नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है।हिंदू धर्म में सभी महीनों का अलग अलग महत्व होता है। इनमें से एक खरमास भी है। सनातन धर्म में खरमास को बहुत ही महत्वपूर्ण समय माना गया है। यह ऐसी अवधि होती है जब मांगलिक और शुभ कार्यों को करना मना होता है। खरमास की अवधि वर्ष में दो बार आती है और प्रत्येक बार लगभग 30 दिनों की होती है। इस दौरान किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य, जैसे विवाह, सगाई, गृह प्रवेश, मुंडन या अन्य शुभ आयोजन नहीं किए जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस समय का उपयोग भगवान सूर्य की आराधना और ध्यान के लिए किया जाता है।
खरमास कब से शुरू होगा?
हिंदू पंचांग के अनुसार, खरमास उस समय शुरू होता है जब सूर्य देव गुरु ग्रह की राशि धनु में प्रवेश करते हैं। इस वर्ष, सूर्य देव 15 दिसंबर, रविवार को रात 10:19 बजे धनु राशि में प्रवेश करेंगे, जिसे धनु संक्रांति कहा जाता है। इसके साथ ही खरमास की शुरुआत होगी, जो 14 जनवरी, मंगलवार तक चलेगा। यह 30 दिनों की अवधि उन लोगों के लिए अत्यंत पवित्र मानी जाती है, जो अपने जीवन में आध्यात्मिकता और भक्ति को बढ़ाना चाहते हैं।
महत्व
धार्मिक ग्रंथों में वर्णन है कि खरमास के दौरान भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना से कई गुना फल मिलते हैं। माना जाता है कि इस अवधि में भगवान सूर्य को प्रसन्न करके मनोकामनाओं की पूर्ति की जा सकती है। खरमास का समय आत्मिक शुद्धि और ध्यान का उत्तम समय माना गया है।
पूजा-विधि
खरमास के दौरान भक्तों को विशेष रूप से सूर्योदय से पहले उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करें। सूर्य को अर्घ्य देने के लिए तांबे के लोटे में जल भरें और उसमें रोली, अक्षत, गुड़ और लाल फूल मिलाएं। इसे सूर्य को अर्पित करें। जल अर्पित करते समय नीचे दिए गए मंत्रों का जाप करें।
मंत्र- ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ।
ॐ आदित्याय विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्नः सूर्यः प्रचोदयात।
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या गृहाणार्घ्यं दिवाकर।
इसके बाद भगवान सूर्य की आरती करें और सूर्य चालीसा का पाठ करें। सूर्य देव को मिठाई और फल का भोग लगाकर इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
खरमास में क्या करें और क्या न करें
खरमास के दौरान धार्मिक अनुष्ठान, पूजा-पाठ और भक्ति कार्य करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। इस समय व्रत रखना और गरीबों को दान करने से पुण्य मिलता है। परंतु विवाह, गृह प्रवेश, सगाई, या किसी अन्य शुभ कार्य से बचना चाहिए। खरमास का यह समय भक्ति, साधना और आत्मिक उन्नति के लिए आदर्श है। भगवान सूर्य की आराधना से जीवन में सकारात्मकता, ऊर्जा और शांति का अनुभव किया जा सकता है।