Sunday, April 13, 2025
- Advertisement -

अनदेखी का शिकार प्राचीन बूढ़ी गंगा नदी का अस्तित्व खतरे में

  • कभी बहती थी निर्मल गंगा बनकर, आज गंदे नाले में हुई तब्दील

जनवाणी संवाददाता |

हस्तिनापुर: प्राचीन बूढ़ी गंगा नदी पर इंसानी भूख इतनी बढ़ी कि गंगा का ही स्वरूप बदल दिया। जो गंगा नदी कभी कल-कल कर बहती थी। आज वह गंगा नदी गंदे नाले में तब्दील हो गई है। हिंदू धर्म की आस्था है कि आज भी कम होने का नाम नहीं ले रही कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित होने वाले गंगा मेले में हजारों श्रद्धालु दीपदान के उपरांत गंदे पानी में स्नान कर पितरों की आत्मा शांति की प्रार्थना करते हैं, लेकिन इसके बाद भी गंगा को निर्मल बनाने की तरफ किसी का ध्यान नहीं है। जल्द ही नहीं चेता गया तो वह दिन दूर की प्राचीन गंगा नदी का अस्तित्व खत्म हो जाए।

कहने को गंगा नदी का इतिहास हजारों साल पुराना है। कहा जाता है कि प्राचीन बूढ़ी गंगा नदी वर्तमान गंगा नदी की मां है। ऐसी मान्यता है कि हजारों साल पहले भगवान शिव की जटाओं से गंगा को मुक्त कराने के बाद राजा भगीरथ के पवित्र पद महाभारत काल से पहले हस्तिनापुर से होकर गुजरे थे। जहां कई दशक पहले बूढ़ी गंगा का विशालकाय रूप देखने को मिलता था, लेकिन समय परिवर्तन और लोगों की बढ़ती जमीनी भूख ने गंगा को प्रदूषित ही नहीं किया, बल्कि उस पर अवैध रूप से कब्जा कर उसमें विशाल इमारतें भी खड़ी कर ली।

27 3

प्रशासन की अनदेखी के चलते हिंदू धर्म की आस्था का प्रतीक माने जाने वाली बूढ़ी गंगा नदी की जमीन पर सरकार ने 1987-88 में सरकार द्वारा बंगालियों को पट्टी के रूप में काबिज किया गया। हजारों किलोमीटर में फैली बूढ़ी गंगा में फैक्ट्रियों और गंदे नाले का प्रदूषित पानी आने से अस्तित्व पर गहरा संकट गहराने लगा है। प्रशासन की अनदेखी के कारण वर्तमान में गंगा नदी महज कागजों में ही सिमट कर रह गई है।

प्रतिवर्ष होता है भव्य मेले का आयोजन

मान्यता के चलते प्रतिवर्ष होता है। मेला आयोजित हिंदू धर्म की आस्था का प्रतीक कही जाने वाली प्राचीन बूढ़ी गंगा नदी पर प्रति वर्ष का प्रतीक कही जाने वाली प्राचीन बूढ़ी गंगा नदी पर प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है।

जिसमें हजारों श्रद्धालु स्नान करते हैं, लेकिन आज ना तो श्रद्धालुओं के स्नान के लिए पानी है और न दीपदान के लिए जगह बाकी रखी है, लेकिन हिंदू धर्म की आस्था प्रशासन की अनदेखी के बाद आज भी जीवित है। लोग आज भी अपने पितरों की आत्मा शांति के लिए बदतर पानी में दीपदान कर स्नान करते हैं।

हस्तिनापुर में बिक जाती है 132 की लैंड

आज भी यहां पट्टे बिक जाते हैं। गंगा दर्शन को आए मेरठ के तत्कालीन मंडलायुक्त देवेंद्र चौधरी की नजर लुप्त होती प्राचीन गंगा नदी पर पड़ी तो हालात देखकर इतनी दुखी हुए कि उन्होंने गंगा मध्य पट्टों को निरस्त करने के निर्देश तत्काल दे दिए, लेकिन उनके जाने के बाद उनके आदेश भी हवाई होगे उनके जाने के बाद उनके आदेश भी हवाई हो गए सालों से लैंड 132 में होने के बाद भी तहसील कर्मचारियों की मिलीभगत होने के चलते पट्टू की बिक्री के साथ दाखिल खारिज भी हो जाता है।

औपचारिकता बनकर रह गई परंपरा

हिंदू संस्कृति की अनमोल धरोहर के बारे में बात करें तो वन आरक्षित क्षेत्र से होकर गुजरने वाली प्राचीन गंगा नदी एक ऐतिहासिक धरोहर है। वर्तमान हाल बात करें तो गंगा नदी के स्वरूप को देख कर वर्तमान हाल बात करें तो ऐसा लगता है कि वह दिन दूर नहीं, जब ऐतिहासिक नदी को इतिहास बनने में विलंब न होगाा।

प्राचीन गंगा नदी पर प्रतिवर्ष कई दशक से कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर मेला लगाने की परंपरा है। जिसमें हजारों श्रद्धालु अपने पितरों की आत्मा शांति के लिए दीपदान कर पवित्र गंगा में स्नान करते हैं। बूढ़ी गंगा की दुर्दशा से यह परंपरा अब मात्र औपचारिकता बनकर रह गई है।

spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Bijnor News: रविंद्र कुमार बने नजीबाबाद कोतवाल, जय भगवान नूरपुर भेजा 

जनवाणी संवाददाता बिजनौर: एसपी ने कानून व्यवस्था को प्रभारी...

Muzaffarnagar News: पुलिस-परिवहन विभाग की लापरवाही या अवैध उगाही

जनवाणी संवाददाता मुजफ्फरनगर: मुजफ्फरनगर में हाइवे से लेकर आम सड़कों...

Bijnor News: दीवार के नीचे दबने से एक मजदूर की मौत, तीन घायल

जनवाणी टीम बिजनौर/किरतपुर: थाना किरतपुर क्षेत्र के गांव शाहपुर सुक्खा...

Padma Awards: पद्म पुरस्कार 2026 की नामांकन प्रक्रिया शुरू, जानिए लास्ट डेट

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...

Trump Tariffs: अब चीन ने अमेरिकी उत्पादों पर बढ़ाया टैरिफ, शुल्क बढ़ाकर किया 125%

नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और...
spot_imgspot_img