Friday, January 10, 2025
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मिट्टी की जांच के हैं कई फायदे

 

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देश के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार की तरफ से किसानों के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं। जिनके माध्यम से किसान को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाभ मिल रहा है। सरकार की तरफ से अब कृषि विकास को नए आयाम देने के लिए मृदा संरक्षण पर जोर दिया जा रहा है। क्योंकि लगातार रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक दोहन की वजह से भूमि ने अपनी उर्वरक क्षमता को खो दिया है। देश में कृषि के क्षेत्र में विकास कार्यों को बढ़ावा देने का काम प्रथम पंचवर्षीय योजना से ही शुरू किया गया था। जिसके साथ रासायनिक उर्वरकों को बढ़ावा दिया गया।

इन रासायनिक उत्पादों की वजह से भूमि से फसल की मिलने वाली पैदावार स्थिर हो चुकी है। जिसको बढ़ाने के लिए सरकार अब जैविक खेती को बढ़ावा दे रही हैं।

मिट्टी की जांच

मिट्टी के अंदर 16 तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं। पेड़ पौधे भी मिट्टी में मौजूद इन पोषक तत्वों के आधार पर अपना विकास करते हैं। मिट्टी में लगातार रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों की वजह से भूमि में मौजूद पोषक तत्व कम होने लगे हैं। लेकिन वर्तमान में लोगों के जागरूक होने की वजह से जैविक कृषि का योगदान अब बढ़ता जा रहा है। लोग अब कृषि के प्रति काफी जागरूक हो चुके हैं।

आज लोग कृषि में नए नए तरीकों का इस्तेमाल कर खेती कर रहे हैं। जिससे उन्हें उनकी उपज से अधिक लाभ मिल रहा है। लेकिन अभी भी काफी लोग हैं जिन्हें अभी तक अपने खेत की मिट्टी के बारें में ही अच्छे से मालूम नही हैं। उन्हें ये नही पता होता की भूमि में किस चीज की कमी है, और किस चीज को देने पर पौधों की पैदावार अधिक प्राप्त होगी। इन सभी से छुटकारा देने के लिए सरकार ने मिट्टी की जांच के लिए मृदा परीक्षण केंद्रों की स्थापना की है। जिन पर किसान भाई अपने खेत की मिट्टी की जांच करा सकता हैं।

मिट्टी की जांच क्यों जरूरी है?

किसी भी फसल से उन्नत उपज लेने के लिए ये जानना जरूरी हैं कि उसे जिस मिट्टी के लगाया जा रहा है। उसमें उसके विकास के लिए पोषक तत्व मौजूद हैं या नही। जो मिट्टी जांच से पता चल जाता हैं।

मिट्टी की जांच में भूमि के अम्लीय और क्षारीय गुणों की जांच की जाती है। ताकि पीएच मान के आधार पर उचित फसल को उगाया जा सके। और भूमि सुधार किया जा सके।

मिट्टी जांच कराकर ये पता लगाया जा सकता है कि खेत में किसी किस फसल को उगाया जा सकता है। जिससे कम खर्च में अधिक उत्पादन मिल सकता है।

मिट्टी की जांच कराने के बाद भूमि में मौजूद कमियों को सुधारकर फिर से उपजाऊ बनाने के लिए।

मिट्टी परीक्षण करवाकर किसान भाई उर्वरकों और रसायनों पर होने वाले अनावश्यक खर्च से बच सकता है।

जैविक तरीके से खेती करने वाले किसान भाई मिट्टी की जांच कराकर मिट्टी के जैविक गुणों का पता लगा सकते हैं। और उसी के आधार पर जैविक पोषक तत्वों का इस्तेमाल पूरी तरह से जैविक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

मिट्टी की जांच कैसे करवाएं?

खेत की मिट्टी की जांच कराने के लिए पहले खेत की मिट्टी के नमूने लिए जाते हैं। खेत की मिट्टी का नमूना रबी और खरीफ फसलों की कटाई और बुवाई के बीच के टाइम में लिया जाता हैं। लेकिन मिट्टी का नमूना लेते वक्त भी कई तरह की सावधानियां रखी जाती हैं।

मिट्टी का नमूना लेने के लिए साफ पॉलीथीन का इस्तेमाल करें।

मिट्टी का नमूना कभी भी खेत में जैविक खाद के ढेर के नीचे से नही लेना चाहिए।

जलभराव, मेड के पास की मिट्टी और अधिक गहराई की मिट्टी का नमूना नही लेना चाहिए।

नमूने की मिट्टी को लेते वक्त ध्यान रहे की खेत अगर बड़ा हो और मिट्टी अलग अलग दशा की हो तो सभी जगहों का नमूना अलग लग लें। अधिकतम एक हेक्टेयर खेत का नमूना एक बार में लेना चाहिए।

खेत में ढलान असामान्य तरीके से हो तो खेत में अलग अलग ऊंचाई से मिट्टी का नमूना एकत्रित करें।

नमूने के लिए ली गई मिट्टी से किसी भी चीज की सफाई ना करें।

मिट्टी का नमूना लेने के लिए पहले नमूने वाली जगह के ऊपर से दो से तीन सेंटीमीटर तक की मिट्टी को हटाकर इसके नमूने एकत्रित कर लें। नमूने लेने के लिए वी आकार में खुदाई करें।

नमूना भरने का तरीका

मिट्टी का नमूना लेने का सबसे उत्तम तरीका खेत में लगभग 10 से 12 जगहों से चिन्हित करें। उसके बाद उसके ऊपर से दो से तीन सेंटीमीटर तक की मिट्टी को हटाकर इसके नमूने एकत्रित कर लें। उसके बाद मिट्टी को धूप में सुखाकर भुरभुरा बना लें। उसके बाद मिट्टी को अच्छे से आपस में मिला लें। और उसमें से बराबर भाग बनाते हुए आधा किलो मिट्टी को निकाल लें। जिसका इस्तेमाल जांच के लिए लिया जाता हैं।

नमूना निकालने के बाद उस पर लेबल लगाया जाता है। जिस पर खेत से संबंधित सभी तरह की जानकारी लिखी होनी चाहिए। लेबल बनाते वक्त एक साथ हमेशा दो लेबल ही बानाएं। ताकि एक को नमूने की थैली में डालने के बाद दूसरा किसान भाई खुद के पास रख लें। लेबल पर्ची में मिट्टी का नाम, खेत का नंबर, खेत में लगाई जाने वाली फसलों का फसल चक्र, भूमि में पानी की गहराई, सिंचाई की व्यवस्था और खेत में उपयोग लिए जाने वाले रासायनिक उर्वरकों का सम्पूर्ण ब्यौरा लेबल पर्ची में लिखकर दें।


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