Wednesday, June 11, 2025
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रहस्यों से भरा है सांपों का संसार


सांप को देखते ही आम इंसान के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। क्या आप जानते हैं कि सभी सांप जहरीले नहीं होते। विश्व भर में आॅस्ट्रेलियन टाइगर सर्वाधिक विषैला है तो भारत में क्रेट से जहरीला कोई नहीं। सरीसृप वर्गीय जन्तुओं में सांपों का प्रमुख स्थान है। भारत में कई प्रजातियों के सर्प मिलते हैं। इनमें से विषैले एवं विषहीन दोनों ही पाए जाते हैं। राजस्थान में सांपों की 35 से 4० प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें केवल चार प्रजातियां क्रट, कोबरा, रसल वाइपर एवं सास्केल वाइपर ही जहरीली हैं। विश्वव्यापी जैव विविधता के वर्गीकरण के आधार पर नीआर्कटिक क्षेत्र में दक्षिण अमेरिका, मध्य अमेरिका, दक्षिणी मैक्सिको तथा वेस्ट इण्डीज में कोरल सांप, पिट वाइपर पाए जाते हैं।

सांप प्राय: जंगली इलाकों और कृषि बहुल क्षेत्रों में अपेक्षाकृत ज्यादा नजर आते हैं। बारिश व गर्मी के मौसम में सांप खेतों तथा खुले स्थानों में विचरण करते हैं। वे कभी बिना छेड़े नुक्सान नहीं पहुंचाते लेकिन जानकारी के अभाव में सांपों का संसार सदियों से रहस्यों से भरा हुआ है। वन्य जीव-जन्तुओं के विशेषज्ञों के शोध से एक समान बात यह सामने आई कि झ्सांप तभी डसता है, जब वह अपने को असुरक्षित महसूस करता है। सांप भी इंसान को देखते ही घबरा जाते हैं लेकिन एकदम से हमला नहीं करते।

कोबरा जैसा खतरनाक सांप भी समीप जाने पर खड़ा होकर फुंफकारता है मगर हम उसकी चेतावनी को नहीं समझ कर यह मान लेते हैं कि वह हम पर हमला करेगा। इसी सोच के चलते हम बिना सोचे-समझे सांप को मार देते हैं, सांप जहरीला है अथवा नहीं, यह जानकारी नहीं होने पर भी। सांपों को आदमी के पास आने की कोई दिलचस्पी नहीं होती। बेहद शमीर्ले स्वभाव के ये जीव अपने दायरे में ही खोए रहना पसंद करते हैं पर उन्हें समझा नहीं जा रहा। प्रकृति के ढांचे में संतुलन बनाए रखने में सांपों के महत्वपूर्ण योगदान को नजरंदाज नहीं किया जा सकता भले यह मानव द्वारा पसंदीदा जीवों की श्रेणी में शुमार नहीं।

अनेक भ्रांतियों और अज्ञानता के चलते लोग अपने इस प्राकृतिक मित्र के दुश्मन बने हैं। सांप को देखते ही मौत के घाट उतार दिया जाता है। हर साल हजारों सांप इंसान के हाथों बेमौत मारे जाते हैं। इससे उनकी कई प्रजातियों का अस्तित्व संकट में पड़ जाने की आशंका है। सांप नहीं हों तो पृथ्वी पर मेंढकों, चूहों और ऐसे कीट-पतंगों की भरमार हो जाएगी जिन्हें खाकर सांप प्रकृति में जीवों का सन्तुलन बनाए रखते हैं। ये जीव यदि बढ़ जाएंगे तो समस्याएं ही खड़ी होंगी। ये किसान के सच्चे मित्र हैं जो खेतों से चूहों और हानिकारक कीटों का सफाया करते हैं। प्राणी विज्ञान के विशेषज्ञों के अनुसार झ्चूहे हमारा 22 फीसदी अन्न खराब कर डालते हैं। अगर सांप न हों तो यह मात्र बहुत बढ़ जाएगी।

भारत में संकटग्रस्त सांपों में अजगर, पीवण सांप भी हैं। भारत के राजस्थान एवं महाराष्ट्र के राज्यों में सांप को झ्नागदेवता’ मानकर इसकी पूजा करने की परम्परा आज भी प्रचलित है। नाग पंचमी के दिन लोग अपनी अटूट श्रद्धा के कारण सपेरों की कैद से सांप को आजाद भी करवाते हैं। सांपों को संरक्षण प्रदान करने में अहमदाबाद स्थित सुन्दर वन स्नेक पार्क है। इसी तर्ज पर सरकार व स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से जिन स्थानों पर सांप बहुतायत में पाए जाते हैं। उन स्थानों पर स्नेक पार्क स्थापित कर लोगों को सांपों के बारे में जागरूक करने की आवश्यकता है जिससे सांप और मानव के बीच पड़ी रहस्य की खाई को पाट कर उन्हें परस्पर मित्र बनाया जा सकता है।

क्या सांप बीन की धुन पर नाचता है?

सांप के कान ही नहीं होते। वह सुन नहीं सकता। वह केवल बीन के साथ-साथ हिलता है। इसे ही उसका नृत्य कह दिया जाता है।

सांप बदला लेता है। किसी सांप को मार देने पर वह फिर अकेले में मिलेगा और डस लेगा?

यह सत्य नहीं। बदला लेने की भावना केवल मनुष्य में होती है।

सांप दूध पीते हैं?

यह गलत है। सांप, मेंढक, चूहे, छोटे सरिसृपों और कीट-पतंगों को खाते हैं। सांप कई बार अंडे खा लेते हैं मगर दूध तो कतई नहीं पीते।

सांप के फन में मणि होती है?

मणियों की बातें किस्से-कहानियों की देन है। ऐसा होता तो सांप पकड़ने वाले गरीब नहीं होते।

                                                                                    गणपत पंवार


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