोमवार 25 जुलाई को है। सावन का दूसरा सोमवार शनि दोष से पीड़ित राशियों के लिए बेहद ही खास होने वाला है।
शास्त्रों के मुताबिक सावन के सोमवार शनि पूजन और शिव पूजन करने से शनि दोष का अशुभ प्रभाव कम होता है। शनिदेव को भगवान शिव का परम भक्त और शिष्य माना जाता है। ऐसे में अब सावन मास में शिव पूजन व उपाय करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और अपने शुभ फल प्रदान करते हैं।
सावन के महीने में सोमवार के दिन शिव पूजन करने से साथ ही भगवान शिव का जलाभिषेक करने से शनि दोष के प्रभावों को कम किया जा सकता है। साथ ही सावन के सोमवार पर शनि पूजन करने से भी लाभ प्राप्त होता है। वहीं इसके अलावा सावन सोमवार के दिन शिव चालीसा और शनि चालीसा का पाठ करना भी काफी लाभकारी माना जाता है।
प्रदोष व्रत: द्वादशी और त्रयोदशी तिथियों का संयोग एक ही दिन में बनता है तो उसे प्रदोष व्रत कहा जाता है। मान्यता है कि इस व्रत शिव जी और पार्वती जी की विशेष पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
शिवलिंग पर अवश्य चढ़ाए जल: शिव पूजा में जल, दूध, पंचामृत, गंगाजल बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल, गुलाब, दूर्वा, जनेऊ, शहद, चंदन, इत्र, भस्म, चावल जरूर चढ़ाना चाहिए। ये चीजें अर्पित करने के बाद धूप-दीप जलाएं। भोग लगाएं और मंत्र जप करें।
सावन का दूसरा सोमवार आज शिवालयों में होगा बाबा का शृंगार
भगवान शिव की भक्ति को समर्पित सावन मास के दूसरे सोमवार पर शिवालयों में सुबह से श्रद्धालुओं की कतारें लगेंगी। ऐतिहासिक औघड़नाथ मंदिर दो दिन रातभर खुलेगा। सावन के दूसरे सोमवार के साथ ही त्रयोदशी का जल चढ़ेगा और अगले दिन शिवरात्रि के कारण बाबा के अभिषेक को लाखों शृंद्धालु उमड़ेंगे। वहीं शहर भर के शिवालयों में बाबा के अभिषेक की तैयारियां की जा रही हैं।
कांवड़ियों के रुकने की भी व्यवस्था मंदिर समितियों की ओर से की गई हैं। ज्योतिषाचार्य आचार्य मनीष स्वामी ने बताया कि शास्त्रों के मुताबिक सावन के सोमवार शनि पूजन और शिव पूजन करने से शनि दोष का अशुभ प्रभाव कम होता है। शनिदेव को भगवान शिव का परम भक्त और शिष्य माना जाता है। ऐसे में अब सावन मास में शिव पूजन व उपाय करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और अपने शुभ फल प्रदान करते हैं।
सावन के महीने में सोमवार के दिन शिव पूजन करने से साथ ही भगवान शिव का जलाभिषेक करने से शनि दोष के प्रभावों को कम किया जा सकता है। ज्योतिषविद भारत ज्ञान भूषण कहते हैं कि सावन के सोमवार पर शनि पूजन करने से भी लाभ प्राप्त होता है। इस दिन शिव चालीसा और शनि चालीसा का पाठ करना भी काफी लाभकारी माना जाता है। औघड़नाथ मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित श्रीधर त्रिपाठी कहते हैं कि महादेव भोले शंकर बहुत भोले हैं और थोड़ी सी भक्ति से ही प्रसन्न हो जाते हैं।
शिव पूजा में जल, दूध, पंचामृत, गंगाजल बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल, गुलाब, दूर्वा, जनेऊ, शहद, चंदन, इत्र, भस्म, चावल जरूर चढ़ाना चाहिए। ये चीजें अर्पित करने के बाद धूप-दीप जलाएं। भोग लगाएं और मंत्र जप करें। इस बार भगवान शंकर के साथ माता पार्वती की कृपा पाने का योग भी निर्मित हो रहा है। सावन शिवरात्रि व्रत करने से श्रद्धालुओं को शांति, रक्षा, सौभाग्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
धार्मिक मान्यता है कि सावन शिवरात्रि व्रत करने से सभी पाप को नष्ट हो जाते हैं। आचार्य मनीष स्वामी ने बताया कि जब द्वादशी और त्रयोदशी तिथियों का संयोग एक ही दिन में बनता है तो उसे प्रदोष व्रत कहा जाता है। मान्यता है कि इस व्रत भगवान शिव और पार्वती की विशेष पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।