यूपी क्रास करते ही पुलिस का उत्पीड़न शुरु
कभी कोविड तो कभी चेकिंग के नाम पर
जनवाणी संवाददाता ।
मेरठ: कोरोना के कारण पूरे देश में हुए लॉकडाउन को समाप्त कर दिया गया है। अब कोई भी व्यक्ति बिना पास के पूरे देश में घूम सकता है। इसका पालन भी किया जा रहा है लेकिन उत्तराखंड में कोरोना को लेकर केन्द्र सरकार की गाइड लाइन की धज्जियां उड़ाई जा रही है।
प्रदेश सरकार की मूक खामोशी के कारण उत्तराखंड पुलिस आपदा में उगाही के मौके ढूंढने में लगी हुई है। यही कारण है कि इस प्रदेश में एक जनपद से दूसरे जनपद में प्रवेश करने के लिये न केवल घंटो परेशान होना पड़ रहा है बल्कि चेकिंग के नाम पर वसूली भी हो रही है।
कोरोना के कारण पूरा देश अब ओपन कर दिया गया है। अनलॉक 4 में लगभग तमाम प्रतिबंध समाप्त कर दिये गए है। अब एक राज्य से दूसरे राज्य में आवाजाही बेरोकटोक कर दी गई है।
केन्द्र सरकार की इस संबंध में जारी गाइड लाइन भी जारी हुई है लेकिन उत्तराखंड में इन गाइडलाइन की खुलकर धज्जियां उड़ाई जा रही है।
अगर आपको उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड में प्रवेश करना है तो नारसन में आपकी गाड़ी रोककर घंटो ऐसी चेकिंग की जाएगी कि आपका कीमती वक्त बर्बाद हो जाएगा।
एक राज्य से दूसरे राज्य में प्रवेश पर तो चलो सख्ती मान भी ली जाए लेकिन क्या एक जनपद से दूसरे जनपद में जाने के लिये भी जानबूझ कर सख्ती कर सिर्फ लोगों को परेशान किया जा रहा है।
हरिद्वार से देहरादून जाने के लिये शांतिकुंज के पास पुलिस ने बैरीेकेटिंग लगा रखी है। पुलिस गाड़ी की तलाशी के साथ साथ कागजों की जांच करने में दो से तीन घंटे तक खड़ा कर देती है जबकि एक जनपद से दूसरे जनपद में चेकिंग के कोई आदेश तक नहीं है।
इसी तरह देहरादून में प्रवेश करने के लिये मोहंड में वाहनों की लंबी कतारें इस बात की गवाही देती है कि पुलिस का उत्पीड़न बदस्तूर जा रही है। अगर किसी तरह से देहरादून में प्रवेश कर लिया और मसूरी जाने का निर्णय लिया तो एक बार फिर से आपको विदेशी समझकर चेकिंग के दायरे से गुजारा जाएगा चाहे आप क्यों न किसी महत्वपूर्ण काम से जल्दी जाना चाह रहे हों।
आशारोड़ी चेकपोस्ट हो या फिर मसूरी जाने के दौरान कोल्हू खेत हो पुलिस का तालिबानी अंदाज लोगों को खुलकर परेशान कर रहा है।
दरअसल प्रदेश सरकार खुलकर भले इस तरह के पुलिसिया अभियान का समर्थन न कर रही हो लेकिन मूक बनकर सहमति तो दिखा रही है। इस वक्त उत्तराखंड पुलिस की छवि इस कदर दूषित हो चुकी है कि इसकी चर्चा अन्य राज्यों में जोरशोर से होने लगी है।
दरअसल उत्तराखंड सरकार कोरोना पर नियंत्रण के लिये प्रयास करने के बजाय लोगों को परेशान करने में लगी हुई है। क्या पुलिस के रवैये और अनावश्यक चेकिंग से कोरोना रुक जाएगा, इसका जबाव हर कोई वाहन चालक चाहता है लेकिन उत्तराखंड पुलिस को इससे कोई लेना देना नहीं है उसे बस कोरोना पर नियंत्रण के नाम पर कमाई करके अपनी जेबें भरनी है और प्रदेश की छवि को धूमल करना है।
उत्तराखंड खासकर गढ़वाल के हरिद्वार, देहरादून और मसूरी में जिस तरह को भौकाल पुलिस ने बना दिया है उससे हर कोई इन शहरों में जाने से पहले दस बार सोच रहा है।