Thursday, August 28, 2025
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बात ईवीएम से आगे चली गई है

भारत वर्ष को विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में जहां दुनिया जानती है वहीं यहां होने वाले चुनाव भी पूरी दुनिया को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। कई बार विश्व के नेताओं के प्रतिनिधिमंडल हमारे विशाल देश की चुनावी प्रक्रिया को देखने व समझने के लिए चुनावों के दौरान भारत आते रहे हैं। उधर भारतीय चुनाव आयोग जहां इस विशाल चुनाव के सफल संचालन का हमेशा श्रेय लेता आया है वहीं इन्हीं चुनावों में प्राय: कहीं न कहीं चुनावी धांधली के आरोप भी लगते रहे हैं। विगत में लोकसभा व विधानसभा के कुछ चुनाव तो ऐसे भी संपन्न हुए, जिनके परिणामों ने चुनाव पूर्व होने वाले सभी सर्वेक्षणों को पूरी तरह नकार दिया। वैसे भी जब से देश में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के माध्यम से वोट पड़ने शुरू हुए हैं, उसी समय से मतदान की निष्पक्षता पर सवाल उठते रहे हैं। स्वयं भारतीय जनता पार्टी के ही वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रह्मण्यम स्वामी और राज्यसभा सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव जैसे कई प्रमुख नेताओं ने समय-समय पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए इसके इस्तेमाल का विरोध किया है।

बहरहाल 2014 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद ईवीएम की विश्वसनीयता का सवाल अब विपक्षी दलों द्वारा किया जाने लगा है। पिछले एक दशक से होने वाले लगभग सभी चुनावों में ईवीएम से होने वाली धांधलियों के अनेक आरोप लगते रहे हैं। कभी ईवीएम बदलने के तो कभी ईवीएम चोरी होने के। कभी मतदाताओं को यह कहते सुना गया कि उन्होंने वोट तो कहीं और दिया परंतु ईवीएम मशीनकिसी दूसरे निशान पर वोट पड़ा बताती है। हालांकि पिछले चुनावों में कई बार कई राज्यों में विपक्षी दलों की सरकारें भी बनीं, परन्तु ईवीएम का विरोध निरंतर जारी रहा। दिल्ली में जंतर मंतर पर अनेक बार ईवीएम विरोधी प्रदर्शन भी हुए। देश के वकीलों का एक बड़ा वर्ग खुलकर ईवीएम के विरोध में खड़ा हुआ परंतु सरकार व चुनाव आयोग ईवीएम पर ही विश्वास जताते रहे।परंतु अब मामला ईवीएम की विश्वसनीयता से भी आगे बढ़कर वोटर लिस्ट में हो रही भयंकर धांधली का उजागर हुआ है। और इसका भंडाफोड़ किया है लोक सभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने।

गत 7 अगस्त को राहुल गांधी ने ‘बड़े पैमाने पर हो रही चुनावी धोखाधड़ी को उजागर किया। उन्होंने विशेष रूप से कर्नाटक के बेंगलुरु मध्य लोकसभा क्षेत्र में, महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र पर विशेष ध्यान केंद्रित करते हुए मतदाता सूचियों में, विशिष्ट अनियमितताओं को उजागर किया। राहुल गांधी ने दावा किया कि केवल (महादेवपुरा) क्षेत्र में, कुल 6.5 लाख मतदाताओं में से, 1 लाख से अधिक फर्जी मतदाताओं को मतदाता सूची में जोड़ा गया, जिससे उस क्षेत्र में भाजपा की 1,14,046 मतों के महत्वपूर्ण अंतर से जीत हुई। उन्होंने मतदाता सूची में विसंगतियों के उदाहरण दिए और मतदाता सूचियों में हेराफेरी, डुप्लिकेट मतदाता, साक्ष्यों का विनाश और पारदर्शिता का अभाव:, असामान्य मतदान पैटर्न आदि विषयों को प्रमाण सहित उठाया। गांधी ने कथित वोट चोरी में शामिल चुनाव आयोग के शीर्ष से लेकर निचले स्तर तक के अधिकारियों को चेतावनी भी दी कि उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद भी परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने उनके कार्यों को ‘देशद्रोही’ और राष्ट्रहित के विरुद्ध करार दिया और कहा कि कांग्रेस उन्हें जवाबदेह ठहराएगी। राहुल गांधी ने छ: महीने की कड़ी मशक़्कत के बाद कांग्रेस द्वारा जुटाए गए इन सबूतों को ‘परमाणु बम’ का नाम दिया। उन्होंने कहा कि इनके सार्वजनिक प्रकाशन से चुनाव आयोग की भूमिका उजागर हो जाएगी और उसके पास “छिपने की कोई जगह नहीं बचेगी।”

राहुल गांधी के मांगने पर चुनाव आयोग ने लगभग तीन क्विंटल से भी अधिक कागजों के विशाल बंडल उन्हें भेजे थे। राहुल ने अपने विशेषज्ञों के साथ इन कागजात में से केवल चार किलो कागज का चुनाव किया और बड़ी बारीकी से उनका डेटा अध्ययन किया। जब इन कागजात में ही वोटों की बड़ी चोरी पकड़ी गई, तभी राहुल गांधी इस नतीजे पर पहुंच गए कि जब 4 किलो कागजात फर्जी हैं तो शेष सैकड़ों किलो कागजात भी फर्जी ही हैं। गोया अब सवाल महादेवपुरा विधानसभा का ही नहीं बल्कि देश की प्रत्येक विधानसभा और लोकसभा सीटों के चुनाव का है? यही वजह है कि अब राहुल गांधी देश की सभी 543 लोकसभा का वोटर डेटा मांग रहे हैं। वह इसीलिए ‘मशीन रिडेबल’ डेटा की मांग कर रहे हैं ताकि डेटा और फोटो एनालिसिस हो सके। कांग्रेस का मानना है कि यदि चुनाव आयोग ने मशीन डेटा दे दिया तो मात्र 7 दिनों में हर एक वोटर की पहचान हो जाएगी और एसआईआर करने की कोई आवश्यकता ही नहीं रहेगी। और मशीन डेटा से रोहंगिया , बांग्लादेशी, पाकिस्तानी, नेपाली जो भी फर्जी मतदाता होंगे सभी सामने आ जायेंगे।

परंतु आश्चर्य है कि भारतीय इतिहास में पहली बार नेता प्रतिपक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा चुनाव आयोग पर इतने गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं। पूरी सरकार व प्रधानमंत्री तक को फर्जी सरकार का फर्जी प्रधानमंत्री बताया जा रहा है। परंतु भाजपा व चुनाव आयोग दोनों ही एक-दूसरे के पीछे छिपने की कोशिश कर रहे हैं। वही पुराना राग अलाप रहे हैं कि राहुल गांधी के आरोप ्न‘निराधार’, ‘शर्मनाक’ और ‘लोकतंत्र का अपमान’ है। और भाजपा नेताओं के अनुसार ये आरोप कांग्रेस की हार से उपजी हताशा का परिणाम हैं। उन्होंने कांग्रेस को कानूनी रास्ता अपनाने की चुनौती दी और निर्वाचन आयोग की ‘निष्पक्षता’ का बचाव किया। साथ ही भाजपा ने इसे कांग्रेस द्वारा संवैधानिक संस्थानों पर हमले के रूप में वर्णित किया।

याद कीजिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का वह आरोप जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके लोकसभा क्षेत्र में साढ़े तीन लाख वोटरों के नाम काट दिए गए थे। किसने कटवाए थे, ये नाम? क्यों काटे गए? ऐसी अनियमिताओं की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की नहीं तो किसकी है? किसके इशारे पर होता है यह काम? क्या यह देश के लोकतांत्रिक ढांचे के खिलाफ ‘साजिश’ नहीं? राहुल गांधी ने यह आरोप भी लगाया कि महाराष्ट्र में केवल पांच महीनों में लगभग 40 लाख संदिग्ध मतदाताओं को मतदाता सूची में जोड़ा गया, जिससे चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर संदेह पैदा होता है।

उधर महाराष्ट्र में ही कई प्रत्याशी भी यह कहते सुने गए कि भाजपा नियंत्रित अधिकांश बूथ पर शाम पांच बजे के बाद ‘अनजान मतदाताओं’ की बड़ी भीड़ इकठ्ठा हुई थी। कौन थे कहां से आए थे ये मतदाता? चुनाव आयोग को नेता प्रतिपक्ष के प्रत्येक संदेह व आरोप का संतोषजनक उत्तर देना चाहिए, ताकि देश और दुनिया यह जान व समझ सके कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में चुनाव निष्पक्ष संपन्न होते हैं। जो भी साजिशों के स्वयंभू ‘चाणक्य’ हों, उन्हें बेनकाब कर उनके विरोध मुकदमा चलना चाहिए। अन्यथा राहुल से हलफनामा मांगने जैसी बातें करना तो उनके संगीन आरोपों से मुंह छुपाने का बहाना मात्र प्रतीत होती हैं।

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