Monday, July 1, 2024
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विवि गेट पर जड़ा ताला, फेल छात्रों का हंगामा

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  • हंगामा बढ़ता देख बीएससी द्वितीय वर्ष की परीक्षा में फेल छात्रों के सामने विवि ने विशेषज्ञों को दिखाई उत्तर पुस्तिका, मिले फेल

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय व उससे संबंधित कॉलेजों में बीएससी द्वितीय वर्ष के फेल छात्रों ने बुधवार को विवि के मुख्य द्वार पर ताला जड़ दिया। दोपहर करीब 12 बजे छात्रों ने गेट बंद कर धरना प्रदर्शन किया और शाम सात बजे तक वहीं प्रदर्शन करते हुए विश्वविद्यालय की ओर से फेल किए गए छात्रों को पास करने की मांग पर अड़े रहे।

विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों द्वारा दिए रोल नंबर की छह उत्तर पुस्तिकाएं उनके व अन्य लोगों के सामने ही विशेषज्ञों से जांच कराई, जिसमें छात्र फेल पाए गए। इसके बाद भी छात्र पास करने की मांग पर अड़े रहे। विश्वविद्यालय ने भी स्पष्ट कर दिया है कि दो बार किए गए मूल्यांकन के बाद भी फेल छात्रों को उत्तर पुस्तिका में बिना कुछ लिखे पास नहीं किया जाएगा।

उत्तर पुस्तिका देखने के बाद छात्रों के उड़े होश

प्रदर्शन कर रहे छात्रों की मांग को मानते हुए कुलसचिव व अन्य शिक्षकों ने मूल्यांकन भवन में उत्तर पुस्तिका निकालकर छात्रों को दिखाया। प्रश्न कुछ पूछा गया और उसमें उत्तर कुछ और लिखा मिला। प्रदर्शन करने वाले छात्रों को केमिस्ट्री, गणित आदि विज्ञान विषयों में शून्य, एक या दो अंक अंक मिले हैं।

दोबारा मूल्यांकन के बाद एक-दो प्रतिशत छात्रों के अंक बढ़े, लेकिन अब भी विभिन्न कालेजों के छात्र फेल ही हैं। इनमें हापुड़, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर आदि जिलों के छात्र शामिल थे। उत्तर पुस्तिका देखने के बाद छात्र भी छात्र फिर से धरने पर बैठक गए और शाम को सात बजे के बाद जाकर धरना खत्म किया। जिसमें छात्रों का कहना था कि गुरुवार को वह इस संबंध में जिलाधिकारी से मिलेंगे।

प्रथम वर्ष में पास, द्वितीय में फेल

विवि की ओर से बुधवार शाम को आनन-फानन में एक प्रेसवार्ता का आयोजन किया गया। जिसकों संबोधित करते हुए विवि रजिस्ट्रार धीरेंद्र कुमार ने कहा कि बीएससी प्रथम वर्ष की परीक्षा में 65 से 75 प्रतिशत परीक्षार्थी फेल या बैक होते रहे हैं। कोविड में प्रथम वर्ष में बिना परीक्षा के सभी को उत्तीर्ण कर दिया गया था। लगभग उतनी ही संख्या में छात्र अब द्वितीय वर्ष में फेल हो गए हैं।

कोविड महामारी में उत्तीर्ण करने के निर्देश का छात्र अब भी लाभ उठाना चाहते हैं, जो नहीं हो सकता। इस पूरी प्रक्रिया में विश्वविद्यालय ने कॉलेजों के पठन-पाठन, परीक्षा और मूल्यांकन पर किसी को कटघरे में खड़ा नहीं किया है। विवि के मूल्यांकन में पहली बार 15 अंक और दूसरी बार 60 अंक तक दिए जा चुके हैं।

गौर करने वाली है बात

विवि की ओर से खराब रिजल्ट देने वाले कॉलेजों की जांच के लिए आज तक कोई मानक तय नहीं किए गए है। जबकि उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से दसवीं और बारहवीं का परीक्षा परिणाम खराब देने वाले विद्यालयों के खिलाफ हर साल जांच बैठाई जाती हैं, लेकिन चौधरी चरण सिंह विवि की ओर से ऐसा कोई नियम आज तक नहीं बनाया गया हैं,

जिसके चलते हर साल परीक्षा परिणाम जारी होने के बाद कॉलेजों की खामियां बडेÞ स्तर पर निकलकर सामने आती है। इतना ही नहीं कॉलेजों में पठन-पाठन और उपस्थिति की जांच तक नहीं कराई जाती है और न ही कॉलेजों में सेमेस्टर या वार्षिक परीक्षा में कोई टेस्ट होते है। परिणाम के आधार पर कॉलेजों का मूल्यांकन तक नहीं होता।

विवि कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने कहा कि किसी के बहकावे में प्रदर्शन करने की बजाय विद्यार्थियों और अभिभावकों को पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए। बड़ी संख्या में छात्राओं का घर से दूर धरना-प्रदर्शन में शामिल होना सुरक्षा के लिहाज से भी ठीक नहीं है। रजिस्ट्रार धीरेंद्र कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय का गेट बंद कर अन्य छात्रों को भी परेशान करने वाले छात्रों को चेतावनी दी गई है। आगे भी ऐसा हुआ तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।े

इस प्रकार देख सकते हैं उत्तर पुस्तिकाएं

  • आरटीआई में 300 रुपये शुल्क देकर घर से प्राप्त कर सकते हैं पूरी कापी की पीडीएफ।
  • विवि परिसर में आरटीआई विभाग में आवेदन कर दो रुपये प्रति पेज देख सकते हैं कापी।
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