नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। देशभर में छठ पर्व का त्योहार मनाया जा रहा है। दरअसल, बीते दिन यानि नहाय खाय से इस पर्व की शुरूआत हो चुकी है। वहीं, आज बुधवार यानि 6 नवंबर को छठ त्योहार का दूसरा दिन मनाया जा रहा है। इसको हम खराना कहते हैं। कहा जाता है कि, यह पर्व
संतान प्राप्ति, उनकी सुख-समृद्धि के लिए है। इस पर्व में भगवान भास्कर और छठी मैया की पूजा करने की परंपरा है।
नहाय खाय के दिन, भक्त गंगा सहित पवित्र नदियों में स्नान और ध्यान करने के बाद सूर्य देव की पूजा करते हैं। फिर शाम को सात्विक भोजन करते हैं। इसके अगले दिन खरना व्रत रखा जाता है। इस दिन पूजा का विशेष महत्व होता है। आइए जानते हैं आज खरना का शुभ मुहूर्त पूजा विधि और महत्व के बारे में।
शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- 04:59 बजे से 05:52 बजे तक
सूर्योदय- सुबह 06:45 बजे पर
सूर्यास्त- शाम 09:26 बजे पर
पूजा विधि
- खरना पूजा के दिन व्रती को सबसे पहले स्नान आदि करना चाहिए।
- इसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें।
- शाम के समय मिट्टी के चूल्हे पर चावल, गुड़ और दूध का प्रयोग करके खीर बनानी चाहिए।
- सबसे पहले छठ माता को भोग लगाएं।
- अंत में व्रती को प्रसाद अवश्य ग्रहण करना चाहिए।
खरना के नियम
- खरना वाले दिन घर में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
- इस दिन बनने वाला प्रसाद को चखने की भूल न करें। साथ ही खरना पूजा का प्रसाद ऐसे स्थान पर बनाए, जहां रोजमर्रा का खाना न बनता हो।
- छठ पर्व के दिनों में घर में प्याज और लहसुन का सेवन न करें
- छठ का व्रत रखने वाली महिलाएं उन्हें पलंग या चारपाई पर नहीं सोना चाहिए। वह जमीन पर कपड़ा बिछाकर सोएं।
- व्रत रह रही महिलाएं याद रखें कि, सूर्य को अर्घ्य दिए बिना किसी भी चीज का सेवन न करें।
महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार खरना का अर्थ पवित्रता होता है। यह दिन नहाय-खाय के एक दिन बाद मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन अंतर्मन की पवित्रता पर विशेष ध्यान दिया जाता है। खरना छठ पूजा के सबसे महत्वपूर्ण पूजा दिनों में से एक है। इस दिन छठी मैया का आगमन होता है जिसके बाद भक्त 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू करते हैं।