Wednesday, July 3, 2024
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सितंबर माह में इस तिथि को है विश्वकर्मा पूजा, यहां जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि…

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नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉट कॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। प्रतिवर्ष कन्या संक्रांति के दिन विश्वकर्मा पूजा मनाई जाती है। इस बार यह 17 सितंबर को है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस वर्ष चार शुभ योग बन रहे हैं और सूर्य देव कन्या रा​शि में गोचर करेंगे।

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विश्वकर्मा पूजा के दिन भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि भी है। कन्या संक्रांति के दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से कारोबार में उन्नति होती है और हमेशा कृपा बनी रहती है। तो आइए जानते हैं विश्वकर्मा पूजा शुभ मुहूर्त और पूजा विधि…

विश्वकर्मा पूजा शुभ मुहूर्त

विश्वकर्मा पूजा करने का शुभ मुहूर्त 17 सितंबर की सुबह 10 बजकर 15 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होगी।

इन 4 शुभ योग में है विश्वकर्मा पूजा

विश्वकर्मा पूजा के दिन 4 शुभ योग बन रहे हैं। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि योग, द्विपुष्कर योग और ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है। ये सभी शुभ योग आपके मनोकामनाओं की पूर्ति में सहायक होंगे। सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए कार्य सफल सिद्ध होते हैं।

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विश्वकर्मा पूजा विधि

विश्वकर्मा जयंती के दिन आफिस, दुकान, वर्कशॉप, फैक्ट्री चाहे छोटे संस्थान हों या बड़े सभी की साफ सफाई कर सभी तरह के औजारों या सामान की पूजा करनी चाहिए। पूजा के लिए सर्वप्रथम पूजा स्थान पर कलश स्थापना करनी चाहिए। फिर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करनी चाहिए। इस दिन यज्ञ इत्यादि का भी आयोजन किया जाता है। पूजन में श्री विष्णु भगवान का ध्यान करना उत्तम माना गया है।

इस दिन पुष्प, अक्षत लेकर मंत्र पढ़ें और चारों ओर अक्षत छिड़कें। इसके बाद हाथ में और सभी मशीनों पर रक्षा सूत्र बांधें। फिर भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करते हुए दीप जलाएं और पुष्प एवं सुपारी अर्पित करें। विधि विधान से पूजा करने पर पूजा के पश्चात भगवान विश्वकर्मा की आरती करें। भोग स्वरूप प्रसाद अर्पित करें, जिस भी स्थान पर पूजा कर रहे हों उस पूरे परिसर में आरती घुमाएं। पूजा के पश्चात विश्वकर्मा जी से अपने कार्यों में सफलता की कामना करें।

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विश्वकर्मा पूजा महत्त्व

भगवान विश्वकर्मा ब्रह्म देव के सातवें पुत्र हैं। उनको देवताओं का ​शिल्पी कहते हैं। इस सृष्टि की रचना में विश्वकर्मा जी ने ब्रह्म देव की मदद की थी। विश्वकर्मा जी ने ही सोने की लंका, पुष्पक विमान, द्वारका नगरी, देवी-देवताओं के अस्त्र-शस्त्र आदि का निर्माण किया था। भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से बिजनेस में उन्नति होती है। मशीन और निर्माण से जुड़े लोगों को भगवान विश्वकर्मा की पूजा जरूर करनी चाहिए क्योंकि भगवान विश्वकर्मा को संसार का पहला इंजीनियर कहा जाता है.

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