नीतू गुप्ता
पौष्टिक आहार सेहत के लिए जितना आवश्यक है उतना ही आवश्यक है कि बीमार होने पर क्या खाया जाए और क्या नहीं। इस बारे में अधिकतर लोग लापरवाही बरतते हैं। खाना हमें ऊर्जा तो देता है पर गलत खाने की आदतें हमारे स्वास्थ्य पर भी प्रभाव डालती हैं। आइए जानें कि किस बीमारी में क्या खाएं, किसका परहेज करें।
मजबूत दांतों के लिए
दांतों को साफ और चमत्कार रखने के लिए आवश्यक है दो बार दांतों की सफाई, एक बार रात्रि में सोने से पहले और दूसरी बार प्रात:काल में। दांतों की सफाई के ंसाथ पौष्टिक आहार भी जरूरी है दांतों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए। पौष्टिक और संतुलित आहार दांतों को सड़ने और मसूड़ों की सुरक्षा के लिए जरूरी है।
क्या खाएं
– कोई ठोस आहार खाएं तो उसे खूब चबा चबा कर खाएं। कुछ फल जिन्हें चबाचबा कर खाया जाए तो हमारे मसूड़े स्वस्थ रहते हैं जैसे अमरूद, सेब, नाशपाती। जिनके मसूड़े और दांत कमजोर हो तो वह उन्हें पतला पतला काट कर खाएं, कद्दूकस कर खाएं। मिक्सी में थोड़ा सा पानी डालकर चर्न कर खाएं। इसी प्रकार गाजर, मूली, शलजम, चुकंदर, खीरा, ककड़ी आदि भी लें।
– कैल्शियम युक्त आहार लें जैसे दूध, दही,पनीर आदि।
– विटामिन ई और सी से भरपूर फल और सब्जियां लें। इसके अतिरिक्त मैग्नीशियम, फास्फोरस, बीटा केरोटिन और विटामिन ए युक्त आहार भी लें।
– सीमित मात्रा में एक या दो कप चाय दांतों के लिए ठीकं है। इसमें मौजूद फ्लोराइड दांतों को स्वस्थ रखने में सहायक होता है।
क्या न खाएं
– सॉफ्ट ड्रिंक्स, हार्ड ड्रिंक्स, रिफाइंड काबोर्हाइड्रेट से बने स्नैक्स और एसिडिक ड्रिंक्स का सेवन न करें।
– दांतों में फंसने वाले खाद्य पदार्थ अधिक सख्त और सूखे खाद्य पदार्थ।
डायबिटीज में क्या खाएं क्या नहीं
डायबिटीज एक ऐेसा रोग है जो शरीर के हर अंग को प्रभावित करता है, विशेषकर किडनी, दिल, आंखों आदि को। हमारे शरीर को सुचारू रूप से चलाने के लिए ग्लूकोज जरूरी होता है। जब हमारे शरीर में ग्लूकोज का चय उपापचय करने के लिए आवश्यक इंसुलिन हार्मोन का स्राव नहीं होता तो मधुमेह रोग पनपता है। मधुमेह रोग में इंसुलिन पैदा करने वाले सेल्स क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। मधुमेह दो प्रकार का होता है टाइप वन और टाइप टू। टाइप वन मधुमेह अक्सर बच्चों को और टाइप टू मधुमेह सामान्यत: व्यस्कों को होता है। टाइप टू डायबिटीज ज्यादा कॉमन है।
क्या खाएं
– खाना नियमित अंतराल पर खाएं।
– खाने में अनसैचुरेटेड फैट, प्रोटीन और कार्बोहाइडेÑट का संतुलन जरूरी है।
– रेशेयुक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें। लो फैट के खाद्य पदार्थ खाएं। वजन पर नियंत्रण रखें।
– कार्न, दूध, दही, बीन्स, दालों, मटर का सेवन करें।
क्या न खाएं
– सैचुरेटेड फैट युक्त भोज्य पदार्थों का सेवन न करें।
– मिठाई, केक, पेस्ट्री, तले हुए स्नैक्स का सेवन न करें।
हार्ट डिजीज में क्या खाएं, क्या न खाएं
शोध के अनुसार सिद्ध हुआ है कि खान-पान का गहरा संबंध दिल की बीमारी से है, इसलिए खान-पान पर नियंत्रण कर हम स्वयं को स्वस्थ रख सकते हैं। इसके लिए बचपन से ही सही खान-पान की आदतें डालें ताकि हृदय को अधिक से अधिक समय तक स्वस्थ रखा जा सके वैेसे खान-पान के अतिरिक्त हाइपरटेंशन, मोटापा, तनाव आनुवंशिकता इत्यादि कई अन्य कारण भी हैं।
क्या खाएं
-मल्टीग्रेन ब्रेड, अनाज, सूखे मेवो को अपनी नियमित डाइट का अंग बनाएं।
– विटामिन सी व एंटीआक्सीडेंट युक्त फूड का सेवन भी नियमित करें।
– ओट्स, सोया प्रोटीन, मछली आदि का सेवन करें।
– ताजे फल, हरी सब्जियां, सब्जियों का सूप, दालें, टोंड दूध और दही का नियमित सेवन करें।
क्या क्या परहेज करें
– तंबाकू का सेवन किसी भी रूप में न करें।
– अल्कोहल का सेवन भी बहुत सीमित करें।
– ट्रांसफैट और सैचुरेटेड फैट्स, खाद्य पदार्थ का सेवन न करें।
– तले हुए भोज्य पदार्थों से परहेज।
– अंडे की पीली जर्दी का सेवन न करें, नारियल तेल और फुल क्रीम दूध और उसी दूध से बनें खाद्य पदार्थों से परहेज रखें।
– ज्यादा नमक का सेवन न करें।
स्ट्रेस में क्या खाएं, क्या न खाएं
स्टेऊस का अर्थ क्षमता से अधिक अपने शरीर पर दबाव और जानते हुए भी नजरअंदाज करना स्टेÑस कहलाता है। स्टेÑस होने की स्थिति में शरीर को पौष्टिक आहार की आवश्यकता होती है ताकि शरीर में तनाव से लड़ने की शक्ति, ऊर्जा मिल सके और आए हुए स्टे्रस का प्रभाव कम हो सके।
ऐसे में क्या खाएं
-विटामिन सी का सेवन नियमित करें। विटामिन सी से ब्लड प्रेशर नियंत्रण में रहता है और शरीर में स्टेÑस हार्मोंस का स्राव कम होता है। नियमित रूप से नारंगी, शिमला मिर्च, नींबू, आंवला, स्ट्राबेरी का सेवन करें।
– जिंकयुक्त आहार में अंडे, मांस, मछली,सी फूड, दूध, अनाज इत्यादि का सेवन करें।
– कार्बोहाइडेÑट का उचित सेवन करें ताकि मस्तिष्क में मूड को अच्छा करने वाले केमिकल सेरोटोनिन का न्नव अधिक हो सके।
– मल्टी विटामिन्स दवा का सेवन डाक्टर के परामर्श अनुसार करें।
क्या न खाएं
– डायटिंग न करें।
– नाश्ता स्किप न करें।
-अधिक चाय और कैफीनयुक्त पेय न लें।
– अपने ऊपर अधिक जिम्मेदारी का बोझ न रखें।