Sunday, April 13, 2025
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ट्रैफिक का स्टाफ तो है, मगर रिलेक्स मूड में

  • माल रोड का हैवी ट्रैफिक एरिया होमगार्ड के भरोसे
  • यातायात सुगम बनाने के बजाए ध्यान आउटर नंबर की गाड़ियों पर

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: शहर की भीड़भाड़ और जाम से बचने के लिए माल रोड से गुजरने वाले हैवी ट्रैफिक को कंट्रोल करने के लिए यूं कहने को करीब दर्जन भर से ज्यादा स्टॉफ लगाया गया है, लेकिन जो स्टाफ लगाया गया है वो आमतौर पर रिलेक्स के मूड में नजर आता है। जहां तक यहां से गुजरने वाले ट्रैफिक कंट्रोल करने की बात है तो वो जिम्मेदारी होमगार्ड उठा रहे हैं। वहीं, ट्रैफिक पुलिस के स्टॉफ की यदि बात की जाए तो वो अक्सर पेड़ की छांव में नजर आएंगे।

या फिर माल रोड और मवाना रोड के डेयरी फॉर्म के तक के रास्ते पर वहां अलर्ट मोड में दिखाई देंगे जहां से आउटर गाड़ियां यानि मेरठ के बाहर के नंबरों वाली गाड़ियां विशेषतौर पर हरियाणा व दिल्ली सरीखे राज्यों की गाड़ियां गुजरती हैं। बाहरी नंबर की कोई भी गाड़ी इनकी नजर से बचकर नहीं निकल सकती। इनकी गिद्ध दृष्टि से आउटर नंबर की कोई गाड़ी बचकर निकल नहीं सकती और जिस पर इनकी वक्री दृष्टि पड़ जाए वो बगैर चढ़ावा दिए आगे बढ़ नहीं सकता।

रिलेक्स मूड में पेड़ की छांव

रुड़की रोड से वाया माल रोड मवाना रोड डेयरी फॉर्म तक के रास्ते की यदि बात की जाए तो रुड़की रोड पर गांधी बाग के पीछे जिसे फोनिक्स सिनेमा वाला रास्ता भी कहा जाता है, पहला पाइंट माना जा सकता है। यहां कभी भी जाइए ट्रैफिक पुलिस का स्टाफ चर्च वाली साइड में पेड़ की छांव में सुस्ताता नजर आता है। आगे चले तो टैंक चौराहा। इस चौराहे से हजारों गाड़ियां गुजरती हैं,

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लेकिन यहां से गाड़ियों को पास करने की जिम्मेदारी आमतौर पर होमगार्ड का कोई जवान निभाता नजर आएगा। ऐसा नहीं कि यहां ट्रैफिक स्टाफ तैनात नहीं किया जाता है। स्टाफ की बात करें तो सबसे ज्यादा स्टाफ ही इसी चौराहे पर लगाया गया है। यहां टीआई की ड्यूटी लगायी जाती है, लेकिन सबसे ज्यादा व्यस्त चौराहा होने के बाद भी यहां आमतौर पर स्टाफ पेड़ की छांव में रिक्स करता या फिर किसी आउटर नंबर की गाड़ी वाले को रोक कर उससे उलझता ही नजर आता है। जितनी भी आउटर नंबर गाड़ियां रोकी जाती हैं,

उनमें बैठने वाले भले ही कितनी ही मिन्नतें करें, लेकिन आमतौर पर उनकी मिन्नतों पर ट्रैफिक के स्टाफ को पसीजते नहीं देखा जाता। वहीं ट्रैफिक स्टाफ के रिलेक्स मूड की यदि बात करें तो डीईओ यानि रक्षा संपदा कार्यालय चौराहे से लेकर सीडीए बूचरी रोड तिराहा, छह बत्ती पीर वाला चौराहा, सप्लाई डिपो से अगला चौराहा और आयुक्त आवास चौराहा तमाम जगह ट्रैफिक पुलिस का स्टॉफ तो खूब मिलेगा, लेकिन मिलेगा रिलेक्स मूड में।

नहीं बच सकते बाहरी

मवाना रोड और गढ़ रोड से आने वाले बाहरी बाहर आमतौर पर देहरादून या दिल्ली व हरियाणा जाने के लिए वाया माल रोड होकर आगे का सफर तय करते हैं। इस दौरान जैसे ही कोई बाहरी नंबर की गाड़ी टैÑफिक पुलिस की नजरों की रेंज में आती है, करीब आने से पहले ही उसको दूर से ही साइड में लगने का इशारा कर दिया जाता है। अक्सर डेयरी फार्म के समीप एक कट पर, गांधी बाग के बाहर और उससे कुछ आगे वाले तिराहे पर दिन में जब भी गुजरिये आउटर नंबर की गाड़ियां खड़ी मिल जाएंगी।

टॉर्चर सरीखा रवैया

बाहरी नंबर की जिन गाड़ियों को रुकवाया जाता है, उन गाड़ी के रुकते ही गाड़ी को रुकवाने वाला कुछ दूरी पर जाकर बैठ जाएगा, लेकिन यह इस बात पर नजर रखेगा कि गाड़ी लेकर चालक भागने ना पाए। जब काफी देर हो जाएगी तो चालक उतर कर रुकवाने वाले सिपाही के पास पहुंचेगा। थानों में अपराधियों से पूछताछ की तर्ज पर कहां से आए हो, कहां जा रहे हो, गाड़ी में कौन है, गाड़ी प्राइवेट नंबर है उसको अवैध तरीके से टैक्सी में चला रहे हो। सीज की जाएगी। यहां अभी तक गाड़ी के पेपर या उसकी तलाशी जैसी कोई बात नहीं है।

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गाड़ी में बैठे लोगों समेत अन्य पड़ताल के बाद यदि सब कुछ सही होता है, उसके बाद एक दूसरा सिपाही गाड़ी के आगे खड़ा होकर कैमरा निकालकर उसकी फोटो लेना शुरू कर देगा। आमतौर पर यहां पर गाड़ी में बैठे लोगों व उसके ड्राइवर को सब्र जवाब दे देगा। उसे लगेगा कि कोई ना कोई कमी निकालकर आनलाइन चालान भेज दिया जाएगा, जो हजारों में होता है। फिर शुरू होता है, मरता क्या न करता की तर्ज पर कुछ ले देकर पिंड़ छुड़ाने का सिलसिला और ज्यादातर मामलों में लेकर ही पिंड़ छूटता है।

प्रभारी मंत्री से शिकायत बेअसर

रुड़की रोड पर ट्रैफिक पुलिस की इस कथित खुली लूट की जनपद के प्रभारी मंत्री से भी शिकायत की जा चुकी है। शिकायत भी किसी अन्य नहीं बल्कि महानगर भाजपा के पूर्व अध्यक्ष मुकेश सिंहल ने की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि कई बार तो गाड़ी में बीमार होते हैं, मजबूरी भी बतायी जाती है, लेकिन फिर भी पैसे लेकर ही गाड़ी छोड़ी जाती है।

एसएसपी कर चुके हैं चेकिंग की मनाही

चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस द्वारा की जाने वाली चेकिंग को लेकर पूर्व में एसएसपी रोहित सिंह सजवाण साफ कर चुके हैं कि यातायात पुलिस को गाड़ियों की चेकिंग करने की इजाजत नहीं है। वो केवल यातायात कंट्रोल करने के लिए हैं।

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