नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपकास हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। इस वर्ष आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि सोमवार, 23 जून 2025 को पड़ रही है। यह संयोग अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि जब त्रयोदशी तिथि सोमवार के दिन आती है, तो उसे “सोम प्रदोष व्रत” कहा जाता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। इस दिन श्रद्धालु दिनभर उपवास रखते हैं और संध्या के समय शिव पूजन कर जीवन की समस्त बाधाओं, कष्टों और रोगों से मुक्ति की कामना करते हैं।
इस वर्ष का सोम प्रदोष व्रत और भी विशेष बन रहा है, क्योंकि इस दिन धृति योग और सर्वार्थ सिद्धि योग जैसे शुभ योगों का संयोग बन रहा है। ज्योतिष के अनुसार, ये योग किसी भी कार्य को सफल बनाने में अत्यंत सहायक होते हैं।
शुभ मुहूर्त
शिव पूजा का समय (प्रदोष काल): शाम 7:22 बजे से रात 9:23 बजे तक
धृति योग समाप्त: दोपहर 1:17 बजे
सर्वार्थ सिद्धि योग आरंभ: दोपहर 3:16 बजे
सर्वार्थ सिद्धि योग समाप्त: 24 जून सुबह 5:25 बजे तक
पूजा विधि
प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें। संकल्प के समय हाथ में जल, फूल और अक्षत (चावल) लें।
पूरे दिन उपवास रखें, फलाहार या केवल जल पर रहें।
शाम के समय, गोधूलि बेला में दीप जलाकर घर के मंदिर को सजाएं।
भगवान शिव, माता पार्वती, नंदी और गणेशजी की पूजा करें।
शिवलिंग पर जल, दूध या पंचामृत से अभिषेक करें। इसके बाद बेलपत्र, धतूरा, पुष्प, भस्म आदि अर्पित करें।
सोम प्रदोष व्रत कथा का श्रवण या पाठ करें।
भगवान शिव की आरती करें और अंत में पूजा में हुई किसी भूल के लिए क्षमा मांगें।
श्रद्धानुसार शिव गायत्री मंत्र, शिव स्तुति और शिव आरोग्य मंत्र का जप करें।
शिव मंत्र और शिव स्तुति
शिव ध्यान मंत्र
करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं वा श्रवणनयनजं वा मानसंवापराधं ।
विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥
शिव गायत्री मंत्र
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात ।
शिव आरोग्य मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
शिव स्तुति
आशुतोष शशाँक शेखर, चन्द्र मौली चिदंबरा,
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू, कोटि नमन दिगम्बरा ॥
निर्विकार ओमकार अविनाशी, तुम्ही देवाधि देव,
जगत सर्जक प्रलय करता, शिवम सत्यम सुंदरा ॥
निरंकार स्वरूप कालेश्वर, महा योगीश्वरा,
दयानिधि दानिश्वर जय, जटाधार अभयंकरा ॥
शूल पानी त्रिशूल धारी, औगड़ी बाघम्बरी,
जय महेश त्रिलोचनाय, विश्वनाथ विशम्भरा ॥
नाथ नागेश्वर हरो हर, पाप साप अभिशाप तम,
महादेव महान भोले, सदा शिव शिव संकरा ॥
जगत पति अनुरकती भक्ति, सदैव तेरे चरण हो,
क्षमा हो अपराध सब, जय जयति जगदीश्वरा ॥
जनम जीवन जगत का, संताप ताप मिटे सभी,
ओम नमः शिवाय मन, जपता रहे पञ्चाक्षरा ॥
आशुतोष शशाँक शेखर, चन्द्र मौली चिदंबरा,
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू, कोटि नमन दिगम्बरा ॥
सोम प्रदोष व्रत पर करें ये काम
शिवलिंग पर शुद्ध जल अर्पित करें और ॐ नमः शिवाय का जाप करें।
गरीबों को अन्न, वस्त्र या दान करें।
रोग, कर्ज या पारिवारिक तनाव से मुक्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करें।
सोम प्रदोष व्रत का महत्व
सोम प्रदोष व्रत को करने से भगवान शिव विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं। यह व्रत न केवल आरोग्य, धन-संपत्ति और पारिवारिक सुख देता है, बल्कि जीवन की जटिल समस्याओं से मुक्ति दिलाने वाला भी माना जाता है। जिन लोगों के जीवन में बार-बार रुकावटें, कर्ज या रोग आते हैं, उनके लिए यह व्रत अत्यंत लाभकारी होता है।