- धरातल पर काम करने के बजाय, आंकड़ों की चल रही बाजीगिरी
- क्या सीएम के वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये दिए गए निर्देशों का होगा पालन
- गंदगी से पटे हैं शहर के नाले, कागजों में हो जाती है सफाई
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: कब से शहर स्मार्ट सिटी का ख्वाब ही तो देख रहा है। धरातल पर काम करने के बजाय आंकड़ों की बाजीगिरी चल रही है। कहा जा रहा है कि कूड़ा उठाने के मामले में मेरठ टॉपटेन में आ गया है, लेकिन सच जानने के लिए जनवाणी ने पूरे शहर का सर्वे किया। पाया कि कूड़ा कई-कई दिनों तक पड़ा रहता है।
बहुत इलाके तो ऐसे है, पार्षद भी लगातार कूड़ा उठाने की मांग करते रहते हैं, तब जाकर कूड़ा उठाया जाता है। क्या ऐसे हालात में शहर को स्मार्ट सिटी बनाया जा सकता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये मंडलीय समीक्षा की, जिसमें कहा कि शहर को स्मार्ट बनाने की दिशा में कार्य किया जाए। क्या कहने मात्र से शहर स्मार्ट सिटी बन जाएगा, ये असंभव नहीं नजर आ रहा हैं। क्योंकि शहर में जिस तरह से कूड़ा कई-कई दिनों तक नहीं उठता।
गंदगी से नाले अटे पड़े हैं। जरा सी बारिश में शहर जलमग्न हो जाता है। क्या ऐसे बन पाएगा शहर स्मार्ट? सच्चाई जो भी हो, मगर शहर के हालात स्मार्ट सिटी वाले नहीं है। गंदगी जिधर देखों, दिनभर पड़ी रहती है।
शहर के उन प्वांइट को ही साफ किया जाता है, जो अफसरों की पहुंच वाले है। वास्तविकता यह है कि वार्ड स्तर पर ही गंदगी नहीं उठ पाती है। पार्षद भी सफाई नहीं होने पर परेशान है।
शिकायत करते हैं, तो अमल नहीं होता। यही सब चल रहा है। वार्डों में सफाई कर्मियों की तैनाती में भी भेदभाव किया गया है, जिसके आरोप लगते रहे हैं।
इस तरह की शिकायत पार्षदों ने कमिश्नर अनीता सी मेश्राम से भी की थी, मगर सुधार फिर भी नहीं हुआ। वार्ड में ही सफाई कर्मियों की हाजिरी का सिस्टम किया गया, मगर वहां भी गड़बड़झाला किया जा रहा है।
ढाई हजार सफाई कर्मी है, जो ईमानदारी से सफाई व्यवस्था की कमान संभाले तो निश्चित रूप से हर रोज शहर से गंदगी साफ हो जाएगी।
ढाई हजार सफाई कर्मियों की फौज
नगर निगम में ढाई हजार सफाई कर्मियों की फौज है। इसके अलावा आउट सोर्सिंग पर भी सफाई कर्मी रखे गए हैं, फिर भी शहर की सफाई की हालत बदतर है।
कूड़ाघर जो वार्ड स्तर पर बनाये गए हैं, उनसे भी समय से कूड़ा नहीं उठ पाता है। इसकी शिकायत आमतौर पर की जाती है, मगर कोई ठोस प्लान नगर निगम इसके लिए नहीं बना सका है। डोर-टू-डोर कूड़ा उठना चाहिए। जैसे कई बड़े शहरों में उठाया जा रहा है। इस सिस्टम पर पूरा फोकस करना होगा।
सफाई निजी हाथों में देने की तैयारी
नगर निगम में शहर की सफाई व्यवस्था निजी हाथों में दी जा सकती है। इसकी तैयारी की जा रही है। क्योंकि सफाई के मामले में नगर निगम हर बार फिसड्डी आ रहा है। इसको देखते हुए ही यह निर्णय लिया जा सकता है।
हालांकि इसको लेकर अधिकारियों के स्तर पर इस बारे में कुछ नहीं कहा गया। क्योंकि सफाई कर्मचारियों की यूनियन है। ऐसे में यूनियन नेता बवाल खड़ा कर सकते हैं, जो भी चल रहा है, वह सब गोपनीय है।
200 से ज्यादा नाले, नहीं होती सफाई
शहर में छोटे-बड़े 200 से ज्यादा नाले हैं, मगर उनकी सफाई नहीं होती। वैसे कागजों में उनकी प्रत्येक वर्ष सफाई होती है, मगर धरातल में एक भी शायद नाले की सफाई हो पाती हो। जहां पर जेसीबी मशीन चली जाती है, वहां तो सफाई के दावे किये जाते हैं, मगर जहां जेसीबी मशीन नहीं जाती, वहां पर नाले की कोई सफाई नहीं की जाती है। नालों की ईमानदारी से सफाई कर दी जाए तो एक तो बारिश में लोगों को मुसीबत नहीं झेलनी पड़ेगी और दूसरे नगर निगम के अफसरों की भी जनता पीठ थपथपाएगी।