Friday, June 21, 2024
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Vat Savitri Vrat 2024: वट सावित्री व्रत आज, पति की लंबी उम्र के लिए इस तरह से व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, योग, महत्व

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Dharm News: हिंदू धर्म में हर तिथि का विशेष महत्व होता है। वहीं, अब ज्येष्ठ माह चल रहा है, जिसमें आज अमावस्या तिथि है। इस तिथी का अधिक महत्व बताया गया है। बताया जाता है कि यह दिन इसलिए खास होता है क्योंकि, शनि जयंती के साथ साथ् वट सावित्री व्रत भी किया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने सुहाग के लिए कामना करती हैं। साथ ही बरगद के पेड़ के नीचे पूजा अर्चना करती है। दरअसल, बरगद के पेड़ को ही वट वृक्ष कहा जाता है।

इस दिन पूजा करने के साथ-साथ दान-दक्षिणा का विशेष महत्व होता है। वहीं, वट सावित्री व्रत को बरगदाही और बड़मावस नाम से भी जाना जाता है। तो ऐसे में आइए जानते हैं इस शुभ दिन के मुहूर्त, योग, पूजन विधि आदि के बारे में..

शुभ-मुहूर्त

हिंदू पंचांग के हिसाब से ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को बीते दिन यानि 5 जून 2024 को शाम 07:54 से शुरू होकर आज यानि 6 जून को शाम 06:07 पर समाप्त होगी।

पूजन-समय

इस वर्ष वट सावित्री व्रत के पूजा के समय की बात की जाए तो सुबह 10:36 मिनट से दोपहर 02:04 मिनट तक है।

पूजा-मुहूर्त

अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त : दोपहर 02 बजकर 3 मिनट से सुबह 3 बजकर 47 मिनट तक
उन्नति मुहूर्त : दोपहर 12 बजकर 18 मिनट से 02 बजकर 3 मिनट तक

पूजा-योग

हिंदू पंचांग के मुताबिक इस साल वट सावित्री व्रत पर काफी शुभ योग बन रहा है, क्योंकि इस बार उसी दिन शनि जयंती का भी योग बन बन रहा है। इस दिन बुधादित्य, शुक्रादित्य, लक्ष्मी नारायण योग के साथ-साथ शश और मालव्य राजयोग बन रहा है। मान्यताओं के अनुसार इस शुभ मुहूर्त में पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

पूजा-विधि

  • इस दिन सूर्योदय से पहले सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। महिलाएं स्नान के बाद लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
  • फिर शृंगार करके तैयार हो जाएं। साथ ही सभी पूजन सामग्री को एक स्थान पर एकत्रित कर लें और थाली सजा लें।
  • किसी बरगद के पेड़ यानी वट वृक्ष के नीचे सावित्री और सत्यवान की प्रतिमा स्थापित करें।
  • फिर बरगद के वृक्ष की जड़ में जल अर्पित करें और पुष्प, अक्षत, फूल, भीगा चना, गुड़ व मिठाई चढ़ाएं।
  • वट के वृक्ष पर सूत लपेटते हुए सात बार परिक्रमा करें और अंत में प्रणाम करके परिक्रमा पूर्ण करें।
  • अब हाथ में चने लेकर वट सावित्री की कथा पढ़ें या सुनें। इसके बाद पूजा संपन्न होने पर ब्राह्मणों को फल और वस्त्रों करें।

ऐसे करें आरती

अवैधव्यं च सौभाग्यं देहि त्वं मम सुव्रते।
पुत्रान् पौत्रांश्च सौख्यं च गृहाणार्घ्यं नमोऽस्तुते।।

यथा शाखाप्रशाखाभिर्वृद्धोऽसि त्वं महीतले।
तथा पुत्रैश्च पौत्रैश्च सम्पन्नं कुरु मा सदा।।

इस दिन का महत्व

वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं सुबह उठकर स्नान आदि करके सोलह शृंगार करती हैं और व्रत का संकल्प लेती हैं। मान्यता है कि वट सावित्री व्रत के दिन विधिवत पूजन करने से महिलाओं अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है। पूजा का सामान तैयार करके बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर पूजा करती हैं और कथा सुनती हैं।

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