नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉट कॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन है। नवरात्रि का आज सातवां दिन है। आज के दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप देवी कालरात्रि कि पूजा की जाती हैं। मां कालरात्रि बुरे कर्मों वाले लोगों का नाश करने और तंत्र-मंत्र से परेशान भक्तों का कल्याण करने वाली देवी कहा जाता हैं। मां कालरात्रि को काली, चंडी, धूम्रवर्णा, चामुंडा, महायोगिनी, महायोगिश्वरी आदि नामों से भी जाना जाता है। मां कालरात्रि का स्वरूप काफी भयंकर है।
मां रात की तरह काली हैं। तीन नेत्रों वाली मां के बाल बिखरे हुए हैं। गले में मां मुंड माला पहनती हैं। गर्दभ पर सवार चार भुजाओं वाली मां का एक हाथ वर मुद्रा में है तो वहीं, दूसरा हाथ अभय मुद्रा में है। मां के बाकी दोनों हाथों में लोहे का कांटा और लोहे की कटार है। मां कालरात्रि की सच्चे मन से आरधना करने पर भक्त को सिद्धियों, निधियों, ज्ञान, शक्ति, धन की प्राप्ति होती है।
ऐसे करें मां कालरात्रि की आराधना
नवरात्रि की सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि के पूजन के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त हो जाएं। अब रोली, अक्षत, दीप, धूप अर्पित करें। लाल मौली, गुड़हल, रात रानी या चंपा का फूल चढ़ाए। मां कालरात्रि को गुड़ का प्रसाद अति प्रिय है। ‘ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दुर्गति नाशिन्यै महामायायै स्वाहा।’ का यथाशक्ति जाप करें। अंत में कपूर की आरती करें फिर गुड़ के भोग का एक हिस्सा ब्राह्मणों और दूसरा परिवारजनों को बांट दें। कहते है कि मां कालरात्रि की पूजा मध्यरात्रि में शुभफलदायी मानी जाती है।
मां कालरात्रि के मंत्र
क्लीं ऐं श्रीं कालिकायै नम:
‘ॐ फट् शत्रून साघय घातय ॐ।’
ॐ कालरात्र्यै नम:
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा। वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
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