सोशल मीडिया और मैसेजिंग एप की दुनिया भयकर काली है, षडयंत्रकारी है, भ्रष्टचारी है, आतंकी भी है और लोकतंत्र खोर भी है। सोशल मीडिया और मैसेजिंग एप की दुनिया अपनी काली कमाई भी छिपाती है और भ्रष्ट शासकों का अप्रत्यक्ष समर्थन भी करती है। क्या यह सही नहीं है कि फेसबुक ने चुनाव प्रचार के दौरान तत्कालीन अमेरिकी राष्टÑपति डोनाल्ड टम्प को प्रतिबंधित कर दिया था? सोशल और मैसेजिंग दुनिया अपनी अप्रत्यक्ष कमाई छिपाती है और टैक्स की भी खूब चोरी करती है। फिर भी आप इन तथ्यों से सहमत नहीं है तो फिर मैसेंजिंग एप के मालिक पावेल ड्यूरोव की गिरफ्तारी और उस पर लगे टैक्स की चोरी का प्रसंग उदाहरण और प्रमाण के तौर पर देख लीजिए। मैसेजिंग एप टेलीग्राम के संस्थापक पावेल ड्यूरोव की गिरफ्तारी कोई साधारण नहीं है। इनकी गिरफ्तारी से कई अनैतिकता, भ्रष्टाचार और आतंकवाद ही नहीं, बल्कि राजनीतिक खेल को नियंत्रित करने जैसी करतूतों का भी पर्दाफाश होता है।
पावेल ड्यूरोव भी एक हस्ती है। वह सिर्फ फ्रांस की हस्ती नहीं है, बल्कि दुनिया की हस्ती है। क्योंकि उसका मैसेजिंग एप सिर्फ फ्रांस मे चर्चित और स्थापित नहीं है। उसका मैसेजिंग एप टेलीग्राम दुनिया भर में चर्चित और स्थापित है। यह कहना सही होगा कि टेलीग्राम सहज और आसान मैसेजिंग एप है। व्हाटसएप से लाख गुणा अधिक सहज और आसान है। जहां पर व्हाटएव मैसेजिंग को जांच पडताल की सीमा रेखा में ही रखता है और भारी मैसेजिंग को प्रसारित करने में असहज और कठिन बना देता है, भारी वीडियो और अन्य मैसेजिंग व्हाहटसएप आदि मैसेजिंग एप से भेजना बहुत ही कठिन है। लेकिन टेलीग्राम भारी से भारी वीडियो और अन्य सामग्री को आसानी से भेज देता हैं। यही कारण है कि कई देशों में टेलीग्राम की पहुंच और वर्चस्व खास है। रूस में कभी इस एप का वर्चस्व था। रूस से अलग हुए देश जैसे यूक्रेन, अजरबैजान और साउथ अफ्रीका में टेलीग्राम का चलन लोकप्रिय है। इसके साथ ही साथ फ्रांस में भी इस एप का दबदबा रहा है।
पावेल ड्यूरोव फ्रांस का मूल निवासी नहीं है। वह मूल रूप से रूस का निवासी है। रूस में ही उसने टेलीग्राम को खड़ा किया था और इसकी व्यूह रचना वहीं तैयार की थी। लेकिन रूस के शासक पुतीन की गिद्ध दृष्टि के कारण उसे रूस छोड़कर भागना पडा। रूस छोड़ कर भागने के बाद अरब के देशों में भी व्यापार की खोज की थी। इसके बाद उसने फ्रांस की नागरिकता ली थी और टेलीग्राम को फ्रांस से ही संचालित कर रहा था। उसकी योजना टेलीग्राम को विश्वव्यापी बनाने की थी और वह फेसबुक ह्वाटसप के साथ ही साथ एक्स को भी चुनौती देकर पछाड़ना चाहता था, इन्हीं योजनाओं पर वह काम कर रहा था। इस दौरान उस पर टैक्स की चोरी का आरोप लगा। फ्रांस सरकार के संबंधित विभागों से टैक्स की चोरी की जांच में उसने सहयोग भी नहीं किया। जांच में सहयोग न करना उसके लिए भारी पड गया और गिरफ्तारी का कारण भी बन गया।
फ्रांस की वह हस्ती था, फिर गिरफ्तारी से बच नहीं सका? यह प्रश्न बहुत ही रहस्य वाला है। पावेल ड्यूरोव अगर भारत मे होता तो फिर टैक्स एजेसियों पर आरोपों का जंजाल खड़ा हो जाता, मीडिया से लेकर राजनीति, कोर्ट और जनता भी प्रश्न पूछती। टैक्स जांच एजेंसियों को जांच करने की जगह मीडिया, कोर्ट और राजनीति के प्रश्नों को जवाब देने में ही पसीना छूट जाते और फिर जांच कमजोर हो जाती और प्रभावित हो जाती। टैक्स चोरी का आरोप शाहरुख खान,आमिर खान, अक्षय कुमार, करीना कपूर, माधुरी दीक्षित जैसे हीरो-हिरोइनों पर रहा है, टैक्स चोरी का आरोप दिल्ली के दर्जनों वकीलों के ऊपर रहा है, देश के सैकड़ों हजारों कारपोरेट घरानों और उद्योगपितयों पर टैक्स की चोरी का आरोप रहा है फिर भी टैक्स चोरी के आरोप में किसी फिल्मी हीरो-हिरोइनों को जेल जाते हैं देखा है, सुना है?
इसी प्रकार किसी बडे कारपोरेट घरानों और बडे उद्योगपतियों को टैक्स की चोरी करने के आरोप में जेल जाते हुए देखा है? यहां तो टैक्स की चोरी करने के बाद सीनाजोरी कर ईमानदार घोषित करने की परंपरा है। अगर पावेल डयूरोव भारत का नागरिक होता और उस पर भारत में टैक्स चोरी करने के आरोप होते तो फिर कदापि वह जेल नहीं जाता। फ्रांस की जनता प्रशंसा की पात्र है जो पावेल ड्यूरोव के पक्ष में नहीं खड़ी हुई। फ्रांस की जनता यह नहीं कहा कि पावेल एक हस्ती है, इसलिए उसे मत गिरफ्तार करो। फ्रांस स की सरकार पावेल की शक्ति से नहीं डरी। फ्रांस ने यह नहीं समझा कि दुनिया का सोशल मीडिया में उसकी बदनामी हो सकती है। सोशल मीडिया में उसकी छवि खराब हो सकती है और उस पर लोकतंत्र को कुचलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की कब्र खोदने जैसे अंतिरंजित आरोप भी लग सकते हैं।
अभिव्यक्ति के नाम पर सोशल और मैसेजिंग दुनिया के मालिकों को अराजक नहीं बनाने देना चाहिए, उनके आतंकवादी सहचर होने के प्रमाणों को खारिज नहीं करना चाहिए, उनकी टैक्स चोरी की करतूत पर उदासीनता नहीं बरतनी चाहिए। प्रांस ने वीरता दिखायी है, दृढता दिखाई है। पावेल ड्यरोव जैसी हस्ती की गर्दन उसने नापी है। खासकर अमेरिका और भारत को भी इसी तरह की नीतियां अपनानी चाहिए। अधिकतर सोशल मीडिया के संस्थापक अपेरिका में रहते हैं और वहीं से अपना खेल दुनिया भर करते हैं। भारत सोशल मीडिया और मैंसेजिंग मीडिया संस्थानों का आसान शिकार है। भारत को भी फ्रांस की नीति अपनानी चाहिए और सोशल मीडिया व मैसेजिंग मीडिया के संचालको की गर्दन भारत विरोधी भावनाओं के खिलाफ नापनी चाहिए।