Wednesday, July 3, 2024
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शाबाश… चैंपियनों

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yashpal singh 1कहते हैं। वक्त किसी के लिए नहीं ठहरता लेकिन कुछ यादगार लम्हें जैसे सजीव होकर हमेशा हमेशा के लिए दिल, जेहन में ठहर जाया करते हैं। टी 20 विश्व कप की जीत महज जीत नहीं है, ये विजय गाथा है जिसकी अनुगूंज से हम भारतीय स्वंय को गर्व के शिखर पर महसूस करते हैं। रोहित ब्रिगेड ने 17 साल लंबे उस सूखे को खत्म किया, इंतजार के नाम पर पसरे उस रेगिस्तान में उपलब्धियों की बारिश कर दी, जहां हम खिताबी जंग में मायूस हो कर लौटने को अभिशप्त से हो गए थे। लाजवाब, बेहतरीन, कमाल की जीत। ये नयनाभिराम दृश्य सहजता से नसीब नहीं होते। द. अफ्रीका को परास्त करके दूसरी बार विश्व चैंपियन बनने का गौरव अर्जित करने वाली भारतीय टीम ने महज विश्व कप नहीं जीता अपितु करोड़ों भारतीयों की उम्मीदों, अपेक्षाओं और भावनाओं की लाज रखी है, मान रखा है। याद है ना वो अंदर तक तोड़ के रख देने वाली तारीख। पिछले साल 19 नवंबर को वनडे विश्व कप की फाइनल में हार पर मायूसी की खोह में खोते भारतीय खिलाड़ियों का वो दृश्य, जिसमें आस्ट्रेलिया के हाथों फाइनल मैच गंवाने का दर्द हमारे खिलाड़ियों की नम आंखें बयां कर रही थी, फिर फाइनल में रणछोड़ साबित हुए थी टीम इंडिया। और एक अविस्मरणीय दृश्य 29 जून का, जंग ये भी खिताबी थी लेकिन जैसे ही रबाड़ा लाफ्टेड शाट को सूर्या के हाथों में थमाते हैं, खुशियों का सैलाब आ जाता है। आंसू लेकिन इस बार खुशियों के, रोहित से लेकर विराट और हार्दिक से लेकर धीर गंभीर दिखने वाले कोच राहुल द्रविड़ बच्चों की तरह किलक पड़ते हैं। दिलेर कोहली, जांबाज कप्तान रोहित भावनाओं के भंवर में डूबते उत्तराते हैं, दो महान क्रिकेटर गले लग कर रो पड़ते हैं। आह ये पिच ही तो है, जिसने इस उतार चढ़ाव वाले मैच में खिताबी जीत से रूबरू करा दिया। आंसुओं से लबरेज कप्तान पिच पर झुकते हैं, थोड़ी सी मिट्टी का स्वाद चखते हैं और फिर तिरंगा मैदान पर गाड़ कर मानों कह रहे हो-हम हैं हिंदुस्तानी, इतिहास रचने में सक्षम हिंदुस्तानी। इन चैंपियनों ने साबित किया कि उन्हें जख्म खा कर फिर सफर में लौटना और मंजिल हासिल करना आता है।

कप्तान चूंकि ध्वजवाहक है टीम का तो सबसे पहले रोहित शर्मा को सौ सौ सलाम। टीम को एकजुट रखना, बेहतर और बेहतर करने की भूख की डगर पर डाले रखना तथा फिर खुद को जांबाज सिपहसालार साबित करना, इस कसौटी पर सौ फीसदी खरा उतरा है ये मुंबइयां कप्तान जिसने भारतीय टीम को एकजुटता की माला में पिरोए रखा। हर खिलाड़ी से उसकी क्षमताओं से लिहाज से उसका परफेक्ट निकलवाना औ? दबाव में और निखर जाना, ये कूवत है रोहित की। पूरी टीम ने जान लड़ाई है। ये टीम वर्क की मिसाल है और नतीजा हसीन मिला है। माही यानि करिश्माई एमएस धोनी जो 2007 में देश को गौरवान्वित करने का काम करते हैं, ठीक 17 साल बाद रोहित आर्मी उस सुनहरे पन्नों पर फिर अपने हुनर के सितारे टांक देती है। यानि भारत दो बार टी 20 और दो बार वनडे विश्व चैंपियन (1983, 2011), ये सिर उंचा करके क्रिकेट जगत में अपनी दमदार मौजूदगी की कहानी सुनाती है ये गर्वीलीं उपलब्धियां।

किंग कोहली, रोहित शर्मा और रविंद्र जडेजा इस सुनहरी पटकथा लिखने के बाद एक वो फैसला करते हैं, जो स्वाभाविक तो था लेकिन उसे कबूल करने में दिल बड़ा करना पड़ता है। तीनों दिग्गज क्रिकेटर्स ने विश्व विजेता होने के बाद अपने टी 20 करियर को विराम कह दिया है। रोहित नौ विश्व खेल चुके हैं, कोहली छह। इसी तरह रविंद्र जडेजा ने भारत के लिए इस फार्मेट में कई यादगार प्रदर्शन किए हैं। इससे खूबसूरत और सामयिक वक्त कोई और क्या होगा कि आप देश को विश्व कप दिलाने के बाद अपने यशस्वी करियर को अलविदा कह रहे है इस फार्मेट में। किंग कोहली ने दिखाया कि वह कितने बड़े परफार्मर हैं, जैसा कि फाइनल से पहले कप्तान ने कहा था कि कोहली ने अपना बेस्ट फाइनल के लिए बचा रखा है। विकेटों के पतझड़ के बीच किंग कोहली अंगद की तरह खड़े रहते हैं और 76 रन की ठोस पारी खेलकर भारत को 176 का स्कोर खड़ा करने में मदद करते हैं यानि 176 में 76 इस महान बल्लेबाज के। इसके बाद गेंद दर गेंद पलड़ा इधर उधर झुकता है। दर्शक, खेल प्रेमी और खुद टीम इंडिया थोड़ी सी मायूस दिखती है जब क्लासेन और ड़िकाक यूं अड़ते हैं जैसे भारत को उसी तरह की स्थितियों में खड़ा करने को आमादा हों, जैसे आस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे फाइनल में हुआ था। 151 पर चार-ओवर 16 लेकिन कोशिशें दिल से होंगी और जज्बां जीत का जेहन में होगा तो हालात बदलते हैं। बस, हार्दिक क्लासेन की विदाई करते हैं और फिर बुम बुम बुमराह यांसेन की। अर्शदीप हमेशा जान लड़ा कर बालिंग करते हैं। 12 गेंदों में बीस रन-इतिहास रचने के दोनों टीम करीब, बस 19 वें ओवर में अर्शदीप रंग जमाते हैं और आखिरी ओवर में जैसे ही हार्दिक की गेंद पर खतरनाक मिलर का बेमिसाल कैच सूर्या पकड़ते हैं तो द. अफ्रीका की उम्मीदों का सूरज अस्त हो जाता है, रही सही कसर पांचवीं गेंद पर रबाडा को सूर्या के हाथों लपकवा कर हार्दिक 17 साल लंबे इंतजार को हकीकत में बदल देते हैं। यादगार जीत बेमिसाल लम्हें- रोहित ब्रिगेड तुसी ग्रेट हो।

(लेखक दैनिक जनवाणी के समूह संपादक हैं)


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