Saturday, July 27, 2024
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अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन

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Samvad


MA KANWAL JAZARIसंयुक्त राष्ट्र परिषद के 193 सदस्य 75 वर्षों से फलस्तीन-इस्राइल विवाद सुलझाने में नाकाम रहे। इसे लेकर जब तब झड़पें और युद्ध होते रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र परिषद के संविधान में युद्ध संबंधी कानून हैं। फलस्तीन और कई मुस्लिम देश इस्राइल पर हठधर्मिता, अंतर्राष्ट्रीय कानून और मानवाधिकारों की अनदेखी का आरोप लगाते रहे हैं। 7 अक्तूबर को हमास के हमले से छिड़े युद्ध में इस्राइल द्वारा लेबनान और गाजा पर दागे बमों में सफेद फास्फोरस के प्रयोग का आरोप लगाया गया हैं। ह्यूमन राइट्स वॉच ने 10 अक्तूबर के लेबनान और 11 अक्तूबर के गाजा हमलों में शूट वीडियो की जांचोपरांत सफेद फास्फोरस के इस्तेमाल की पुष्टि की है। इस्राइल ने आरोपों से इनकार किया है। ह्यूमन राइट्स वॉच ने 12 अक्तूबर, 2023 गाजा और लेबनान में सफेद फास्फोरस बमों के प्रयोग की जानकारी दी। लेबनानी एजेंसी एनएनए ने भी यारेन नगर क्षेत्र को फॉस्फोरस बमों से निशाना बनाने की बात कही। इस्राइल पर 2008 और 2012 के युद्धों में भी फलस्तीन के ऊपर सफेद फास्फोरस बमों के प्रयोग का आरोप लगा था। सफेद फास्फोरस एक रासायनिक पदार्थ है, जिसे तोपों, बमों और रॉकेटों पर फैलाया जाता है। यह आॅक्सीजन के संपर्क में आने पर तीव्रगति से जलता है तथा रासायनिक प्रतिक्रिया कर तेजी से विघटित होकर 815 डिग्री सैलसियस का ताप उत्पन्न करता है, जिससे तेज प्रकाश और सफेद धुआं पैदा होता है। सफेद फास्फोरस के संपर्क में आने पर मनुष्यों में गंभीर और दीर्घकालिक चोटें पहुंचती हैं। इसका प्रयोग फौज के द्वारा स्मोक स्टीम तैयार कर अपनी गतिविधियों और स्थलीय अभियानों को छिपाने में किया जाता है।

गाजा जैसी घनी आबादी में सफेद फास्फोरस का धमाका घरों में आग लगाने एवं लोगों में पीड़ादायक जलन का कारण बनता है। जलन प्राय: मांसपेशियों और हड्डियों तक पहुंचकर अत्यंत कष्ट पहुंचाती है। यदि फास्फोरस के कणों को शरीर से बाहर न निकाला जाए, तो इलाज के बाद आॅक्सीजन के संपर्क में आने पर जख्म फिर से ताजे हो जाते हैं। घाव ठीक देर से ठीक होते हैं। इंफेक्शन का खतरा रहता है। विशेषज्ञों के मुताबिक सफेद फास्फोरस से 10 प्रतिशत जला शरीर भी जानलेवा हो सकता है। इससे सांस लेने में दिक्कत होती है। अन्य अंग काम करना बंद कर देते हैं। सफेद फास्फोरस से पीड़ित जो लोग बच जाते हैं, उन्हें जीवन भर विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सफेद फास्फोरस के निशान मनुष्य पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालते हैं।

सफेद फास्फोरस का प्रयोग अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार युद्ध क्षेत्र में तो किया जा सकता है, किंतु इस पर आधारित हथियारों का आम नागरिकों के समीप और आबादी क्षेत्र में इस्तेमाल करना प्रतिबंधित है। इस्राइल ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर नहीं किए थे। सफेद फास्फोरस का प्रयोग अंतरराष्ट्रीय प्रावधानों और मानवाधिकारों के विपरीत है। ह्यूमन राइट्स वाच के निदेशक लामा फकीह का कहना है कि जब घनी आबादी वाले क्षेत्र में सफेद फास्फोरस बम गिरता है, तो इससे जलन और जीवन भर के कष्ट का खतरा हो जाता है। 2013 में इस्राइल की सेना ने कहा था कि वह युद्ध क्षेत्र में स्मोक स्टीम बनाने में सफेद फास्फोरस की गोलाबारी का उपयोग बंद करने जा रही है। तब भी कई मानवाधिकार रक्षा समूहों ने गाजा में सफेद फास्फोरस प्रयोग करने की निंदा की थी।

द्वितीय विश्व युद्ध में जानमाल की हानि, जमींदोज इमारतों और आवासों के विनाश से चिंतित 50 देशों के प्रतिनिधियों ने नई पीढ़ियों को युद्ध के कहर से बचाने के लिए फ्रांसिस्को में सम्मेलन किया था। संप्रभू राष्ट्रों के संरक्षण में 25 अप्रैल 1945 से 26 जून 1945 तक चले सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय संगठन की स्थापना के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ का चार्टर तैयार कर हस्ताक्षर किए गए। 24 अक्टूबर 1945 को अस्तित्व में आए संयुक्त राष्ट्र संघ के संविधान की प्रस्तावना में भावी पीढ़ियों को युद्ध की विभीषिका से बचाने, मानवाधिकार व गरिमा बनाए रखने, पुरुष व महिलाओं और छोटी व बड़ी जातियों के अधिकार बराबर होने, प्रतिज्ञा पत्रों व अंतर्राष्ट्रीय संविधान में वर्णित दायित्वों को निभाने, जीवन स्तर ऊंचा करने और स्वतंत्रत वातावरण में सामूहिक विकास की गति बढ़ाने जैसे कार्य दर्ज हैं।

इस आधार पर पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण जीवन जीने, अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा के लिए शक्ति को एकजुट करने, सिद्धांतों व परंपराओं की स्वीकृति के साथ सामूहिक हित के अलावा कभी बल प्रयोग नहीं करने और राष्ट्रों के आर्थिक एवं सामूहिक विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्रोतों को अपनाने की उम्मीद की गई। संयुक्त राष्ट्र के अनुच्छेद संख्या-1 के तहत सूचीबद्ध उद्देश्यों में संयुक्त प्रयासों से अंतर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा स्थापित करना, राष्ट्रों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध बनाना, अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक व मानव कल्याण संबंधी समस्याओं के हल के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पैदा करना तथा मानवाधिकारों व मौलिक स्वतंत्रता के लिए कार्य करना शामिल है।

संयुक्त राष्ट्र में 15 सदस्यों वाले सबसे महत्वपूर्ण अंग सुरक्षा परिषद में फ्रांस, रूस, चीन, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका को वीटो पावर हासिल है। ये देश किसी आंदोलन पर मतदान या बहस रोकने के लिए निज स्वार्थ में इसका इस्तेमाल करते हैं। वीटो पावर संवैधानिक न्यायिक प्रक्रिया में बड़ी बाधा सिद्ध हुई है। वीटो पावर वाले महारथियों के बीच के मतभेद छिपे नहीं हैं। फलस्तीन और इस्राइल मुद्दे पर सक्षम देश दशकों से चर्चा की मेज पर पीठ किए बैठे नजर आते हैं। यहूदी फलस्तीन के अधिकांश भाग पर कब्जा किए हैं। फलस्तीनी गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक में सिमट कर रह गए हैं। सख्त दुश्मनी के चलते मानवीय भाव कहीं खो गया है। 19 अक्तूबर 2023 को संयुक्त राष्ट्र की 15 सदस्यों वाली सुरक्षा परिषद की बैठक में ब्राजील द्वारा हमास-इस्राइल युद्ध को अंतराल देकर गाजा पट्टी में मानवीय आधार पर राहत सामग्री की अनुमति का दूसरा प्रस्ताव किया गया। रूस व ब्रिटेन अनुपस्थित रहे। 12 सदस्य देशों ने प्रस्ताव के समर्थन में मत दिए, किंतु अमेरिका के वीटो करने से प्रस्ताव नामंजूर हो गया।

यह बात समझ से बाहर है कि इस्राइल एक स्वतंत्र राष्ट्र है, लेकिन फलस्तीनी इस अधिकार से वंचित हैं। बमों, टैंकों और रॉकेटों के हमले में हजारों पुरुष, महिलाएं और बच्चे मारे जा चुके हैं। गाजा में 3,300 और वेस्ट बैंक में 54 लोगों की मौत व 10,859 जख्मी हैं। इस्राइल में 1,403 की मौत और 3,800 घायल हैं। पानी, बिजली, दूध, गैस, राशन समेत दैनिक उपभोग की आवश्यक वस्तुओं के अभाव में भूखों मरने की नौबत आ गई। आईसीयू, डायलेसिस व नवजात शिशुओं समेत कई हजार मरीजों का जीवन दांव पर लगा है। अस्पताल पर हमले में करीब 600 लोगों की मौत हो गई। इस्राइल पर आरोप लगा है, किंतु उसने आरोप को नकार दिया। दोनों ओर से होने वाली जान माल की क्षति को वापस नहीं लाया जा सकता। लेकिन भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति रोकने के लिए 1967 की हदबंदी के तहत स्वतंत्र फलस्तीनी रियासत का गठन जरूर किया जा सकता है।


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